नई दिल्ली : भारतीय खो-खो टीम की कप्तान नसरीन इस समय बिना राशन के रहने को मजबूर थीं. ये खिलाड़ी एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) से स्कॉलरशिप प्राप्त हैं और मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं. वो पैसों की किल्लत के चलते इस समय बिना राशन के रह रही थीं.
हम खिलाड़ियों की मदद करने को हमेशा तैयार हैं
जैसे ही ये सूचना केकेएफआई तक पहुंची तो महासंघ ने तुरंत उनकी मदद करने का फैसला किया और उनके खाते में एक लाख रुपये पहुंचाए. महासंघ के महासचिव एम.एस. त्यागी ने कहा, "हम खिलाड़ियों की मदद करने को हमेशा तैयार हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को इस मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है."
त्यागी ने कहा कि केकेएफआई ने स्थानीय स्वंयसेवकों की मदद से कई अन्य खिलाड़ियों और बेघरों को भोजन के पैकेट मुहैया कराये हैं. इसके अलावा केकेएफआई कई अन्य खिलाड़ियों तथा बदरपुर, कोहट, पीतमपुरा में गरीबों और बेघर लोगों को खाने के पैकेट्स मुहैया करा रही है.
देश के लिए स्वर्ण भी जीता था
साउथ एशियन खेलों (एसएजी) में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय खो-खो टीम का नेतृत्व कर चुकी नसरीन को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा था. उनके पिता मोहम्मद गफूर सड़क पर बरतन बेचा करते थे, वो काम भी अब उनके पास नहीं रहा.
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में नसरीन ने कहा,“मैं भारतीय महिला खो-खो टीम की कप्तान हूं और मैंने साउथ एशियन गेंम्स, एशियन चैंपियनशिप्स और लंदन में हुए यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा लिया था और देश के लिए स्वर्ण भी जीता था. इतने बड़े टूर्नामेंट खेलने के बावजूद मुझे इन मुश्किल हालातों में किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल पा रही है. और सरकार के ऐसे रवैये से मैं बेहद निराश हूं”