नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुंबई ट्रेन विस्फोट के दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिका में सिद्दीकी ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसने याचिका खारिज करने के लिए एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को निर्देश देने की भी मांग की थी.
याचिकाकर्ता के वकील ने तब याचिका वापस ले ली, जब अदालत ने कहा कि वह जुर्माने के साथ याचिका खारिज कर देगी. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आरटीआई आवेदन के तहत जो मांगा गया है, वह सूचना नहीं बल्कि एक निर्देश है. न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना के उपयोग की एक सीमा है. अदालत भारी कीमत चुकाकर याचिका को खारिज करने को तैयार है. भले ही याचिका कानूनी सहायता के माध्यम से स्थानांतरित की गई हो, तब भी इसके उपयोग की एक सीमा है. न्यायमूर्ति ने पूछा कि इसकी लागत कितनी थी.
कोर्ट ने सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाते हुए याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी. दरअसल याचिकाकर्ता, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने 13 सितंबर, 2022 के सीआईसी के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसकी अपील खारिज कर दी गई. जहां उसने एनआईए को आतंकी हमले की नए सिरे से जांच के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेने को कहा था. उसने यह भी कहा था कि उसे मामले में फंसाया गया था और मामले में सामने आए ताजा इनपुट पर जानकारी मांगी थी. साथ ही एनआईए से ताजा सामग्री के आलोक में मामले की नए सिरे से जांच करने को भी कहा था.
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