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गुरुद्वारा प्रबंध के दावेदारों पर आज लगेगी मुहर, नतीजों के साथ आएगा चुनौतियों का भार

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए हुए चुनावों का परिणाम आज आ रहा है. चुनाव नतीजों के साथ ही इस बात पर मुहर लग जाएगी कि 2021 से लेकर 2025 तक दिल्ली के गुरुद्वारों का प्रबंध और इस संबंध में बड़े फैसलों के लिए जिम्मेदारी कौनसी पार्टी को जाएगी.

Delhi Sikh Gurdwara Management Committee election results today
गुरुद्वारा प्रबंध के दावेदारों पर आज लगेगी मुहर
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Published : Aug 25, 2021, 9:34 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए हुए चुनावों का परिणाम आज आ रहा है. चुनाव नतीजों के साथ ही इस बात पर मुहर लग जाएगी कि 2021 से लेकर 2025 तक दिल्ली के गुरुद्वारों का प्रबंध और इस संबंध में बड़े फैसलों के लिए जिम्मेदारी कौनसी पार्टी को जाएगी. हालांकि, करोड़ों की गोलक की रखवाली और गुरुघरों की सेवा की जिम्मेदारी भी मौजूदा समय की कई चुनौतियों के साथ आएगी.

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव बेशक गुरु घर की सेवा के लिए होते हैं लेकिन यह राजनीति का भी एक बड़ा केंद्र होते हैं. इन्हीं चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप, बेकार प्रबंधन की दुहाई और अलग-अलग मुद्दों को लेकर संगत के बीच जाना इस बात को दर्शाता है कि पदों के लिए यहां सिर्फ कई तरह की नीतियों का इस्तेमाल करना पड़ता है.

इस बार भी ऐसा हुआ है. पार्टियों और उम्मीदवारों ने इस बार जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. नतीजों के साथ ही इस जोर का फल भी मिलेगा लेकिन जो भी जीतेगा उसे उन तमाम चुनौतियों को पार करना होगा जो मौजूदा समय में मुद्दे बनकर चुनावों में रही हैं.

गुरुद्वारा कमेटी चुनाव प्रचार में गुरुद्वारा बाला साहिब परिसर में बन रहे अस्पताल का मुद्दा हावी रहा है. शिरोमणि अकाली दल (बादल) की ओर से जहां एक तरफ अपने 2 साल के काम गिनाने के साथ ही यह भी बताया गया है कि मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में अस्पताल का काम पूरा कर लिया गया है तो वहीं विरोधी इसे चुनावी चाल ही बताते रहे हैं. जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके कहते हैं कि त्रिशा ने चुनाव सिर पर आते देख आनन-फानन में ना तो बिल्डिंग की मरम्मत ठीक से करवाई और ना ही किसी तरह की कोई इजाजत ली.

चुनाव में फायदा लेने के लिए अस्पताल की घोषणा कर दी गई जबकि अस्पताल नाम का कुछ तैयार ही नहीं है. उधर शिरोमणी अकाली दल दिल्ली तो अस्पताल के विरोध में कोर्ट तक पहुंच गया. चुनाव से पहले अस्पताल का उद्घाटन तो नहीं हो पाया लेकिन अब प्रबंध जिसके भी हाथों में जाएगा उसके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी इस अस्पताल को शुरू करने की होगी. अस्पताल बिल्डिंग की मौजूदा स्थिति और पैसे की कमी को देखते हुए अस्पताल शुरू कर निशुल्क सुविधाएं देना यहां नए प्रबंधकों के लिए बड़ी चुनौती होगा.

