हैदराबाद :6 अप्रैल के दिन को संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल डे फॉर डेवलपमेंट एंड पीस है घोषित किया. जो दुनिया भर में शांति और सांस्कृतिक बाधाओं से निकल कर खेल की शक्ति को पहचानता है.
विकास और शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) भी इस पर जोर देता है ताकि खेल को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके. यह वह दिन है जब दुनिया के कुछ प्रमुख खिलाड़ी कुछ संस्थाओ के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि जीवन को समृद्ध करने के लिए खेल के अवसरों को और अधिक उभारा जा सके, विशेषकर बच्चों और युवाओं के लिए खेल को महत्व देना जरूरी हैं. इंटरनेशनल डे ऑफ स्पोर्ट फॉर डेवलपमेंट एंड पीस एक ऐसे दिन है जिस दिन कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस के बारे में
आईओसी और संयुक्त राष्ट्र ने खेल को सामाजिक परिवर्तन के लिए कई लंबे कार्य किए है और हर वर्ष कई परियोजनाओं पर एक साथ काम किया है. दोनों संगठनों ने सांस्कृतिक समझ को बढ़ाने और शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक विकास को बेहतर बनाने के लिए ओलंपिक खेलों जैसे खेल का आयोजन किया है.
23 अगस्त, 2013 को संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की कि अंतरराष्ट्रीय खेल विकास और शांति दिवस प्रत्येक वर्ष 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. यह तिथि 1896 में एथेंस में पहले ओलंपिक खेलों के उद्घाटन का प्रतीक है
भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस
भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस (नेशनल स्पोर्ट्स डे) का इतिहास 29 अगस्त 1905 से जुड़ा है जब ध्यानचंद नाम का लड़का उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में एक परिवार में पैदा हुआ था. उन्हें खेल के इतिहास में सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है. उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में हॉकी के क्षेत्र में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक अर्जित किये. उन्हें अपनी गेंद नियंत्रण की कला में महारथ के लिए "विज़ार्ड" कहा जाता था. उन्होंने 1948 में अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेले.उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 400 से अधिक गोल किए. भारत सरकार ने 1956 में भारत के तीसरे उच्चतम सम्मान पद्म भूषण के साथ ध्यानचंद को सम्मानित किया. इसलिए उनका जन्मदिन 29 अगस्त भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.