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दिल्ली हिंसा : आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर 28 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी.

आरोपी शरजील इमाम
आरोपी शरजील इमाम
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Published : Sep 20, 2021, 7:08 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सुनवाई 28 सितंबर को तय की गई.


बीते दो सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शरजील इमाम ने भारत की संप्रभुता को चुनौती दी और मुसलमानों की भावनाओं के साथ खेलने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा था कि 22 जनवरी 2020 को आसनसोल में दिए भाषण में शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ भाषण देते हुए कहा कि उसने देश की संप्रभुता को चुनौती दी और मुसलमानों के मन में निराशा और असुरक्षा की भावना भरने की कोशिश की.

अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील ने अपने भाषण में कहा था कि बांग्लादेश, पाकिस्तान इत्यादि जैसे दूसरे देश नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर बोलेंगे इसलिए वे भारत सरकार की बातों को नहीं सुनेंगे.

शरजील के आसनसोल और झारखंड में दिए भाषणों के चार हफ्ते के बाद दिल्ली में दंगे भड़के. उन्होंने कहा था कि शरजील ने 23 जनवरी 2020 को झारखंड में भाषण देते हुए कहा था कि अवाम में जो गुस्सा है, उसे इस्तेमाल किया जाए. अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील ने दंगे की थीसिस दी और वो उसे अंजाम तक पहुंचाना जानता था.

वहीं एक सितंबर को सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा था कि शरजील इमाम के भाषण विभाजनकारी थे और वो पूरे तरीके से अराजकता पैदा करना चाहता था. अमित प्रसाद ने कहा था कि शरजील इमाम कोई साधारण पृष्ठभूमि का आरोपी नहीं है, वो पॉकेटमार या ड्रग की तस्करी करने वाला नहीं है बल्कि उसे अच्छा भाषण देने आता है और वो पांच भाषाओं का जानकार है. अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषणों को पढ़ा था. उन्होंने कहा था कि शरजील के भाषणों में तीन बातें साफ थीं. पहला तो ये कि उसके भाषण विभाजनकारी थे, उसके भाषण में किसी एक ही समुदाय को उकसाने की कोशिश की गई थी ताकि पूरे तरीके से अराजकता फैल जाए. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर ने कहा था कि शरजील का भाषण अस्सलाम-ओ-अलैकुम से शुरू हुआ, जिससे साफ है कि वो एक खास समुदाय को संबोधित कर रहा था.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा के मामले में शरजील इमाम की कड़कड़डूमा कोर्ट पेशी आज



24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17 और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395, 419, 420, 427, 435, 436, 452, 454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया. जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सुनवाई 28 सितंबर को तय की गई.


बीते दो सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शरजील इमाम ने भारत की संप्रभुता को चुनौती दी और मुसलमानों की भावनाओं के साथ खेलने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा था कि 22 जनवरी 2020 को आसनसोल में दिए भाषण में शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ भाषण देते हुए कहा कि उसने देश की संप्रभुता को चुनौती दी और मुसलमानों के मन में निराशा और असुरक्षा की भावना भरने की कोशिश की.

अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील ने अपने भाषण में कहा था कि बांग्लादेश, पाकिस्तान इत्यादि जैसे दूसरे देश नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर बोलेंगे इसलिए वे भारत सरकार की बातों को नहीं सुनेंगे.

शरजील के आसनसोल और झारखंड में दिए भाषणों के चार हफ्ते के बाद दिल्ली में दंगे भड़के. उन्होंने कहा था कि शरजील ने 23 जनवरी 2020 को झारखंड में भाषण देते हुए कहा था कि अवाम में जो गुस्सा है, उसे इस्तेमाल किया जाए. अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील ने दंगे की थीसिस दी और वो उसे अंजाम तक पहुंचाना जानता था.

वहीं एक सितंबर को सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा था कि शरजील इमाम के भाषण विभाजनकारी थे और वो पूरे तरीके से अराजकता पैदा करना चाहता था. अमित प्रसाद ने कहा था कि शरजील इमाम कोई साधारण पृष्ठभूमि का आरोपी नहीं है, वो पॉकेटमार या ड्रग की तस्करी करने वाला नहीं है बल्कि उसे अच्छा भाषण देने आता है और वो पांच भाषाओं का जानकार है. अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषणों को पढ़ा था. उन्होंने कहा था कि शरजील के भाषणों में तीन बातें साफ थीं. पहला तो ये कि उसके भाषण विभाजनकारी थे, उसके भाषण में किसी एक ही समुदाय को उकसाने की कोशिश की गई थी ताकि पूरे तरीके से अराजकता फैल जाए. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर ने कहा था कि शरजील का भाषण अस्सलाम-ओ-अलैकुम से शुरू हुआ, जिससे साफ है कि वो एक खास समुदाय को संबोधित कर रहा था.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा के मामले में शरजील इमाम की कड़कड़डूमा कोर्ट पेशी आज



24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17 और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395, 419, 420, 427, 435, 436, 452, 454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया. जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

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