चेन्नई: शतरंज के इतिहास में 12 साल, चार महीने और 25 दिन की उम्र में सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने अभिमन्यु मिश्रा के कोच उनकी इस उपलब्धि से ज्यादा हैरान नहीं हैं और उनका कहना है कि वो बुलंदियां छुएगा.
बुधवार को बुडापेस्ट में एक प्रतियोगिता के दौरान भारतीय मूल के अमेरिकी खिलाड़ी मिश्रा ने सर्जेई कर्जाकिन के रिकॉर्ड में सुधार किया जो 2002 में 12 साल और सात महीने की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे.
मिश्रा साथ ही सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर भी हैं. उन्होंने दो साल पहले बनाए भारत के आर प्रग्नानंद के रिकॉर्ड को तोड़ा. इसके बाद से उनका ध्यान ग्रैंडमास्टर बनने पर है.
मिश्रा के कोच ग्रैंडमास्टर अरूण प्रसाद ने कहा कि कड़ी मेहनत करने के कारण वो इसका हकदार था.
अरूण ने कहा, "इस उपलब्धि के लिए अभि (अभिमन्यु) को बधाई. वो इस सफलता का पूरी तरह से हकदार है क्योंकि मैंने उसे कड़ी मेहनत करते हुए खुद देखा है. अभि को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए उसके पिता ने जो बलिदान दिया है उसके लिए वो भी तारीफ के हकदार हैं."
मिश्रा ने भी सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने के बाद अपने कोचों को धन्यवाद दिया था.
मिश्रा के कोचों में शामिल ग्रैंडमास्टर मगेश पंचनाथन ने कहा कि मिश्रा कड़ी मेहनत करने वाला लड़का है और उसकी सफलता के पीछे उसके पिता (हेमंत) हैं.
मगेश ने कहा, "मैंने जितने बच्चों को देखा है उसमें अभि सबसे कड़ी मेहनत करने वाले लड़कों में से एक है. उसने काम के प्रति लगन अपने पिता हेमंत से हासिल की है जो उनकी सफलता के पीछे के स्तंभों में से एक हैं."
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मिश्रा की ट्रेनिंग में शामिल रहे चेन्नई के जाने माने कोच आरबी रमेश ने कहा कि मिश्रा गणना करने में काफी तेज है और उसके पास विचारों की कोई कमी नहीं है.
मिश्रा ने बुडापेस्ट में बुधवार को वेजरकेपजो ग्रैंडमास्टर मिश्रित टूर्नामेंअ के नौवें दौर में भारत के ग्रैंडमास्टर लियोन ल्यूक मेनडोंका को हराकर कर्जाकिन का रिकॉर्ड तोड़ा.
मिश्रा के कोच अरूण और मगेश चेन्नई के ग्रैंडमास्टर हैं और अब अमेरिका में रहते हैं.
न्यू जर्सी के रहने वाले मिश्रा ने नवंबर 2019 में 10 साल, नौ महीने और 20 दिन की उम्र में सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बनने की उपलब्धि भी हासिल की थी.