ये भी पढ़ें- सुबह 8 बजे शुरू होगी वोटों की गिनती, 5 जगहों पर बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन और खासकर स्कूलों में काम कर रहे कर्मचारियों को उनका एरियर नहीं मिला है. इस संबंध में कोर्ट में भी मामले चल रहे हैं. हालांकि दुहाई दी जाती है कि कमेटी के पास इतना पैसा नहीं है. भ्रष्टाचार और बेकार प्रबंधन इसका कारण बताए जाते हैं. कारण जो भी हो सभी कर्मचारी अब नए प्रबंधकों की ओर आस भरी नजरों से देख रहे हैं. कमेटी में काबिज होने वाली पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा समय में उन कर्मचारियों को पैसा देने की होगी. ऐसा तब होगा जबकि नए प्रबंधन के साथ फण्ड में बढ़ोतरी नहीं होगी बल्कि वही माध्यम रहेंगे.

गुरुद्वारा प्रबंध में जो भी पार्टी आए उसे पुरानी सभी सुविधाएं जारी रखनी होंगी. डायलिसिस सेंटर और एमआरआई स्कैन सेंटर इसमें प्रमुख हैं. मौजूदा समय में विपक्ष में बैठी पार्टियां पहले ही डायलिसिस सेंटर और एमआरआई स्कैन सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुकी है. ऐसे में जो भी कमेटी पद पर काबिज होता है उसे इन सुविधाओं को संगत के लिए चालू रखना होगा और ये कैसे होगा इस पर विचार ज़रूरी है.

ये भी पढ़ें- DSGMC Election : जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने ठोका जीत का दावा

इससे अलग, धर्मप्रचार, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, संगत के बीच विश्वास और ऐसे अनगिनत मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है. नई पार्टी और पदाधिकारियों को ज़िम्मेदारी तो मिलेगी, लेकिन इसके साथ वो चुनौतियां भी आएंगी जिन्हें पर करना आसान नहीं है. नतीजों के बाद ये तो साफ हो ही जाएगा कि अगले 4 साल कौन इन चुनौतियों से दो-दो हाथ करने वाला है.



दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक ऑटोनॉमस ऑर्गेनाइजेशन है जो दिल्ली के गुरुद्वारों का प्रबंध देखने के साथ ही कमेटी के अधीन चलने वाले शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों का प्रबंधन देखती है. कमेटी साल 1971 में संसद द्वारा पास किए गए दिल्ली सिख गुरुद्वारा एक्ट के तहत चलती है. इसमें कुल 55 सदस्य होते हैं जिसमें 46 दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से चुनकर आते हैं. कमेटी के पहले चुनाव साल 1974 में हुए थे. हर 4 साल में यहां इलाकों से प्रतिनिधि चुने जाते हैं जो कमिटी के पहले जनरल हाउस में अपना अध्यक्ष चुनते हैं. मौजूदा समय में शिरोमणि अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए हुए चुनावों का परिणाम आज आ रहा है. चुनाव नतीजों के साथ ही इस बात पर मुहर लग जाएगी कि 2021 से लेकर 2025 तक दिल्ली के गुरुद्वारों का प्रबंध और इस संबंध में बड़े फैसलों के लिए जिम्मेदारी कौनसी पार्टी को जाएगी. हालांकि, करोड़ों की गोलक की रखवाली और गुरुघरों की सेवा की जिम्मेदारी भी मौजूदा समय की कई चुनौतियों के साथ आएगी.

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव बेशक गुरु घर की सेवा के लिए होते हैं लेकिन यह राजनीति का भी एक बड़ा केंद्र होते हैं. इन्हीं चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप, बेकार प्रबंधन की दुहाई और अलग-अलग मुद्दों को लेकर संगत के बीच जाना इस बात को दर्शाता है कि पदों के लिए यहां सिर्फ कई तरह की नीतियों का इस्तेमाल करना पड़ता है.

इस बार भी ऐसा हुआ है. पार्टियों और उम्मीदवारों ने इस बार जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. नतीजों के साथ ही इस जोर का फल भी मिलेगा लेकिन जो भी जीतेगा उसे उन तमाम चुनौतियों को पार करना होगा जो मौजूदा समय में मुद्दे बनकर चुनावों में रही हैं.

