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CWG 2022: शेउली ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने पिता और भाई के योगदान को किया याद - राष्ट्रमंडल खेल 2022

राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा में भारत का स्वर्णिम अभियान जारी रखते हुए अचिंता शेउली ने पुरूषों के 73 किलोवर्ग में नये रिकॉर्ड के साथ बाजी मारकर देश को तीसरा पीला तमगा दिलाया.

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Published : Aug 1, 2022, 3:38 PM IST

बर्मिंघम: युवा भारतीय भारोत्तोलक अचिंता शेउली ने पुरुषों के 73 किग्रा वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने अपने पिता और भाई के योगदान को याद किया, जिन्होंने उनके सपने को पूरा करने के लिए कई बलिदान दिए. शेउली ने रविवार रात को कुल 313 किग्रा भार उठाकर, राष्ट्रमंडल खेलों के रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने से पहले मलेशिया के एरी हिदायत मुहम्मद से कड़ी टक्कर का सामना किया.

शेउली ने सोमवार को पदक जीतने के बाद कहा, मैं बहुत खुश हूं. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी बात है और मैंने परिणाम प्राप्त करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी. मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मुझे हमेशा अपने पिता और भाई के योगदान की याद आती है, क्योंकि उनके कारण ही मैं देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा भारोत्तोलकों में से एक के रूप में उभरा हूं. उन्होंने कहा, साल 2013 में, मैं राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुआ. मैं इसका बहुत आनंद लेता था. उसी साल जब मेरे पिता की मृत्यु हो गई, तो मेरे पास कोई समर्थन नहीं था. मेरे भाई ने मेरी वजह से खेल छोड़ दिया ताकि मैं समृद्ध हो सकूं. वह मुझे समझा दिया कि गेम्स 'से भी करियर बन सकता है. कोचों ने मेरा बहुत समर्थन किया. धीरे-धीरे मैंने सुधार किया, और मेरी श्रेणियां बदलती रहीं.

शेउली का कहना है कि अतीत की कठिनाइयां उन्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित करती हैं. शेउली ने कहा, अब मेरे साथ जो भी बुरा होगा, मुझे नहीं लगता कि यह उतना मुश्किल होगा. क्योंकि जब मेरे पिता का निधन हुआ, तो एकदम से परेशान हो गया था. फिर मैंने काम किया, कड़ी मेहनत की.

यह भी पढ़ें: CWG 2022: भारोत्तोलक अचिंता शेउली ने भारत को दिलाया तीसरा स्वर्ण

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने भारोत्तोलन कैसे शुरू किया, शेउली ने कहा कि यह संयोग से था कि उन्हें खेल से परिचित कराया गया. शेउली ने कहा, मैं पतंगबाजी का आनंद लेता था और हर समय उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ता रहता था. एक बार पतंग लुटते हुए मैं एक ऐसी जगह पर पहुच गया, जहां मेरा भाई और उसके दोस्त भारोत्तोलन कर रहे थे. मुझे उन्हें इतनी उत्सुकता से देखने के बाद कोच ने मेरे भाई को मुझे अगले दिन अभ्यास पर लाने के लिए कहा.

शेउली ने कहा कि रविवार को क्लीन एंड जर्क में अपने दूसरे प्रयास में असफल होने के बाद वह अपने अवसरों के बारे में चिंतित नहीं थे और उन्होंने एक और प्रयास किया, क्योंकि उन्हें यकीन था कि अभ्यास में उस वजन को उठाने की उनकी क्षमता थी.

बर्मिंघम: युवा भारतीय भारोत्तोलक अचिंता शेउली ने पुरुषों के 73 किग्रा वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने अपने पिता और भाई के योगदान को याद किया, जिन्होंने उनके सपने को पूरा करने के लिए कई बलिदान दिए. शेउली ने रविवार रात को कुल 313 किग्रा भार उठाकर, राष्ट्रमंडल खेलों के रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने से पहले मलेशिया के एरी हिदायत मुहम्मद से कड़ी टक्कर का सामना किया.

शेउली ने सोमवार को पदक जीतने के बाद कहा, मैं बहुत खुश हूं. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी बात है और मैंने परिणाम प्राप्त करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी. मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मुझे हमेशा अपने पिता और भाई के योगदान की याद आती है, क्योंकि उनके कारण ही मैं देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा भारोत्तोलकों में से एक के रूप में उभरा हूं. उन्होंने कहा, साल 2013 में, मैं राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुआ. मैं इसका बहुत आनंद लेता था. उसी साल जब मेरे पिता की मृत्यु हो गई, तो मेरे पास कोई समर्थन नहीं था. मेरे भाई ने मेरी वजह से खेल छोड़ दिया ताकि मैं समृद्ध हो सकूं. वह मुझे समझा दिया कि गेम्स 'से भी करियर बन सकता है. कोचों ने मेरा बहुत समर्थन किया. धीरे-धीरे मैंने सुधार किया, और मेरी श्रेणियां बदलती रहीं.

शेउली का कहना है कि अतीत की कठिनाइयां उन्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित करती हैं. शेउली ने कहा, अब मेरे साथ जो भी बुरा होगा, मुझे नहीं लगता कि यह उतना मुश्किल होगा. क्योंकि जब मेरे पिता का निधन हुआ, तो एकदम से परेशान हो गया था. फिर मैंने काम किया, कड़ी मेहनत की.

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यह पूछे जाने पर कि उन्होंने भारोत्तोलन कैसे शुरू किया, शेउली ने कहा कि यह संयोग से था कि उन्हें खेल से परिचित कराया गया. शेउली ने कहा, मैं पतंगबाजी का आनंद लेता था और हर समय उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ता रहता था. एक बार पतंग लुटते हुए मैं एक ऐसी जगह पर पहुच गया, जहां मेरा भाई और उसके दोस्त भारोत्तोलन कर रहे थे. मुझे उन्हें इतनी उत्सुकता से देखने के बाद कोच ने मेरे भाई को मुझे अगले दिन अभ्यास पर लाने के लिए कहा.

शेउली ने कहा कि रविवार को क्लीन एंड जर्क में अपने दूसरे प्रयास में असफल होने के बाद वह अपने अवसरों के बारे में चिंतित नहीं थे और उन्होंने एक और प्रयास किया, क्योंकि उन्हें यकीन था कि अभ्यास में उस वजन को उठाने की उनकी क्षमता थी.

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