हैदराबाद: विश्व कबड्डी चैंपियनशिप के लिए पाकिस्तान गई भारतीय टीम वाघा-अटारी बॉर्डर के रास्ते अपने वतन वापस आ गई है.
इस टूर्नामेंट को खेलने गई टीम को लेकर काफी विवाद हुआ था क्योंकि खेल मंत्रालय ने उन्हें इस टूर्मामेंट में भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी. जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व के लिए अनिवार्य होती है.
भारतीय एमैच्योर कबड्डी महासंघ के प्रशासक न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एस पी गर्ग ने भी कहा था कि राष्ट्रीय संस्था ने किसी भी टीम को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने कहा, 'हमें पाकिस्तान जाने वाली किसी कबड्डी टीम के बारे में कोई सूचना नहीं है. एकेएफआई द्वारा किसी टीम को पाकिस्तान जाने और वहां कबड्डी मैच खेलने की कोई मंजूरी नहीं दी गई.'
इतना ही नहीं एमैच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर कहा, 'सर्किल कबड्डी वर्ल्ड कप के लिए कोई टीम नहीं भेजी गई. जो टीम लाहौर गई, वे आधिकारिक नहीं है. उसे भारत के नाम और तिरंगे के साथ खेलने की अनुमति नहीं है.'
इस विवाद के बावजूद अनआधिकारिक भारतीय टीम ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. जहां पाकिस्तान ने इस टीम को 43-41 से हराकर पहली बार खिताब जीता.
इस जीत पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी टीम को ट्विटर के जरिए बधाई दी. उन्होंने लिखा, पाकिस्तान कबड्डी टीम को भारत के खिलाफ जीत की बधाई.'
खबरों के मुताबिक भारतीय दल बगैर सूचना दिए 7 फरवरी को वाघा-अटारी बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंचा था. इस टीम में करीब 45 खिलाड़ी, 12 अधिकारी और कोच शामिल थे.
इससे पहले केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने भी 8 फरवरी को साफ तौर पर कहा था कि पाकिस्तान जाने के लिए भारत के किसी भी खिलाड़ी को अनुमति नहीं दी गई.
बता दें कि वर्ल्ड कबड्डी फेडरेशन ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि सर्कल कबड्डी विश्वकप में हिस्सा लेने गई टीम भारतीय झंडे के तले नहीं खेल सकती.