नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया है कि दुर्लभ बीमारी गौचर से ग्रस्त 18 साल की एक लड़की का इलाज करने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रतिभा सिंह ने एम्स को निर्देश दिया कि वो लड़की के परिजनों से इलाज का खर्च नहीं लेगी.
केंद्र की ड्राफ्ट नीति अभी लागू नहीं हुई
अलीशबा खान नामक इस लड़की के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसने संबंधित अधिकारियों को उसका इलाज करने के लिए कई बार लिखा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि उसने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए पिछले 13 जनवरी को एक ड्राफ्ट राष्ट्रीय नीति बनाई, लेकिन कुछ राज्यों की आपत्ति की वजह से उसे लागू नहीं किया जा सका है. केंद्र सरकार ने कहा कि चूंकि ड्राफ्ट नीति अभी लागू नहीं की गई है इसलिए इस रोग का इलाज करने में बाधा आ रही है.
बीमारी पर एक महीने का खर्चा साढ़े तीन लाख रुपये आएगा
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील राहुल मल्होत्रा और मानस त्रिपाठी ने कहा कि इस बीमारी पर एक महीने का खर्चा साढ़े तीन लाख रुपये आएगा. ये रकम वो नहीं जुटा सकते हैं. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए केंद्र सरकार की नीति को अभी अंतिम रुप नहीं दिया जा सका है. कोर्ट ने एम्स अस्पताल को लड़की का मुफ्त में इलाज करने का आदेश दिया.