नई दिल्ली: फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान 22 वर्षीय युवक दिलबर नेगी को जलाकर मारने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को 11 लोगों को बरी कर दिया, जबकि एक के खिलाफ आरोप तय किए गए.. जांच के दौरान कई तथ्य सामने आए थे कि कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी गई थी. दंगाई एक इमारत में भी घुस गए थे, जहां अपनी जान बचाने के लिए बिल्डिंग में छुपे दिलबर को जलाकर मार डाला गया था. लेकिन बरी आरोपियों की संलिप्तता इस मामले में नहीं पाई गई. बता दें कि दिलबर नेगी एक हलवाई की दुकान में काम करता था.
मौजूदगी नहीं बन सकती आधार: दुकान में तोड़फोड़ और आगजनी के समय बचने के लिए वह दुकान के अंदर ही बंद हो गया था. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने अपने आदेश में कहा कि अलग-अलग समय में भीड़ में 11 आरोपियों की मौजूदगी और दंगे की अन्य घटना में उनकी संलिप्तता उन्हें उस घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी बनाने का आधार नहीं हो सकती, जिसके परिणाम स्वरूप दिलबर नेगी की मौत हुई.
दंगाई भीड़ का हिस्सा था शहनवाज: वहीं कोर्ट ने एक आरोपी मोहम्मद शाहनवाज के खिलाफ हत्या, दंगा और गैर कानूनी रूप से इकट्ठा होने के मामले में कई धाराओं में आरोप तय किए. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि शाहनवाज दंगाई भीड़ का हिस्सा था, जो हिंदू समुदायों के लोगों और उनकी संपत्तियों के खिलाफ कृत्यों में शामिल था, ताकि तोड़फोड़ की जा सके और उन्हें आग लगाई जा सके. 11 आरोपियों को बरी करते समय कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान पर गौर किया और पाया कि उनमें सभी 22 वर्षीय दिलबर नेगी की हत्या से सीधे संबंधित नहीं थे.
बरी होने के हकदार हैं आरोपी: कोर्ट ने कहा कि यह बताना जरूरी है कि अलग-अलग समय के दंगों के वीडियो में कई आरोपियों की पहचान की गई थी. लेकिन दो चश्मदीदों में से किसी ने भी वीडियो के आधार पर उनकी पहचान नहीं की, जिससे यह कहा जा सके कि यह आरोपी गोदाम में आग लगने से ठीक पहले गोदाम में प्रवेश करते वक्त शाहनवाज उर्फ शानू के साथ थे. इसलिए शाहनवाज को छोड़कर अन्य आरोपी इस मामले में बरी होने के हकदार हैं.
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