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प्रवेश परीक्षा पास करने पर भी JNV ने नहीं दिया एडमिशन, HC ने दिया दाखिले का आदेश

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Published : Jan 15, 2020, 8:15 PM IST

नवोदय विद्यालय में छठी क्लास में प्रवेश के लिए परीक्षा को पास करने के बावजूद छात्र को दाखिला नहीं दिया गया. जिस पर छात्र के पिता ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर को निर्देश दिए है.

HC ordered Navodaya Vidyalaya
HC ने की याचिका पर सुनवाई,

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने नवोदय विद्यालय के छठी क्लास की प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बावजूद दाखिला ना देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर को छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने छात्र तानिश प्राचा को निर्देश दिया कि वो 17 जनवरी को सुबह 9 बजे स्कूल पहुंचकर अपने दाखिले की प्रक्रिया पूरी करे.

प्रवेश परीक्षा में सफल हुआ था छात्र
तानिश प्राचा की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि तानिश नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर में छठी क्लास में 20219-20 शिक्षण सत्र में दाखिले के लिए 6 अप्रैल 2019 को आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ था. 24 मई को सीबीएसई ने 80 सफल छात्रों की जो सूची जारी की उसमें तानिश प्राचा का भी नाम था.

नवोदय विद्यालय ने दाखिला लेने के लिए पत्र भेजा था
उसके बाद 31 मई 2019 को स्कूल प्रशासन ने तानिश के पिता धर्मेंद्र प्राचा को अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए पत्र भेजा. पत्र में लिखा गया था कि 8 जून को वे स्कूल में जरुरी दस्तावेज के साथ उपस्थित हों.

स्कूल पहुंचने पर दाखिले से मना कर दिया
8 जून 2019 को जब धर्मेंद्र प्राचा अपने बेटे तानिश प्राचा को लेकर नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर पहुंचे. तो उसे दाखिला देने से मना कर दिया गया. स्कूल ने बच्चे को दाखिला नहीं देने का कोई आधार नहीं बताया. उसके बाद धर्मेंद्र प्राचा ने 26 जून को सांसद मनोज तिवारी से मिलकर अपनी समस्या बताई. मनोज तिवारी ने नवोदय विद्यालय को छात्र का दाखिला लेने के लिए पत्र लिखा. लेकिन उस पत्र पर भी दाखिला नहीं दिया गया.

न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट पहुंचा
जब तानिश प्राचा को दाखिला नहीं मिला तो 5 जुलाई 2019 को वो नवोदय विद्यालय समिति के पास पहुंचा. लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली. उसके बाद तानिश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि छात्र को दाखिला नहीं देकर नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 14 में वर्णित शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 21, 21ए, 38 और 41 का उल्लंघन करने के अलावा राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, 2009 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 का उल्लंघन किया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने नवोदय विद्यालय के छठी क्लास की प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बावजूद दाखिला ना देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर को छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने छात्र तानिश प्राचा को निर्देश दिया कि वो 17 जनवरी को सुबह 9 बजे स्कूल पहुंचकर अपने दाखिले की प्रक्रिया पूरी करे.

प्रवेश परीक्षा में सफल हुआ था छात्र
तानिश प्राचा की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि तानिश नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर में छठी क्लास में 20219-20 शिक्षण सत्र में दाखिले के लिए 6 अप्रैल 2019 को आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ था. 24 मई को सीबीएसई ने 80 सफल छात्रों की जो सूची जारी की उसमें तानिश प्राचा का भी नाम था.

नवोदय विद्यालय ने दाखिला लेने के लिए पत्र भेजा था
उसके बाद 31 मई 2019 को स्कूल प्रशासन ने तानिश के पिता धर्मेंद्र प्राचा को अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए पत्र भेजा. पत्र में लिखा गया था कि 8 जून को वे स्कूल में जरुरी दस्तावेज के साथ उपस्थित हों.

स्कूल पहुंचने पर दाखिले से मना कर दिया
8 जून 2019 को जब धर्मेंद्र प्राचा अपने बेटे तानिश प्राचा को लेकर नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर पहुंचे. तो उसे दाखिला देने से मना कर दिया गया. स्कूल ने बच्चे को दाखिला नहीं देने का कोई आधार नहीं बताया. उसके बाद धर्मेंद्र प्राचा ने 26 जून को सांसद मनोज तिवारी से मिलकर अपनी समस्या बताई. मनोज तिवारी ने नवोदय विद्यालय को छात्र का दाखिला लेने के लिए पत्र लिखा. लेकिन उस पत्र पर भी दाखिला नहीं दिया गया.

न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट पहुंचा
जब तानिश प्राचा को दाखिला नहीं मिला तो 5 जुलाई 2019 को वो नवोदय विद्यालय समिति के पास पहुंचा. लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली. उसके बाद तानिश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि छात्र को दाखिला नहीं देकर नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 14 में वर्णित शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 21, 21ए, 38 और 41 का उल्लंघन करने के अलावा राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, 2009 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 का उल्लंघन किया है.

Intro:नई दिल्ली । नवोदय विद्यालय के छठे क्लास की प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बावजूद दाखिला न देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर को छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने छात्र तानिश प्राचा को निर्देश दिया कि वो 17 जनवरी को सुबह 9 बजे स्कूल पहुंचकर अपने दाखिले की प्रक्रिया पूरी करे।



Body:प्रवेश परीक्षा में सफल हुआ था
तानिश प्राचा की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि तानिश ने नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर में छठी क्लास में 20219-20 शिक्षण सत्र में दाखिला के लिए 6 अप्रैल 2019 को आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ था। 24 मई को सीबीएसई ने 80 सफल छात्रों की जो सूची जारी की उसमें तानिश प्राचा का भी नाम था।
नवोदय विद्यालय ने दाखिला लेने के लिए पत्र भेजा था
उसके बाद 31 मई 2019 को स्कूल प्रशासन ने तानिश के पिता धर्मेंद्र प्राचा को अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए पत्र भेजा। पत्र में लिखा गया था कि 8 जून को वे स्कूल में जरुरी दस्तावेज के साथ उपस्थित हों।
स्कूल पहुंचने पर दाखिला से मना कर दिया
8 जून 2019 को जब धर्मेंद्र प्राचा अपने बेटे तानिश प्राचा को लेकर नवोदय विद्यालय मुंगेशपुर पहुंचे तो उसे दाखिला देने से मना कर दिया गया। स्कूल ने बच्चे को दाखिला नहीं देने का कोई आधार नहीं बताया। उसके बाद धर्मेंद्र प्राचा 26 जून को सांसद मनोज तिवारी से मिलकर अपनी समस्या बताई। मनोज तिवारी ने नवोदय विद्यालय को छात्र का दाखिला लेने के लिए पत्र लिखा। लेकिन उस पत्र पर भी दाखिला नहीं दिया गया।
न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट पहुंचा
जब तानिश प्राचा को दाखिला नहीं मिला तो 5 जुलाई 2019 को वो नवोदय विद्यालय समिति के पास पहुंचा। लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली। उसके बाद तानिश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।



Conclusion:धारा 14, 21 का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि छात्र को दाखिला नहीं देकर नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 14 में वर्णित शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि नवोदय विद्यालय ने संविधान की धारा 21, 21ए, 38 और 41 का उल्लंघन करने के अलावा राईट ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट,2009 और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 का उल्लंघन किया है।   


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