नई दिल्ली : अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने अपने जमाने के दिग्गज फुटबॉलर प्रदीप कुमार बनर्जी के जन्मदिन 23 जून को 'एआईएफएफ ग्रासरूट दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है. पीके के नाम से मशहूर बनर्जी ने 1960 के रोम ओलंपिक में भारतीय टीम की अगुवाई की थी. एक खिलाड़ी के रूप में अपार सफलता हासिल करने के बाद वह कोच बने जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली.
एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरण ने कहा कि हम अक्सर यह भूल जाते हैं प्रदीप दा बहुत अच्छे कोच भी थे. खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कोचिंग देनी शुरू की और अगले 30 वर्षों में देश को कई नामी खिलाड़ी दिए, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और क्लब कोच की काफी चर्चा होती है लेकिन भारतीय फुटबॉल समुदाय पीके दा के जमीनी स्तर पर किए गए योगदान को नहीं भूल सकता. बनर्जी ने 1962 के एशियाई खेलों में भारत को ऐतिहासिक स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. उनका मार्च 2020 में निधन हो गया था. एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा कि मैं जो भी शब्द कहूंगा वह भारतीय फुटबॉल में प्रदीप दा के योगदान का सम्मान करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे. वह हम सभी की प्रशंसा के पात्र हैं. वह हमेशा भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे.
एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने एआईएफएफ ग्रासरूट डे की घोषणा करते हुए पीके बनर्जी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि फेडरेशन खेल के निरंतर विकास को सुनिश्चित करके उनकी स्मृति का सम्मान करने का प्रयास करेगा. एआईएफएफ की वेबसाइट पर उनके हवाले से कहा गया कि मैं जिन शब्दों का इस्तेमाल करता हूं, वे भारतीय फुटबॉल में प्रदीप दा के योगदान का सम्मान करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे. वह हमारी सभी की प्रशंसा के पात्र हैं. उनके जैसे कुछ ही लोग हैं, एक महान खिलाड़ी, एक महान संरक्षक और एक महान कोच जो जुनून से भरे हुए थे और हमेशा भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ते देखना चाहते थे. उनके जन्मदिन को जमीनी दिवस के रूप में मनाना एक श्रद्धांजलि है.
(इनपुट : आईएएनएस)
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