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पेले का भी रहा है 'चाय' की दुकान से कनेक्शन, नंगे पैर और कागज के फुटबॉल से शुरू हुआ था करियर

फुटबॉल की दुनिया में कदम रखने वालों को पेले के संघर्ष की जानकारी जरूरी है. गरीबी के कारण नंगे पैर कागज की फुटबाल से खेल शुरू करने वाला शख्स दुनियाभर में फुटबॉल का सबसे बड़ा सितारा बन गया.

Pele Tea Shop Connection Pele Poor Family History and pele football career
'चाय' की दुकान से कनेक्शन
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Published : Dec 30, 2022, 6:27 AM IST

नई दिल्ली : ब्राजील के स्टार फुटबॉल प्लेयर पेले का आज कैंसर से निधन हो गया. उन्होंने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी ने दी. महानतम फुटबॉलर पेले की उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ लोग जानते हैं, लेकिन कम लोग ऐसे होंगे जो उनके संघर्षों के बारे में जानते हैं. आज ईटीवी भारत आपको उन्हीं बातों की जानकारी दे रहा है, जिनसे आप पेले के संघर्ष को जान पाएंगे कि कैसे नंगे पैर कागज की फुटबाल से खेल शुरू करने वाला शख्स दुनियाभर में फुटबॉल का सबसे बड़ा सितारा बन गया.

  • पेले का नाम अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन ( American inventor Thomas Edison) के नाम पर रखा गया था, उनका असली नाम एडसन अरांतेस डो नास्सीमिएंटो (Edson Arantes do Nascimiento) था. पेले बहुत गरीब थे और उन्हें बचपन में एक चाय की दुकान पर नौकर के रूप में काम करना पड़ा था.
  • पहले उनका उपनाम "डिको" (Dico) रखा गया था, लेकिन उनके दोस्तों ने उन्हें उनके पसंदीदा फुटबॉलर वास्को डी गामा के गोलकीपर के नाम पर पेले कहना शुरू कर दिया.
  • पेले की पहली फ़ुटबॉल टीम उसके पड़ोस के कुछ दोस्तों के साथ बनाई गई थी और वे खुद को 'बिना जूतों वाला' कहा करते थे.
  • पेले ने अपने पिता से फ़ुटबॉल का ककहरा सीखा था. गेंद पर पहली किक मारना उन्हीं के सानिध्य में सीखा था. धीरे धीरे युवावस्था में कई टीमों के लिए खेलना शुरू किया. फ़ुटबॉल ख़रीदने के लिए पैसे नहीं होने के कारण वह बचपन में अख़बारों को मोज़े में भरकर उससे फुटबॉल खेला करते थे. अपने बचपन के दिनों की याद करते हुए पेले ने कहा था कि बचपन में जब फुटबॉल खरीदने की स्थिति नहीं थी तो वह कागज से भरे मोज़े से फुटबॉल खेलते थे. यह उनके फुटबॉल प्रेम व खेल के प्रति ललक को प्रदर्शित करता है.
