न्यूयॉर्क: अमेरिका की मुस्लिम एडवाईसरी कमेटी ने एक नियम को हटाने को लेकर आवाज बुलंद की है जिसके चलते एक मुस्लिम वॉलीबॉल महिला खिलाड़ी को हिजाब पहनने की वजह से खेलने की इजाजत न मिल सकी और उनको मैच से डिस्क्वालीफाई कर दिया गया.
बता दें कि एक रेफरी ने नजह अकील जो कि अमेरिकी के वेलोर कॉलेज से थीं उनकी टीम का ब्रेंटबुड एकेडमी से एक वॉलीबॉल मैच खेला जाना था जिसमें नजह को 'यूनिफॉर्म रूल' के उल्लंघन के चलते खेलने से रोक दिया गया.
इस नियम के मुताबित अकील को स्टेट एसोसिएशन से हिजाब पहनने की अनुमति लेनी जरूरी थी.
AMAC ने कहा कि अकील इस सीजन में हिजाब के साथ पहले भी एक मैच खेल चुकीं थीं.
AMAC की कार्यकारी निदेशक सबीना मोहिउद्दीन ने कहा, "मुस्लिम लड़कियों को, जो अपने संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार का पालन करना चाहती हैं, उनको टेनेसी में खेलने के लिए बाधाओं से गुजरना पड़ रहा है?"
उन्होंने आगे कहा, "एक 14 साल की लड़की को अपमानित करने के लिए इस नियम का इस्तेमाल किया गया है. ये एक छोटी सी बच्ची को एक सदमा देने के लिए काफी है. हमारे पास स्टेट में काफी मुस्लिम लड़कियां हैं जो खेल से जुड़ी हुई हैं. और धर्म को उनकी बाधा बनाना वो भी आज के इस समय में काफी गलत है. इस नियम के अनुसार एक मुस्लिम लड़की को ये बताया जा रहा है कि उन्हें मुस्लिम होने के लिए अनुमति की जरूरत है."
टेनीसी सेकेंडरी स्कूल एथलेटिक एसोसिएशन (TSSAA) नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट हाई स्कूल एसोसिएशन (NFHS) का एक सदस्य है और सभी अमेरिकी राज्यों के साथ-साथ इसके नियमों का पालन करता है.
TSSAA ने कहा कि वॉलीबॉल की रूल बुक में सर पर पहनने वाली कोई भी चीज जो यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है उसे पहनना मना है.
एक खिलाड़ी सिर्फ और सिर्फ सोफ्ट मटीरियल से बनी चीजे जो कि 3 इंच से अधिक चौड़ी न हो उसे पहन सकता है जबकि बालों में बॉबी पिन, फ्लैट क्लिप जो 2 इंच तक उसे इस्तेमाल करने की अनुमति है.
अधिकारियों ने कहा कि TSSAA ने धार्मिक कारणों के चलते कई छूट भी दी है.
TSSAA के अधिकारी ने कहा कि, "रूल बुक में कहा गया है कि स्कूल के प्रशासन द्वारा स्टेट संघ से अनुरोध किए जाने पर कानून से अलग अनुमती दी जा सकती है."
TSSAA ने कहा कि मैच के अगले दिन अकील की रिक्वेस्ट ली जा चुकी थी और इसे तुरंत मंजूरी दे दी गई थी.
हालांकि, AMAC कार्रवाई की मांग कर रहा है, TSSAA को हेडवियर नियम को रद करने के लिए कह गया है, "चूंकि ये धर्म और जेंडर के आधार पर मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव करता है."