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गर्मियों भी नहीं बिक रहे मिट्टी के बर्तन, कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

गर्मी में गला तर करने के लिए मटके के पानी की बात ही कुछ और है. लेकिन मटकों पर अब आधुनिकता भारी पड़ रही है. लोग फ्रिज के मुकाबले मटकों को खरीदना लगभग बंद कर दिए हैं. ऐसे में मटका बनाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

matka seller
नहीं बिक रहे मिट्टी के मटके
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Published : Jun 1, 2022, 11:10 AM IST

नई दिल्ली: गर्मियों के मौसम आते ही ठंढी और तरावट देने वाली चीजों की मांग काफी बढ़ जाती है. इस दौरान लोग पानी भी खूब पीते हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी में देशी फ्रिज कहे जाने वाले घड़े और मटकों की मांग में इस बार कुछ खास उछाल नहीं नजर आ रहा है, जिससे इसे बना कर बेचने वाले दुकानदार अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.

तस्वीरें नंगली विहार फुटपाथ की है जहां फुटपाथ पर मटके और मिट्टी के बर्तनों की दुकान तो सजी है लेकिन एक भी ग्राहक नहीं आ रहा है, जिससे कुम्हार पूरी तरह से निराश हो चुके हैं. घटों और मटकों की दुकान लगाएं बैठी एक महिला दुकानदार का कहना है कि पहले गर्मी में खूब मटकों की बिक्री हुआ करती थी, लेकिन इस साल पहले की तरह खरीदार नहीं आ रहे हैं, जिससे काफी नुकसान हो रहा है. महिला ने बताया कि जो मटका 150 रुपये तक में बिकता था, आज उसे मात्र 70 रुपये में बेचना पड़ रहा है. वो भी बहुत कम बिक रहा है. कम बिक्री होने की वजह से परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है.

नहीं बिक रहे मिट्टी के मटके

हालांकि मटके का पानी फ्रिज के ठंडे पानी की तुलना में ज्यादा तरावट देती है. मटके का पानी पीने से कोई नुकसान भी नहीं होता है. बावजूद इसके आज इन मटकों की मांग पहले की तुलना में काफी कम हो गई है, जिससे इनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

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नई दिल्ली: गर्मियों के मौसम आते ही ठंढी और तरावट देने वाली चीजों की मांग काफी बढ़ जाती है. इस दौरान लोग पानी भी खूब पीते हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी में देशी फ्रिज कहे जाने वाले घड़े और मटकों की मांग में इस बार कुछ खास उछाल नहीं नजर आ रहा है, जिससे इसे बना कर बेचने वाले दुकानदार अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.

तस्वीरें नंगली विहार फुटपाथ की है जहां फुटपाथ पर मटके और मिट्टी के बर्तनों की दुकान तो सजी है लेकिन एक भी ग्राहक नहीं आ रहा है, जिससे कुम्हार पूरी तरह से निराश हो चुके हैं. घटों और मटकों की दुकान लगाएं बैठी एक महिला दुकानदार का कहना है कि पहले गर्मी में खूब मटकों की बिक्री हुआ करती थी, लेकिन इस साल पहले की तरह खरीदार नहीं आ रहे हैं, जिससे काफी नुकसान हो रहा है. महिला ने बताया कि जो मटका 150 रुपये तक में बिकता था, आज उसे मात्र 70 रुपये में बेचना पड़ रहा है. वो भी बहुत कम बिक रहा है. कम बिक्री होने की वजह से परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है.

नहीं बिक रहे मिट्टी के मटके

हालांकि मटके का पानी फ्रिज के ठंडे पानी की तुलना में ज्यादा तरावट देती है. मटके का पानी पीने से कोई नुकसान भी नहीं होता है. बावजूद इसके आज इन मटकों की मांग पहले की तुलना में काफी कम हो गई है, जिससे इनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

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