नई दिल्ली: विंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने नस्लवाद के खिलाफ जंग छेड़ते हुए एक बयान दिया है. सैमी ने कहा है कि युवा खिलाड़ियों को नस्लवाद के खिलाफ जागरूकता के लिए शिक्षित करना जरूरी हो गया है.
सैमी ने कहा, “जैसे डोपिंग और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए प्रयास किए गए उसी तरह नस्लवाद के खिलाफ व्यवस्थित स्तर पर युवा क्रिकेटर्स को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, जिससे यह भेदभाव कम किया जा सके.”
सैमी ने ये बयान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के एक कार्यक्रम में दिया जिसमें वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप, इंग्लैंड की महिला क्रिकेटर ईशा गुहा, साउथ अफ्रीका के पूर्व ऑलराउंडर जेपी ड्यूमिनी, ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर टॉम मूडी और पाकिस्तान के बाजिद खान मौजूद थे.
सैमी ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि इससे युवा क्रिकेटर क्रिकेट में विविधता को समझ सकेंगे और अपने करियर के शुरू में ही इसे आत्मसात कर सकते हैं.'
ऐसे नस्लवाद का सामना किया
सैमी ने पिछले महीने ही आईपीएल फ्रेंचाइजी संनराइजर्स हैदराबाद के अपने साथियों पर नस्लवाद का इलजाम लगाया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके टीम के साथी उनको ‘कालू’ कह कर बुलाते हैं जिसपर उनको माफी मांगनी चाहिए.
नस्लवाद की जंग
यूं तो नस्लवाद से जंग काफी पुरानी है लेकिन अमेरिका में अफ्रीकी मूल के अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस अधिकारी के हाथों मौत के बाद से ही नस्लवाद दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
इस पर ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर टॉम मूडी ने कहा,'हमारे क्रिकेट समुदाय के नेतृत्वकर्ता चाहे वो कप्तान हों, सीनियर खिलाड़ी हों, कोच हों या प्रशासक, खिलाड़ियों को शिक्षित करने की हमारी बड़ी जिम्मेदारी है.'
इंग्लैंड की क्रिकेटर गुहा ने कहा, "ये बदलाव का अवसर है और इस संबंध में उन्होंने इंग्लैंड टीम की विविधता का उदाहरण दिया, जबकि बिशप ने कहा, 'यहां कोई ऐसा नहीं है, जो मुफ्त के उपहार की मांग कर रहा हो. हम सभी बहुत लगन और मेहनत से काम करते हैं और हम दुनिया भर में समानता और सभी के लिए समान अवसर चाहते हैं.'