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कॉमनवेल्थ गेम्स के बहिष्कार पर क्या बोले भारतीय खिलाड़ी ?

शूटिंग को कॉमनवेल्थ गेम्स से हटाए जाने पर अमित पंघाल, अभिनव बिंद्रा और दूती चन्द के साथ-साथ कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.

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Published : Jul 30, 2019, 4:45 PM IST

हैदराबाद: कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन ने पिछले महीने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तीन नए खेलों को शामिल करने का सुझाव दिया था. इस टूर्नामेंट में निशानेबाजी को बाहर किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया था.

भारतीय ओलिंपिक संघ ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए 2022 बर्मिंगम राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार किए जाने की बात चल रही है. भारत ने पिछले कई सालों में निशानेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया है. अगर इस खेल को राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया जाता है तो भारत को मेडल काउंट में काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है. गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले संस्करण में 66 में से 16 मेडल शूटिंग में आए थे.

भारत के एथलिटों को अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीतने में प्रशिक्षण बजट के आवंटन से लेकर आजीविका के लिए रोजगार हासिल करने तक की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस मुद्दे पर कई खिलाड़ियों ने अपनी बात रखी है

अचंता शरथ कमल (टेबल टेनिस)

मुझे लगता है कि आईओए को सभी खेलों को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लेना चाहिए. अगर आईओए बाकी खेलों का भी बहिष्कार करेगा तो बहुत मुश्किल होगी. मुझे नहीं पता कि ये सही है या नहीं लेकिन आईओए ये कदम उठाना चाहता है क्योंकि निशानेबाजी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खेल है.

अमित पंघाल (मुक्केबाज़ी)

राष्ट्रमंडल खेल हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन हम वैसा ही करेंगे जैसा खेल विभाग निर्णय लेगा. शूटिंग ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है. इसलिए, मेरे अनुसार, केवल इसके लिए स्टैंड लेना सही होगा.

रजत चौहान (तीरंदाजी)

2010 के बाद से, तीरंदाजी किसी भी राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं रही है, न तो 2014 में और न ही 2018 में. किसी ने उस वक्त ऐसा करने के बारे में नहीं सोचा था. इसलिए यदि आप केवल शूटिंग के लिए कर रहे हैं, तो यह गलत है, मैं इसके बिल्कुल खिलाफ हूँ.

अभिनव बिंद्रा
अभिनव बिंद्रा

अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)

बहिष्कार किसी बात का समाधान नहीं है, इससे बस खिलाड़ी प्रभावित होते है.

दूती चन्द
दूती चन्द

दूती चन्द (एथलीट)

हम देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए यदि देश नहीं जा रहा है, तो हम भी नहीं जाएंगे. आईओए जैसा फैसला करेगी हम वैसा ही करेंगे. मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकती.

हैदराबाद: कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन ने पिछले महीने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तीन नए खेलों को शामिल करने का सुझाव दिया था. इस टूर्नामेंट में निशानेबाजी को बाहर किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया था.

भारतीय ओलिंपिक संघ ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए 2022 बर्मिंगम राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार किए जाने की बात चल रही है. भारत ने पिछले कई सालों में निशानेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया है. अगर इस खेल को राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया जाता है तो भारत को मेडल काउंट में काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है. गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले संस्करण में 66 में से 16 मेडल शूटिंग में आए थे.

भारत के एथलिटों को अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीतने में प्रशिक्षण बजट के आवंटन से लेकर आजीविका के लिए रोजगार हासिल करने तक की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस मुद्दे पर कई खिलाड़ियों ने अपनी बात रखी है

अचंता शरथ कमल (टेबल टेनिस)

मुझे लगता है कि आईओए को सभी खेलों को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लेना चाहिए. अगर आईओए बाकी खेलों का भी बहिष्कार करेगा तो बहुत मुश्किल होगी. मुझे नहीं पता कि ये सही है या नहीं लेकिन आईओए ये कदम उठाना चाहता है क्योंकि निशानेबाजी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खेल है.

अमित पंघाल (मुक्केबाज़ी)

राष्ट्रमंडल खेल हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन हम वैसा ही करेंगे जैसा खेल विभाग निर्णय लेगा. शूटिंग ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है. इसलिए, मेरे अनुसार, केवल इसके लिए स्टैंड लेना सही होगा.

रजत चौहान (तीरंदाजी)

2010 के बाद से, तीरंदाजी किसी भी राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं रही है, न तो 2014 में और न ही 2018 में. किसी ने उस वक्त ऐसा करने के बारे में नहीं सोचा था. इसलिए यदि आप केवल शूटिंग के लिए कर रहे हैं, तो यह गलत है, मैं इसके बिल्कुल खिलाफ हूँ.

अभिनव बिंद्रा
अभिनव बिंद्रा

अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)

बहिष्कार किसी बात का समाधान नहीं है, इससे बस खिलाड़ी प्रभावित होते है.

दूती चन्द
दूती चन्द

दूती चन्द (एथलीट)

हम देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए यदि देश नहीं जा रहा है, तो हम भी नहीं जाएंगे. आईओए जैसा फैसला करेगी हम वैसा ही करेंगे. मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकती.

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कॉमनवेल्थ गेम्स के बहिष्कार पर क्या बोले भारतीय खिलाड़ी ?





 





हैदराबाद: कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन ने पिछले महीने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तीन नए खेलों को शामिल करने का सुझाव दिया था. इस टूर्नामेंट में निशानेबाजी को बाहर किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया था. 



भारतीय ओलिंपिक संघ ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए 2022 बर्मिंगम राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार किए जाने की बात चल रही है. भारत ने पिछले कई सालों में निशानेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया है. अगर इस खेल को राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया जाता है तो भारत को मेडल काउंट में काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है. गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले संस्करण में 66 में से 16 मेडल शूटिंग में आए थे. 

भारत के एथलिटों को अंतरराष्ट्रीय खेलों में मेडल जीतने में प्रशिक्षण बजट के आवंटन से लेकर आजीविका के लिए रोजगार हासिल करने तक की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 



इस मुद्दे पर कई खिलाड़ियों ने अपनी बात रखी है

अचंता शरथ कमल (टेबल टेनिस)

मुझे लगता है कि आईओए को सभी खेलों को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लेना चाहिए. अगर आईओए बाकी खेलों का भी बहिष्कार करेगा तो बहुत मुश्किल होगी. मुझे नहीं पता कि ये सही है या नहीं लेकिन आईओए ये कदम उठाना चाहता है क्योंकि निशानेबाजी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खेल है. 



अमित पंघाल (मुक्केबाज़ी)

राष्ट्रमंडल खेल हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन हम वैसा ही करेंगे जैसा खेल विभाग निर्णय लेगा. शूटिंग ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है. इसलिए, मेरे अनुसार, केवल इसके लिए स्टैंड लेना सही होगा.



रजत चौहान (तीरंदाजी)

2010 के बाद से, तीरंदाजी किसी भी राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं रही है, न तो 2014 में और न ही 2018 में. किसी ने उस वक्त ऐसा करने के बारे में नहीं सोचा था. इसलिए यदि आप केवल शूटिंग के लिए कर रहे हैं, तो यह गलत है, मैं इसके बिल्कुल खिलाफ हूँ.



अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)

बहिष्कार किसी बात का समाधान नहीं है, इससे बस खिलाड़ी प्रभावित होते है. 



दूती चन्द (एथलीट)

हम देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए यदि देश नहीं जा रहा है, तो हम भी नहीं जाएंगे. आईओए जैसा फैसला करेगी हम वैसा ही करेंगे. मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकती.

 


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