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PT Usha Appeals : IOA अध्यक्ष उषा ने की मणिपुर में शांति-सद्भाव की अपील

IOA President PT Usha : भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने मणिपुर में लोगों से शांति और सद्भाव की अपील की है. उन्होंने कहा कि आइए एक साथ मिलकर प्रगति करें. पीटी उषा ने लोगों से जातीय हिंसा को खत्म करके बेहतर भविष्य के लिए सद्भाव व आशा के साथ एक नए दिन की शुरुआत करने को कहा है.

PT Usha
पीटी उषा
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Published : Jul 16, 2023, 3:59 PM IST

नई दिल्ली : महान एथलीट और राज्यसभा सदस्य पीटी उषा ने शनिवार को मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर लोगों से शांति और सद्भाव की अपील की है. मणिपुर में दो समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा ने 150 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इतना ही नहीं इस हिंसा में करीब 600 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. इसके चलते भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने लोगों से इस हिंसा को खत्म करने की बात कही है और शांति- सद्भाव के साथ एक नई शुरुआत करने की अपील की है.

पीटी उषा ने एक पत्र जारी कर लिखा है कि 'हमारी ताकत हमारी ताकत है, हमारी सफलता हमारी समावेशी विविधता है. आज आइए प्रतिज्ञा करें कि हम शांति और सद्भाव का स्वागत करने के लिए खुद को समर्पित करके अपने मणिपुरी भाइयों और बहनों के दिल और दिमाग में उन मुस्कुराहट और गर्मजोशी को वापस लाएंगे'. इसके अलावा उन्होंने शुक्रवार 14 जुलाई को लॉन्च किए गए भारत के चंद्रमा मिशन का भी जिक्र किया है. उषा ने कहा कि औद्योगिक विकास, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में भारत की सफलता की कहानी दुनिया को प्रेरित कर रही है. विकास के हमारे पथ में हम एक हैं, हम भारतीय हैं और भारतीय वही हैं जो हम सभी हैं. एक एथलीट के रूप में मेरे करियर और मेरी विनम्र उपलब्धियों का सभी ने जश्‍न मनाया और मेरे पदक सभी भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं.

उन्होंने कहा कि एमसी मेरी कॉम, कुंजारानी देवी, सरिता देवी, मीराबाई चानू, देवेंद्रो सिंह, संजीता चानू, लौरेम्बम ब्रोजेशोरी, खुमुजम टोम्बी, लिकमाबम सुशीला, लिनथोई चानंबम, लैशराम बोम्बायला, पुखरामबम सुशीला चानू, बाला देवी जैसे अत्यधिक कुशल और मेहनती मणिपुरी, एलंगबाम पंथोई चानू, मोइरांगथेम मंदाकिनी देवी और ओइनम बेमबेम और हमारे प्रिय दिवंगत डिंग्को सिंह ने देश के लिए कई पदक जीते. इनकी जीत और सफलता लाखों भारतीयों को उत्कृष्टता हासिल करने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है और मणिपुर के इन दिग्गजों को भारत की बहुमूल्य संपत्ति और हमारे मुकुट रत्‍नों के रूप में सम्मानित किया जाता है. लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग सद्भाव से रहते हैं और आत्मविश्‍वास के इस नए युग में एक साथ प्रगति करते हैं.

खेल की खबरें पढ़ें :

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : महान एथलीट और राज्यसभा सदस्य पीटी उषा ने शनिवार को मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर लोगों से शांति और सद्भाव की अपील की है. मणिपुर में दो समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा ने 150 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इतना ही नहीं इस हिंसा में करीब 600 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. इसके चलते भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने लोगों से इस हिंसा को खत्म करने की बात कही है और शांति- सद्भाव के साथ एक नई शुरुआत करने की अपील की है.

पीटी उषा ने एक पत्र जारी कर लिखा है कि 'हमारी ताकत हमारी ताकत है, हमारी सफलता हमारी समावेशी विविधता है. आज आइए प्रतिज्ञा करें कि हम शांति और सद्भाव का स्वागत करने के लिए खुद को समर्पित करके अपने मणिपुरी भाइयों और बहनों के दिल और दिमाग में उन मुस्कुराहट और गर्मजोशी को वापस लाएंगे'. इसके अलावा उन्होंने शुक्रवार 14 जुलाई को लॉन्च किए गए भारत के चंद्रमा मिशन का भी जिक्र किया है. उषा ने कहा कि औद्योगिक विकास, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में भारत की सफलता की कहानी दुनिया को प्रेरित कर रही है. विकास के हमारे पथ में हम एक हैं, हम भारतीय हैं और भारतीय वही हैं जो हम सभी हैं. एक एथलीट के रूप में मेरे करियर और मेरी विनम्र उपलब्धियों का सभी ने जश्‍न मनाया और मेरे पदक सभी भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं.

उन्होंने कहा कि एमसी मेरी कॉम, कुंजारानी देवी, सरिता देवी, मीराबाई चानू, देवेंद्रो सिंह, संजीता चानू, लौरेम्बम ब्रोजेशोरी, खुमुजम टोम्बी, लिकमाबम सुशीला, लिनथोई चानंबम, लैशराम बोम्बायला, पुखरामबम सुशीला चानू, बाला देवी जैसे अत्यधिक कुशल और मेहनती मणिपुरी, एलंगबाम पंथोई चानू, मोइरांगथेम मंदाकिनी देवी और ओइनम बेमबेम और हमारे प्रिय दिवंगत डिंग्को सिंह ने देश के लिए कई पदक जीते. इनकी जीत और सफलता लाखों भारतीयों को उत्कृष्टता हासिल करने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है और मणिपुर के इन दिग्गजों को भारत की बहुमूल्य संपत्ति और हमारे मुकुट रत्‍नों के रूप में सम्मानित किया जाता है. लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग सद्भाव से रहते हैं और आत्मविश्‍वास के इस नए युग में एक साथ प्रगति करते हैं.

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(आईएएनएस)

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