नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई को टाल दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 और 29 फरवरी को होगी. आज सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने कहा कि प्रिया रमानी के आरोप मनगढ़ंत थे और उससे उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा.
सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने कहा कि अकबर ने अपने 44 साल के करियर में काफी प्रतिष्ठा अर्जित की. लूथरा ने कहा कि एमजे अकबर पर प्रिया रमानी के ट्वीट मानहानि वाले थे, न कि अपने बचाव में ट्वीट किए गए थे. जब कोई व्यक्ति बिना नाम लिए कहे कि हमारे पास एमजे अकबर की स्टोरी है, तो सवाल उठता है कि वो अभी क्यों उठाया गया.
'लगाए काल्पनिक आरोप'
लूथरा ने प्रिया रमानी के खिलाफ दायर याचिका को पढ़ते हुए कहा कि उन्होंने कल्पना के आधार पर सभी आरोप लगाए. ये संवाद न तो किसी के हित में और न ही वो दो व्यक्तियों के बीच का था. जो प्रतिष्ठा 49-50 वर्षों में अर्जित की गई उसे बिना किसी जिम्मेदारी के ध्वस्त कर दिया गया.
'मानहानि की नीयत से किया गया काम'
लूथरा ने कहा कि क्या कोई व्यक्ति 20-25 साल के पहले के आरोपों पर अपना जवाब दे सकता है. अगर अकबर का कोई दोस्त या उनकी पत्नी ऐसा करती तो बात समझ में आती, लेकिन वो मानहानि की नीयत से किया गया था. अगर कोई शिकायत थी तो उसी समय उचित फोरम पर उठाना चाहिए था. हमें किसी राजनीतिक सवारी पर सवार नहीं होना चाहिए. हम सोशल मीडिया कंट्री नहीं हो सकते हैं.
गवाहों का दिया हवाला
लूथरा ने अक्टूबर 2018 के रमानी के ट्वीट को पढ़ते हुए कहा कि इससे कोई साबित क्या करना चाहता है? रमानी के ट्वीट के बाद अकबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. यही प्रिया रमानी की विजय थी. लूथरा ने गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अगर एक दो व्यक्ति कह रहे हैं कि अकबर का मानहानि हुआ है तो यही काफी है. गवाहों ने अकबर के साथ काम किया है.