नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुका है. चुनाव आयोग ने सोमवार को आचार संहिता हटाने के भी आदेश दे दिए हैं. ऐसे में अब सरकार द्वारा किए जाने वाले विकास कार्य दोबारा पटरी पर लौटने लगेगी. दिल्ली में नई सरकार के गठन की सरगर्मी तेज है. विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल कर चुकी भाजपा जल्द सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. इसके साथ ही दिल्ली सचिवालय के गलियारों में प्रशासनिक फेरबदल को लेकर भी चर्चा जोरों पर है.
अफसरशाही में बदलाव की संभावना: दिल्ली की अफसरशाही में भी जल्द ही बड़े बदलाव होने की संभावना है. क्योंकि गत वर्षों के दौरान आम आदमी पार्टी सरकार और दिल्ली की अफसरशाही के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं. आए दिन आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री आरोप लगाते थे कि अधिकारी इसे नहीं मान रहे. लेकिन अब नई सरकार के गठन होने के बाद इस बात की संभावना खत्म होने के आसार हैं. क्योंकि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और दिल्ली में भी अब भाजपा की सरकार होगी. उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली सरकार के फैसलों को अधिकारी प्रशासनिक फैसला बनाने में देर नहीं करेंगे.
प्रशासनिक फेरबदल होना तय: दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल भी बताते हैं कि अधिकारियों की नियुक्ति, उनके तबादले व तैनाती की बात पर अब कोई बड़ा टकराव दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच देखने को नहीं मिलेगा. क्योंकि यह सब पहले से तय कर लिया जाएगा. पहले जो प्रशासनिक अस्थिरता दिखाई देती थी, उससे सरकार के फैसलों को लागू करने में देरी होती थी. लेकिन अब कामकाज में सुधार होने की उम्मीद है. विशेष तौर से दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभाग में जो लंबित विकास के कार्य किसी अन्य वजह से रुके पड़े हैं, उन कामों में तेजी आएगी. साथ ही उन्होंने बताया कि दिल्ली में लंबे समय से नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (एनसीसीएसए) की बैठक नहीं होने के कारण खाली पड़े पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति, वरिष्ठ स्तर पर ट्रांसफर पोस्टिंग जो पहले से चल रहे थे, किसी के खिलाफ अगर अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़ा मसला है वह सब पेंडिंग है. तो अब इसमें भी तेजी आएगी.
नई सरकार में अधिकारियों को तालमेल बिठाने में आसानी होगी: दिल्ली सरकार के वर्तमान मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार और उससे पहले नरेश कुमार को लेकर भी आम आदमी पार्टी सरकार का कहना था कि यह मुख्यमंत्री, मंत्री के फैसले नहीं मानते हैं. अधिकारी केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के निर्देश का पालन करते हैं. अब नई सरकार के गठन होने से इस तरह के आरोप लगने बंद हो जाएंगे.
पिछली सरकार में मंत्रियों और मुख्यमंत्री की अधिकारियों के साथ तालमेल में जो कमी नजर आई और दोनों पक्षों के बीच जिस तरह से टकराव की स्थिति बनी रहती थी, उससे अब काफी हद तक दूर होने की उम्मीद है. इतना ही नहीं दिल्ली से सटे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार है. ऐसे में प्रदूषण पानी या अन्य पड़ोसी राज्यों के जो मुद्दे हैं, उसमें भी अधिकारियों को तालमेल बिठाने में आसानी होगी. ओमेश सहगल, पूर्व मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल मौजूदा कार्यकाल को भंग कर दिया गया है. अब चुनाव नतीजे आने के बाद इसी सप्ताह नई सरकार के गठन होने की उम्मीद है. जिसके बाद प्रशासनिक फेरबदल होना तय है. एनसीसीएसए की आखिरी बैठक 27 नवंबर को हुई थी.