गुरुद्वारा कमेटी चुनाव प्रचार में गुरुद्वारा बाला साहिब परिसर में बन रहे अस्पताल का मुद्दा हावी रहा है. शिरोमणि अकाली दल (बादल) की ओर से जहां एक तरफ अपने 2 साल के काम गिनाने के साथ ही यह भी बताया गया है कि मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में अस्पताल का काम पूरा कर लिया गया है तो वहीं विरोधी इसे चुनावी चाल ही बताते रहे हैं. जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके कहते हैं कि त्रिशा ने चुनाव सिर पर आते देख आनन-फानन में ना तो बिल्डिंग की मरम्मत ठीक से करवाई और ना ही किसी तरह की कोई इजाजत ली.

चुनाव में फायदा लेने के लिए अस्पताल की घोषणा कर दी गई जबकि अस्पताल नाम का कुछ तैयार ही नहीं है. उधर शिरोमणी अकाली दल दिल्ली तो अस्पताल के विरोध में कोर्ट तक पहुंच गया. चुनाव से पहले अस्पताल का उद्घाटन तो नहीं हो पाया लेकिन अब प्रबंध जिसके भी हाथों में जाएगा उसके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी इस अस्पताल को शुरू करने की होगी. अस्पताल बिल्डिंग की मौजूदा स्थिति और पैसे की कमी को देखते हुए अस्पताल शुरू कर निशुल्क सुविधाएं देना यहां नए प्रबंधकों के लिए बड़ी चुनौती होगा.

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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन और खासकर स्कूलों में काम कर रहे कर्मचारियों को उनका एरियर नहीं मिला है. इस संबंध में कोर्ट में भी मामले चल रहे हैं. हालांकि दुहाई दी जाती है कि कमेटी के पास इतना पैसा नहीं है. भ्रष्टाचार और बेकार प्रबंधन इसका कारण बताए जाते हैं. कारण जो भी हो सभी कर्मचारी अब नए प्रबंधकों की ओर आस भरी नजरों से देख रहे हैं. कमेटी में काबिज होने वाली पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा समय में उन कर्मचारियों को पैसा देने की होगी. ऐसा तब होगा जबकि नए प्रबंधन के साथ फण्ड में बढ़ोतरी नहीं होगी बल्कि वही माध्यम रहेंगे.

गुरुद्वारा प्रबंध में जो भी पार्टी आए उसे पुरानी सभी सुविधाएं जारी रखनी होंगी. डायलिसिस सेंटर और एमआरआई स्कैन सेंटर इसमें प्रमुख हैं. मौजूदा समय में विपक्ष में बैठी पार्टियां पहले ही डायलिसिस सेंटर और एमआरआई स्कैन सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुकी है. ऐसे में जो भी कमेटी पद पर काबिज होता है उसे इन सुविधाओं को संगत के लिए चालू रखना होगा और ये कैसे होगा इस पर विचार ज़रूरी है.

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इससे अलग, धर्मप्रचार, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, संगत के बीच विश्वास और ऐसे अनगिनत मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है. नई पार्टी और पदाधिकारियों को ज़िम्मेदारी तो मिलेगी, लेकिन इसके साथ वो चुनौतियां भी आएंगी जिन्हें पर करना आसान नहीं है. नतीजों के बाद ये तो साफ हो ही जाएगा कि अगले 4 साल कौन इन चुनौतियों से दो-दो हाथ करने वाला है.



दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक ऑटोनॉमस ऑर्गेनाइजेशन है जो दिल्ली के गुरुद्वारों का प्रबंध देखने के साथ ही कमेटी के अधीन चलने वाले शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों का प्रबंधन देखती है. कमेटी साल 1971 में संसद द्वारा पास किए गए दिल्ली सिख गुरुद्वारा एक्ट के तहत चलती है. इसमें कुल 55 सदस्य होते हैं जिसमें 46 दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से चुनकर आते हैं. कमेटी के पहले चुनाव साल 1974 में हुए थे. हर 4 साल में यहां इलाकों से प्रतिनिधि चुने जाते हैं जो कमिटी के पहले जनरल हाउस में अपना अध्यक्ष चुनते हैं. मौजूदा समय में शिरोमणि अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हैं.

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