नई दिल्ली/नोएडा: गाजियाबाद कावड़ यात्रा के रंग में रंगा हुआ दिखाई दे रहा है. हर जगह शिव भक्ति के गीत सुनाई दे रहे हैं. कावड़ मार्ग पर भी हजारों की संख्या में कावड़िए गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं. यूं कहें कि पूरा शहर शिव की भक्ति में रंगा हुआ है. कावड़ यात्रा का आज आखिरी दिन है ऐसे में सड़कों पर डाक कावड़ की भागमभाग दिखाई दे रही है. जल लेकर डाक कावड़िए अपने अपने क्षेत्र के शिवालयों की ओर तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
गाजियाबाद के मेरठ रोड पर जहां एक तरफ हजारों की संख्या में पैदल कावड़िए गुजर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में डाक कावड़ भी दौड़ रही है. डाक कावड़ सबसे कठिन कावड़ मानी जाती है. शिव भक्त रवि त्यागी ने बताया 14 जुलाई को सुबह 11:00 बजे हरिद्वार की पौड़ी से जल उठाया था. 15 जुलाई को तकरीबन दोपहर 11:00 बजे गाजियाबाद की सीमा में दाखिल हुए हैं. हमारे जत्थे में कुल 20 शिवभक्त शामिल हैं. रात आठ बजे तक गुड़गांव पहुंचना है. जत्थे में कई मोटरसाइकिल भी मौजूद हैं जिनकी मदद से डाक कांवड़िए जल को दूसरे कावड़िए को थमा कर मोटरसाइकिल पर बैठकर आगे बढ़ते हैं.
डाक कांवड़ियों के मुताबिक हरिद्वार से दिल्ली का करीब दो सौ किलोमीटर रास्ता तय करने में तकरीबन 30 घंटे का वक्त लगता है. डाक कावड़ काफी कठिन मानी गई है. जब कांवड़िए हरिद्वार से जल उठाते हैं तो विभिन्न स्थानों पर लगे शिविरों में समय-समय पर विश्राम करते हैं लेकिन डाक कावड़ को लेकर काफी सख्त नियम है. जब एक बार डाक कावड़ को उठा लिया जाता है तो फिर विश्राम नहीं कर सकते. लगातार कावड़ यात्रा को जारी रखना होता है. डाक कावड़ यात्रा में कावड़िए को तय समय में भगवान शिव का जलाभिषेक करना होता है.
प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी जी महाराज के मुताबिक इस बार गाजियाबाद से तकरीबन 12 से 15 लाख कावड़ियों के गुजरने का अनुमान बताया गया है. जिनमें से तकरीबन साढ़े तीन से चार लाख कावड़िए गाजियाबाद समेत आसपास के क्षेत्रों के बताए गए हैं.
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