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गाजियाबाद में मियावाकी तकनीक से लगेंगे 50 हज़ार पौधे, दो साल में विकसित होगा जंगल - Disposal of garbage in Indirapuram

गाजियाबाद नगर निगम ने इंदिरापुरम स्थित कूड़े के पहाड़ को हटाकर कचरे को निस्तारित किया है. इसके बाद अब उस स्थान पर मियावाकी तकनीक से जंगल डिवेलप करने की तैयारी की जा रही है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 8 एकड़ भूमि को कचरा मुक्त कराया है. जिस पर 50 प्रजातियों के पौधे रोपे जाएंगे.

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Published : Jan 21, 2023, 4:41 PM IST

इंदिरापुरम लैंडफिल साइट में मियवाकी तकनीक से लगेंगे 50 हज़ार पौधे

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में इंदिरापुरम की शक्ति खंड 4 में कचरे का निस्तारण कराया गया है. डेढ़ लाख मैट्रिक टन कचरे को प्रोसेस कर 8 एकड़ भूमि को कचरा मुक्त किया गया. साथ ही मिट्टी डालकर समतल किया गया है. यहां खाली हुई भूमि पर नगर निगम मियावकी तकनीक से जंगल विकसित करेगा. करीब 50 प्रजातियों के 50 हजार से अधिक पौधे लगाए जाएंगे, जिसमें पौंडमैन कहे जाने वाले रामवीर तंवर की संस्था सहयोग करेगी.

नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ के मुताबिक इंदिरापुरम के निवासियों को राहत का अनुभव हुआ है. जहां कई वर्षों के कूड़े के पहाड़ थे, वहां उस स्थान पर लगभग 50 प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे. जिसके लिए गाजियाबाद नगर निगम ने भारी मात्रा में कूड़े का निस्तार कराया है. काफी समय बीत जाने के बाद कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण बहुत ही सुखद अनुभव है. 30 जनवरी को समस्त टीम मिलकर पौधारोपण का कार्य प्रारंभ करेगी, जिसमें जनभागीदारीता भी सुनिश्चित कराई जाएगी ताकि जन जागरूकता के साथ पौधारोपण किया जा सकेगा.

पांडमैन रामवीर तंवर ने बताया कि इंदिरापुरम लैंडफिल साइट आने वाले दो सालों में जंगल के रूप में नजर आएगा. मियावाकी तकनीक से जंगल विकसित होने के बाद इलाके के प्रदूषण स्तर में भी भारी गिरावट आने की उम्मीद है.

इसे भी पढ़ें: ग्रेटर नोएडा में टोल प्लाजा पर ग्रामीणों ने किया हंगामा, जबरन टोल वसूली का आरोप

क्या है मियावाकी तकनीक?

पर्यावरणविद आकाश वशिष्ठ ने बताया, मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी' नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है. इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है. ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे वन का स्वरूप प्राप्त कर लेते है. मौजूदा समय में मियावाकी तकनीक का भारत समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस्तेमाल हो रहा है.

इसे भी पढ़ें: दिल्ली के चिड़ियाघर से चोरी हो गए 11 चंदन के पेड़, जांच में जुटी पुलिस

इंदिरापुरम लैंडफिल साइट में मियवाकी तकनीक से लगेंगे 50 हज़ार पौधे

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में इंदिरापुरम की शक्ति खंड 4 में कचरे का निस्तारण कराया गया है. डेढ़ लाख मैट्रिक टन कचरे को प्रोसेस कर 8 एकड़ भूमि को कचरा मुक्त किया गया. साथ ही मिट्टी डालकर समतल किया गया है. यहां खाली हुई भूमि पर नगर निगम मियावकी तकनीक से जंगल विकसित करेगा. करीब 50 प्रजातियों के 50 हजार से अधिक पौधे लगाए जाएंगे, जिसमें पौंडमैन कहे जाने वाले रामवीर तंवर की संस्था सहयोग करेगी.

नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ के मुताबिक इंदिरापुरम के निवासियों को राहत का अनुभव हुआ है. जहां कई वर्षों के कूड़े के पहाड़ थे, वहां उस स्थान पर लगभग 50 प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे. जिसके लिए गाजियाबाद नगर निगम ने भारी मात्रा में कूड़े का निस्तार कराया है. काफी समय बीत जाने के बाद कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण बहुत ही सुखद अनुभव है. 30 जनवरी को समस्त टीम मिलकर पौधारोपण का कार्य प्रारंभ करेगी, जिसमें जनभागीदारीता भी सुनिश्चित कराई जाएगी ताकि जन जागरूकता के साथ पौधारोपण किया जा सकेगा.

पांडमैन रामवीर तंवर ने बताया कि इंदिरापुरम लैंडफिल साइट आने वाले दो सालों में जंगल के रूप में नजर आएगा. मियावाकी तकनीक से जंगल विकसित होने के बाद इलाके के प्रदूषण स्तर में भी भारी गिरावट आने की उम्मीद है.

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क्या है मियावाकी तकनीक?

पर्यावरणविद आकाश वशिष्ठ ने बताया, मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी' नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है. इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है. ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे वन का स्वरूप प्राप्त कर लेते है. मौजूदा समय में मियावाकी तकनीक का भारत समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस्तेमाल हो रहा है.

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