नई दिल्ली: शनिवार (6 मई) से ज्येष्ठ महीने का आगाज हो चुका है. ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2023) कहते है. ज्येष्ठ महीने की पहली संकष्टी चतुर्थी 8 मई (सोमवार) को है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से जीवन में ज्ञान और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि: एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात काल स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा से पहले मंदिर की सफाई करें. मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. गणपति को चंदन और दूर्वा अर्पित करें. इसके अलावा भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करें और ॐ गणेशाय नमः या ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद भगवान गणेश को मिठाई या लड्डू का भोग लगाएं और अंत में भगवान गणेश की आरती करें.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
1. एकदंत संकष्टी चतुर्थी की शुरूआत 8 मई (सोमवार) शाम 06.18 PM से होगी.
2. एकदंत संकष्टी चतुर्थी का समापन 9 मई (मंगलवार) शाम 04.08 PM पर होगा.
3. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 मई (सोमवार) को रखा जाएगा.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
1. भगवान गणेश की खंडित प्रतिमा या फिर फटी गली हुई फोटो की पूजा ना करें.
2. मंदिर में भगवान गणेश की दो मूर्तियों का एक साथ पूजन ना करें और ना ही मंदिर में एक साथ दो मूर्तियां रखें.
3. एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर तामसिक भोजन का सेवन ना करें. साथ ही किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी पूर्णता दूर रहें.
4. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
5. हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें. ना ही किसी पर गुस्सा करें. अपशब्द का प्रयोग करने से भी पूर्णता बचें.
6. एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की सवारी यानि चूहों को भूलकर भी परेशान ना करें.
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