नई दिल्ली: अनुभवी भारतीय पहलवान गीता फोगाट ने जब कुश्ती से ब्रेक लिया था तब से इस खेल में काफी तेजी आयी है लेकिन ‘दंगल गर्ल’ अब वापसी को तैयार है और उन्हें विश्वास है कि जो खेल उनकी रगों में दौड़ता वह उससे खुद को मुश्किल चुनौती के मुताबिक ढाल लेंगी.
स्थानीय दंगल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने वाली गीता ने रियो ओलंपिक 2016 में निराशाजनक प्रदर्शन करने के बाद खेल से ब्रेक लिया था. उसी साल पहलवान पवन सरोहा ने उनकी शादी हुई और वह 2019 में मां बनी.
राष्ट्रमंडल खेलों (दिल्ली 2010) मे स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी गीता की नजरें ओलंपिक जाने वाली भारतीय टीम में एशियाई ओलंपिक क्वालीफयर्स के जरिये जगह बनाने की कोशिश में है. राष्ट्रीय महासंघ की विशेष अनुमति के साथ, गीता एक महीने पहले राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुई है और एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल करने के लिए तैयार है.
गीता ने लखनऊ से पीटीआई-भाषा से कहा, "मैंने कभी कुश्ती छोड़ने के बारे में नहीं सोचा था. मैं अब भी उस दिन से डरती हूं जब मुझे वास्तव में इसे छोड़ना होगा. यही सोच मुझे डराती है. यह सिर्फ मेरे लिए नहीं है, लेकिन अधिकांश एथलीटों के साथ भी ऐसा ही है कि इसे छोड़ना मुश्किल है, यह मेरी रगों में है."
उन्होंने कहा, "मैंने लगभग छह महीने पहले प्रशिक्षण शुरू किया था. मैं घर पर ही इस पर काम कर रही था, प्रसव के बाद मैंने अपना वजन 20-25 किलोग्राम कम किया है, लेकिन मुझे मैट (रिंग में) पर अभ्यास की जरूरत थी. इस अभ्यास के लिए साथी खिलाड़ियों की जरूरत थी इसलिए मैं राष्ट्रीय शिविर में शामिल हो गयी. मुझे खुद का आकलन करने की आवश्यकता थी, इसलिए मैंने डब्ल्यूएफआई (भारतीय कुश्ती संघ) से संपर्क किया और उन्होंने मुझे अनुमति दे दी. मैं महासंघ की शुक्रगुजार हूं और वापसी की तैयारी कर रही हूं."
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उन्होंने कहा, "नियम बदल गए हैं. तीन-तीन मिनट के दो दौर भारतीय पहलवानों के लिए अच्छे हैं क्योंकि हम सहनशक्ति के मामले में बेहतर हैं. हमें अब लगातार अभ्यास करना होगा लेकिन यह ऐसी चीज नहीं है जिससे मैं चिंतित हूं."
गीता जब एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के ट्रायल के लिए सोमवार को 62 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करेंगी तो सब की निगाहें उन पर होगी. यह एक ऐसी श्रेणी है जिसमें तेजी से उभरती हुई सोनम मलिक अपना दबदबा बना रही है जबकि रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक संघर्ष कर रही है.
विश्व चैम्पियनशिप 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली गीता ने हालांकि माना कि उनकी वापसी की राह आसन नहीं होगी क्योंकि पिछले कुछ समय में भारत में कुश्ती का काफी विकास हुआ है और प्रतिभाशाली युवा अनुभवी खिलाड़ियों पर दबाव बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, "सोनम उभरती हुई खिलाड़ी है लेकिन कौशल और अनुभव के मामले में साक्षी बेहतर है. सोनम के पास अभी खोने के लिए कुछ भी नहीं है. वह करियर के ऐसे पड़ाव पर है जहां से बेखौफ होकर प्रतिस्पर्धा कर सकती है."
उन्होंने खुद की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मैं उस तरह की लय में नहीं हूं जैसी ट्रायल्स के लिए जरूरी है. फिटनेस स्तर भी वैसा नहीं हुआ है जैसा होना चाहिये. मैं लगातार दो घंटे तक मैट पर अभ्यास नहीं कर पा रही थी लेकिन एक महीने तक मेहनत के बाद इसमें सुधार हुआ है."