ETV Bharat / state

वक्त आने पर बता देंगे पूर्वांचल का असली नेता कौन- महाबल मिश्रा - purvanchali

कांग्रेस के सीनियर नेता महाबल मिश्रा ने कहा है कि वक्त आने पर दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का नेता कौन है.

कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा से खास बातचीत
author img

By

Published : Mar 16, 2019, 4:59 PM IST

नई दिल्ली: मिशन 2019 के लिए तमाम राजनीतिक दल वोटरों को साधने में लगे हैं. दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की बात की जाए, वोट के हिसाब से पूर्वांचली मतदाता एक अहम भूमिका निभाते हैं. इस चुनाव में भी हर पार्टी इन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश में लगी है. इधर कांग्रेस के सीनियर नेता महाबल मिश्रा ने कहा है कि वक्त आने पर दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का नेता कौन है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में महाबल मिश्रा ने कहा कि 2014 का चुनाव एक परिवर्चन की लहर थी. कांग्रेस के खिलाफ दूषित वातावरण फैलाया गया. अब लोग झूठ समझ चुके हैं और कांग्रेस के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है.

दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों ने हमेशा का साथ दिया. लेकिन 2014 में राम मंदिर और 15 लाख जुमले में खो गए और 2015 में केजरीवाल के दिखाए सपनों में लोग उलझ गए. लेकिन आज ना लोगों को पैसा मिला, न नौकरी मिली. लेकिन अब समय आएगा तो दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का असली नेता कौन है.

वक्त आने पर बता देंगे पूर्वांचल का असली नेता कौन- महाबल मिश्रा

पूर्वांचलियों के हित में अपने कामों को गिनाते हुए महाबल मिश्रा ने कहा कि 1998 में मैंने मैथिली भोजपुरी अकादमी की लड़ाई लड़ी, छठ पूजा को दिल्ली में मान्यता दिलाने की लड़ाई लड़ी, 1999 में योगदान आहुजा ने जब प्रस्ताव लाया कि पूर्वांचली लोग दिल्ली को गंदा करते हैं, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगना चाहिए, तो मैंने इसका विरोध किया, 2004 में जब एक बीजेपी विधायक ने पूर्वांचली छात्रों का दिल्ली में एडमिशन रोकने की बात कही तो उसके खिलाफ खड़े हुए.

महाबल मिश्रा कहते हैं कि अभी के समय में जो लोग खुद को पूर्वांचल का नेता कहते हैं, वो लोग कार्पेट पर चलकर आए हैं, जबकि हमने जब पूर्वांचलियों के लिए काम शुरू किया तो हमारा रास्ता कांटों भरा था.

कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा से खास बातचीत

महाबल मिश्रा से सवाल करने पर कि 2014 के बाद जिस तरह से दिल्ली में मनोज तिवारी पूर्वांचलियों के नेता के रूप में उभरे हैं, तो ऐसे में क्या अभी भी महाबल मिश्रा की पूर्वांचली नेता की सार्थकता बरकरार है?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2014 में लोगों ने परिवर्तन के नाम पर ही वोट दिया था, 2015 में अगर मनोज तिवारी के चेहरे पर पूर्वांचलियों ने वोट दिया होता तो बीजेपी 3 सीटों पर नहीं सिमटती. महाबल मिश्रा 2014 में पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार भी कांग्रेस उन पर दाव लगा सकती है.

अपने क्षेत्र की चुनावी तैयारियों के सवाल पर महाबल मिश्रा कहते हैं कि मैं तो 365 दिन चुनाव लड़ता हूं.2014 में चुनाव हारने के बावजूद मैं हर दिन क्षेत्र में रहा हूं और हमेशा मैदान में जाने को तैयार हूं.

नई दिल्ली: मिशन 2019 के लिए तमाम राजनीतिक दल वोटरों को साधने में लगे हैं. दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की बात की जाए, वोट के हिसाब से पूर्वांचली मतदाता एक अहम भूमिका निभाते हैं. इस चुनाव में भी हर पार्टी इन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश में लगी है. इधर कांग्रेस के सीनियर नेता महाबल मिश्रा ने कहा है कि वक्त आने पर दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का नेता कौन है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में महाबल मिश्रा ने कहा कि 2014 का चुनाव एक परिवर्चन की लहर थी. कांग्रेस के खिलाफ दूषित वातावरण फैलाया गया. अब लोग झूठ समझ चुके हैं और कांग्रेस के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है.

दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों ने हमेशा का साथ दिया. लेकिन 2014 में राम मंदिर और 15 लाख जुमले में खो गए और 2015 में केजरीवाल के दिखाए सपनों में लोग उलझ गए. लेकिन आज ना लोगों को पैसा मिला, न नौकरी मिली. लेकिन अब समय आएगा तो दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का असली नेता कौन है.

वक्त आने पर बता देंगे पूर्वांचल का असली नेता कौन- महाबल मिश्रा

पूर्वांचलियों के हित में अपने कामों को गिनाते हुए महाबल मिश्रा ने कहा कि 1998 में मैंने मैथिली भोजपुरी अकादमी की लड़ाई लड़ी, छठ पूजा को दिल्ली में मान्यता दिलाने की लड़ाई लड़ी, 1999 में योगदान आहुजा ने जब प्रस्ताव लाया कि पूर्वांचली लोग दिल्ली को गंदा करते हैं, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगना चाहिए, तो मैंने इसका विरोध किया, 2004 में जब एक बीजेपी विधायक ने पूर्वांचली छात्रों का दिल्ली में एडमिशन रोकने की बात कही तो उसके खिलाफ खड़े हुए.