  • फुटबॉल के बड़े खिलाड़ी वाल्डेमार डी ब्रिटो को पेले की खोज करने और उन्हें सैंटोस ले जाने के लिए जाना जाता है. साथ ही साथ उन्हें यह बताने का श्रेय भी दिया जाता है कि पेले "दुनिया का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी" बनने वाला है. वाल्डेमार डी ब्रिटो खुद ब्राजील के एक बड़े खिलाड़ी और फारवर्ड फुटबॉलर्स थे.
  • कहा जाता है कि फ़ुटबॉल स्टार डी ब्रिटो उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्हें 1956 में सैंटोस ले गए, जहां पर पेले के पेशेवर फ़ुटबॉल करियर की शुरुआत हुयी. बाद में वह 1957 में टीम के लिए नियमित स्टार्टर बन गए.
  • पेले ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि बचपन में वे जिन इनडोर टूर्नामेंटों में खेला करते थे, वहीं से उन्हें अपने खेल को दूसरे स्तर पर ले जाने में मदद मिली. इनडोर टूर्नामेंटों ने उन्हें त्वरित निर्णय लेना सिखाया, चूंकि वहां पर मैदान छोटे और खिलाड़ियों की संख्या अधिक होती थी.
  • पेले 1957 में लीग में शीर्ष स्कोरर बनकर उभरे. उनके लगातार प्रदर्शन ने उन्हें ब्राजील की टीम में जगह दिला दी और उन्होंने जुलाई 1957 में अर्जेंटीना के खिलाफ ब्राजील के लिए अपना पहला फुटबॉल मैच खेला.
  • 1962 के विश्व कप में चोट लगने के कारण उनका यह अभियान रुक गया और वे अधिकांश मैचों में बाहर ही रहे. 1966 का विश्व कप में भी ब्राजील को एक बड़ी विफलता हाथ लगी थी, जब पेले घायल हो गये थे और ब्राजील पहले दौर में बाहर हो गया था.
  • पेले अपने बचपन में बाउरू एथलेटिक क्लब जूनियर्स में शामिल हुए और 1954 से 1956 तक लगातार तीन खिताबों के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया था. उन्होंने 3 विश्व कप, दो विश्व क्लब चैंपियनशिप और 9 साओ पाउलो स्टेट चैंपियनशिप जीतीं थीं.
  • पेले 6 अक्टूबर 1976 को क्लब साइड फ्लेमेंगो के खिलाफ ब्राजील के लिए एक आखिरी गेम खेलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संन्यास तोड़कर मैदान में खेलने के लिए मैच में उतरे थे. इस मैच को ब्राजील ने 2-0 से जीता था. हालांकि, ब्राजील के लिए उनका आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच 18 जुलाई 1971 को यूगोस्लाविया के साथ खेला गया था. यह मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था.
  • इसके साथ-साथ 1 अक्टूबर 1977 को पेले ने एक फुटबॉलर के रूप में अपना आखिरी मैच खेला था. जायंट्स स्टेडियम में सैंटोस व न्यूयॉर्क कॉसमॉस के लिए खेला था. उन्होंने खेल का पहला भाग अमेरिकी क्लब के लिए और दूसरा भाग सैंटोस के लिए खेला था.

