कोलकाता : राशिद और डीजीसी पिछले साल की शुरुआत से एक दूसरे से उलझे पड़े हैं. दो बार के एशियाई चैंपियन राशिद ने पिछले साल डीजीसी पर भेदभाव का आरोप लगाया था और कहा था कि डीजीसी निचले तबके से आने वाले गोल्फरों के करियर को बर्बाद कर रहा है.
राशिद एशिया में 10वें स्थान से सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाले भारतीय गोल्फर हैं और वह विश्व रैंकिंग में भी 185वें स्थान से शीर्ष भारतीय हैं. वो भारत से ओलंपिक कोटा पाने वालों की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे कि तभी अंतरराष्ट्रीय गोल्फ महासंघ (आईजीएफ) ने कोविड-19 महामारी के कारण 15 मार्च को विश्व रैंकिंग स्थिर कर दी थी.
29 वर्षीय राशिद ने आईएएनएस से कहा, "अगले कुछ सप्ताह में मैं खेल मंत्री को पत्र लिखने की योजना बना रहा हूं. डीजीसी के अध्यक्ष कहते हैं कि हम गोल्फ को बढ़ावा देते हैं, लेकिन आप कैसे गोल्फ को बढ़ावा देंगे जब भारत के टॉप खिलाड़ी घर में बैठे होंगे और आप उनसे संपर्क ही नहीं करेंगे."
उन्होंने कहा, "क्योंकि मैं सदस्य नहीं हूं, इसलिए मैं कहां अभ्यास करूंगा. मेरे पास और कोई गोल्फ कोर्स नहीं है, जहां मैं अभ्यास कर सकता हूं. मैं अब नोएडा या गुडगांव नहीं जा सकता. डीजीसी मेरे घर से तीन किलोमीटर दूर हैं." राशिद का नाम इस साल अर्जुन पुरस्कार से लिए सुझाया गया है. राशिद 2010 में ग्वांग्झू एशियन गेम्स में एक शॉट से व्यक्तिगत कांस्य पदक से चूक गए थे लेकिन उन्होंने भारतीय टीम को रजत पदक दिलाने में मदद की थी.
उन्होंने कहा कि डीजीसी में अभ्यास के लिए प्रवेश नहीं मिलने से वह मानिसक रूप से प्रभावित हुए हैं. राशिद ने कहा, " मानसिक रूप से ये मुझे प्रभावित करता है. मैंने करीब तीन महीने से एक भी राउंड नहीं खेला है। मैंने पिछला टूर्नामेंट मलेशिया ओपन में मार्च के पहले सप्ताह में खेला था."