महाबल मिश्रा कहते हैं कि अभी के समय में जो लोग खुद को पूर्वांचल का नेता कहते हैं, वो लोग कार्पेट पर चलकर आए हैं, जबकि हमने जब पूर्वांचलियों के लिए काम शुरू किया तो हमारा रास्ता कांटों भरा था.

कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा से खास बातचीत

महाबल मिश्रा से सवाल करने पर कि 2014 के बाद जिस तरह से दिल्ली में मनोज तिवारी पूर्वांचलियों के नेता के रूप में उभरे हैं, तो ऐसे में क्या अभी भी महाबल मिश्रा की पूर्वांचली नेता की सार्थकता बरकरार है?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2014 में लोगों ने परिवर्तन के नाम पर ही वोट दिया था, 2015 में अगर मनोज तिवारी के चेहरे पर पूर्वांचलियों ने वोट दिया होता तो बीजेपी 3 सीटों पर नहीं सिमटती. महाबल मिश्रा 2014 में पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार भी कांग्रेस उन पर दाव लगा सकती है.

अपने क्षेत्र की चुनावी तैयारियों के सवाल पर महाबल मिश्रा कहते हैं कि मैं तो 365 दिन चुनाव लड़ता हूं.2014 में चुनाव हारने के बावजूद मैं हर दिन क्षेत्र में रहा हूं और हमेशा मैदान में जाने को तैयार हूं.

Intro:दिल्ली का कोई भी क्षेत्र पूर्वांचली मतदाताओं से अछूता नहीं है। कमोबेश हर विधानसभा में पूर्वांचल मतदाताओं की मौजूदगी है। ऐसे में चुनावी राजनीति के हिसाब से पूर्वांचली दिल्ली में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। इस चुनाव में भी हर पार्टी इन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश में लगी है। महाबल मिश्रा दिल्ली में कांग्रेस के बड़े पूर्वांचली चेहरा माने जाते रहे हैं। इस चुनाव के मद्देनजर पूर्वांचली राजनीति को लेकर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की।


Body:महाबल मिश्रा विधायक भी रह चुके हैं और सांसद भी। शीला दीक्षित के 15 साल के शासन काल में पूर्वांचली मतों को कांग्रेस की तरफ बनाया रखने में महाबल मिश्रा का अच्छा खासा योगदान रहा है। लेकिन 2014 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनोज तिवारी को दिल्ली में आगे किए जाने के बाद महाबल मिश्रा की पूर्वांचली पहचान मंद पड़ने लगी।

इस बारे में ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में महाबल मिश्रा कहते हैं कि 2014 और 2015 का मुद्दा दूसरा था। वह परिवर्तन की आंधी थी। 2014 में लोग राम मंदिर और 15 लाख जुमले में खो गए और 2015 में केजरीवाल द्वारा दिखाए गए सपने में। अब समय आएगा तो दिखा देंगे कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का असली नेता कौन है।

पुर्वांचलियों के हित में अपने द्वारा किए गए कामों को गिनाते हुए महाबल मिश्रा कहते हैं, 1998 में मैंने मैथिली भोजपुरी अकादमी की लड़ाई लड़ी, छठ पूजा को दिल्ली में मान्यता दिलाने की लड़ाई लड़ी, 1999 में योगदान आहुजा ने जब प्रस्ताव लाया कि पूर्वांचली लोग दिल्ली को गंदा करते हैं, इसलिए इनपर प्रतिबंध लगना चाहिए, तो मैंने उसका विरोध किया, 2004 में जब एक भाजपा विधायक ने पूर्वांचली छात्रों का दिल्ली में एडमिशन रोकने की बात कही तो उसके खिलाफ खड़ा हुए।

महाबल मिश्रा कहते हैं कि अभी के समय में जो लोग खुद को पूर्वांचल का नेता कहते हैं, वो लोग कार्पेट पर चलकर आए हैम, जबकि हमने जब पुर्वांचलियों के लिए काम शुरू किया तो हमारा रास्ता कांटों भरा था। हमने महाबल मिश्रा से पूछा कि 2014 के बाद जिस तरह से दिल्ली में मनोज तिवारी पूर्वांचलियों के नेता के रूप में उभरे हैं, तो ऐसे में क्या अभी भी महाबल मिश्रा की पूर्वांचली नेता की सार्थकता बरकरार है?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2014 में लोगों ने परिवर्तन के नाम पर ही वोट दिया था, 2015 में अगर मनोज तिवारी के चेहरे पर पुर्वांचलियों ने वोट दिया होता तो भाजपा 3 सीटों पर नहीं सिमटती। महाबल मिश्रा 2014 में पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार भी कांग्रेस उनपर दाव लगा सकती है। अपने क्षेत्र की चुनावी तैयारियों के सवाल पर महाबल मिश्रा कहते हैं कि मैं तो 365 दिन चुनाव लड़ता हूं। 2014 में चुनाव हारने के बावजूद मैं हर दिन क्षेत्र में रहा हूं और हमेशा मैदान में जाने को तैयार हूं।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.