नई दिल्ली: देश की प्राचीन और पौराणिक परंपराओं पर चाइनीज बाजारों ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दिवाली आने वाला है और दिवाली की तैयारियां कर रहे कुम्हार हाथ पर हाथ रखे खाली बैठे हैं. कुम्हारों का कहना है कि चाइनीज बाजारों ने पूरी तरह से इन लोगों के रोजगार पर असर डाला है और बाकी की कसर सरकार ने पूरी कर दी है. अब कुम्हारों का परिवार खाली बैठकर सरकार को कोस रहा है.
'चीनी सामानों ने ले ली जगह'
भारतवर्ष में देवी-देवताओं की पूजा के लिए मिट्टी के बर्तनों में पूजा करना शुभ माना जाता है. जैसे-जैसे समय बदलता गया, हालात बदलते गए. मिट्टी के बर्तनों की जगह चाइनीज सामानों ने ले ली. देवी-देवताओं की पूजा के लिए मिट्टी के दीये जलाये जाते हैं. बाजार से मिट्टी के दिए केवल पूजा अर्चना लिए ही लोग खरीदते हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार के परिवार से बात की. उनका कहना है कि दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से चलती है. मिट्टी के दीयों का कारोबार बिल्कुल ठप पड़ा है. चार पांच लोगों का परिवार मिलकर सुबह से शाम तक मात्र 150 रुपये से 200 रुपये ही कमा पाता है.
'मजबूरी में करना पड़ता है काम'
सरकार ने पहले कुम्हारों के लिए मिट्टी के भंडार दिए थे लेकिन अब सरकार ने वापस ले लिए हैं. मिट्टी बाहर से महंगे दामों पर खरीद कर लानी पड़ती है. ऊपर से पुलिस वाले प्रतिबंधित मिट्टी लाने के आरोप में बंद तक कर देते हैं. जिसकी वजह से प्राचीन और पौराणिक परंपराएं खत्म होती जा रही है. कोई कुम्हार इस तरह के काम करना नहीं चाहता लेकिन मजबूरी और हालात ऐसे हैं कि दूसरे रोजगार ना होने की वजह से यह लोग अपने इन्हीं काम को अपनाए हुए हैं.