नई दिल्ली : ब्राजील के स्टार फुटबॉल प्लेयर पेले का आज कैंसर से निधन हो गया. उन्होंने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी ने दी. महानतम फुटबॉलर पेले की उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ लोग जानते हैं, लेकिन कम लोग ऐसे होंगे जो उनके संघर्षों के बारे में जानते हैं. आज ईटीवी भारत आपको उन्हीं बातों की जानकारी दे रहा है, जिनसे आप पेले के संघर्ष को जान पाएंगे कि कैसे नंगे पैर कागज की फुटबाल से खेल शुरू करने वाला शख्स दुनियाभर में फुटबॉल का सबसे बड़ा सितारा बन गया.

  • पेले का नाम अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन ( American inventor Thomas Edison) के नाम पर रखा गया था, उनका असली नाम एडसन अरांतेस डो नास्सीमिएंटो (Edson Arantes do Nascimiento) था. पेले बहुत गरीब थे और उन्हें बचपन में एक चाय की दुकान पर नौकर के रूप में काम करना पड़ा था.
  • पहले उनका उपनाम "डिको" (Dico) रखा गया था, लेकिन उनके दोस्तों ने उन्हें उनके पसंदीदा फुटबॉलर वास्को डी गामा के गोलकीपर के नाम पर पेले कहना शुरू कर दिया.
  • पेले की पहली फ़ुटबॉल टीम उसके पड़ोस के कुछ दोस्तों के साथ बनाई गई थी और वे खुद को 'बिना जूतों वाला' कहा करते थे.
  • पेले ने अपने पिता से फ़ुटबॉल का ककहरा सीखा था. गेंद पर पहली किक मारना उन्हीं के सानिध्य में सीखा था. धीरे धीरे युवावस्था में कई टीमों के लिए खेलना शुरू किया. फ़ुटबॉल ख़रीदने के लिए पैसे नहीं होने के कारण वह बचपन में अख़बारों को मोज़े में भरकर उससे फुटबॉल खेला करते थे. अपने बचपन के दिनों की याद करते हुए पेले ने कहा था कि बचपन में जब फुटबॉल खरीदने की स्थिति नहीं थी तो वह कागज से भरे मोज़े से फुटबॉल खेलते थे. यह उनके फुटबॉल प्रेम व खेल के प्रति ललक को प्रदर्शित करता है.
  • फुटबॉल के बड़े खिलाड़ी वाल्डेमार डी ब्रिटो को पेले की खोज करने और उन्हें सैंटोस ले जाने के लिए जाना जाता है. साथ ही साथ उन्हें यह बताने का श्रेय भी दिया जाता है कि पेले "दुनिया का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी" बनने वाला है. वाल्डेमार डी ब्रिटो खुद ब्राजील के एक बड़े खिलाड़ी और फारवर्ड फुटबॉलर्स थे.
  • कहा जाता है कि फ़ुटबॉल स्टार डी ब्रिटो उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्हें 1956 में सैंटोस ले गए, जहां पर पेले के पेशेवर फ़ुटबॉल करियर की शुरुआत हुयी. बाद में वह 1957 में टीम के लिए नियमित स्टार्टर बन गए.
  • पेले ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि बचपन में वे जिन इनडोर टूर्नामेंटों में खेला करते थे, वहीं से उन्हें अपने खेल को दूसरे स्तर पर ले जाने में मदद मिली. इनडोर टूर्नामेंटों ने उन्हें त्वरित निर्णय लेना सिखाया, चूंकि वहां पर मैदान छोटे और खिलाड़ियों की संख्या अधिक होती थी.
  • पेले 1957 में लीग में शीर्ष स्कोरर बनकर उभरे. उनके लगातार प्रदर्शन ने उन्हें ब्राजील की टीम में जगह दिला दी और उन्होंने जुलाई 1957 में अर्जेंटीना के खिलाफ ब्राजील के लिए अपना पहला फुटबॉल मैच खेला.
  • 1962 के विश्व कप में चोट लगने के कारण उनका यह अभियान रुक गया और वे अधिकांश मैचों में बाहर ही रहे. 1966 का विश्व कप में भी ब्राजील को एक बड़ी विफलता हाथ लगी थी, जब पेले घायल हो गये थे और ब्राजील पहले दौर में बाहर हो गया था.
  • पेले अपने बचपन में बाउरू एथलेटिक क्लब जूनियर्स में शामिल हुए और 1954 से 1956 तक लगातार तीन खिताबों के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया था. उन्होंने 3 विश्व कप, दो विश्व क्लब चैंपियनशिप और 9 साओ पाउलो स्टेट चैंपियनशिप जीतीं थीं.
  • पेले 6 अक्टूबर 1976 को क्लब साइड फ्लेमेंगो के खिलाफ ब्राजील के लिए एक आखिरी गेम खेलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संन्यास तोड़कर मैदान में खेलने के लिए मैच में उतरे थे. इस मैच को ब्राजील ने 2-0 से जीता था. हालांकि, ब्राजील के लिए उनका आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच 18 जुलाई 1971 को यूगोस्लाविया के साथ खेला गया था. यह मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था.
  • इसके साथ-साथ 1 अक्टूबर 1977 को पेले ने एक फुटबॉलर के रूप में अपना आखिरी मैच खेला था. जायंट्स स्टेडियम में सैंटोस व न्यूयॉर्क कॉसमॉस के लिए खेला था. उन्होंने खेल का पहला भाग अमेरिकी क्लब के लिए और दूसरा भाग सैंटोस के लिए खेला था.
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