हैदराबाद: रानी रामपाल जितना साधारण नाम, उतने ही असाधारण रिकॉर्ड बनाने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं. 23 जुलाई से शुरू हो रहे टोक्यो ओलंपिक के लिए कुछ दिन पहले ही भारतीय महिला हॉकी टीम की घोषणा हुई थी, जिसमें स्टार स्ट्राइकर रानी रामपाल को टीम की कमान सौंपी गई है.
वहीं उनके नेतृत्व में हॉकी टीम रक्षात्मक तकनीक को मजबूती देने के लिए बेंगलूरु कैंप में जी तोड़ मेहनत कर रही है. हॉकी में अपना जादू बिखेरने को बेताब रानी ने कुछ सालों में कई अहम उपलब्धियां हासिल की हैं.
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ऐसी कहावत है, पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं, इसी कहावत को पूरा किया है रानी रामपाल ने. हरियाणा के एक छोटे से कस्बे शाहबाद में 4 दिसंबर 1994 को जन्मीं रानी ने महज 6 साल की उम्र में ही हॉकी स्टिक थाम ली थी. उनके इसी जुनून के कारण महज 15 साल की छोटी उम्र में उनका चयन हॉकी विश्व कप के लिए हुआ.
साथ ही उस समय वह शीर्ष फील्ड गोल स्कोरर घोषित होने पर टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी भी चुनी गईं थीं, जिसके बाद कप्तान रानी अपनी सभी उपलब्धियों का श्रेय अपने गुरु, कोच बलदेव सिंह को देती हैं.
प्रश्न: आपके फिटनेस को लेकर तरह-तरह की बातें होती रहती हैं, क्या आपको लगता है कि टीम ओलंपिक में अच्छा कर पाएगी?
उत्तर: बीते कुछ साल में फिटनेस में वास्तव में सुधार हुआ है. हमने इस पर बहुत मेहनत की है. हमने महसूस किया कि हम अन्य टीम की फिटनेस के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं थे, जो अब बदल गई है. अब हम किसी भी टीम से मुकाबला कर सकते हैं. विशेष रूप से ओलंपिक के लिए एक फिटनेस स्तर बनाए रखना जरूरी होता है, क्योंकि हॉकी एक कठिन खेल है. पांच मैच खेलना आसान नहीं है. हमें जिस स्तर की फिटनेस की जरूरत है, उसे ध्यान में रखते हुए हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि भारतीय टीम ओलंपिक के दबाव को देखते हुए बहुत अच्छा कर सकती है?
उत्तर: आप वास्तव में यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि कोई विशेष टीम ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में अच्छा प्रदर्शन करेगी. हम सभी अच्छी ट्रेनिंग के साथ जा रहे हैं और सभी पर भारी दबाव भी है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी टीम दबाव को अच्छी तरह से संभालने में सक्षम है और अपने कौशल का उपयोग तब करती है, जब उसे सबसे अधिक आवश्यकता होती है. इससे सबसे ज्यादा फर्क पड़ता है और हां, हमारा मानना है कि अगर हम अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो हम अवश्य जीत हासिल करेंगे.
प्रश्न: ओलंपिक जैसे बड़े खेल में शारीरिक और मानसिक दोनों पर दबाव बनता है, इससे निपटने के लिए क्या करती हैं?
उत्तर: हमारे कोचों ने हम पर बहुत मेहनत की है. उन्होंने इस बात पर काम किया है, हमकों खेल के दौरान कैसे रहना है. दबाव हर किसी पर है, आप यह नहीं कह सकते कि कोई किसी दबाव से नहीं गुजर रहा है. अगर आपने किसी चीज के लिए बहुत मेहनत की है और इसके लिए आपको प्रशिक्षित किया गया है. साथ ही आप किसी चीज के लिए उत्साहित हैं. अगर ऐसा नहीं है, तो आपमें आत्मविश्वास की कमी है कि आप बड़े आयोजन के लिए तैयार हैं या नहीं. दबाव बनने वाला है, आप जो कर सकते हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें कि आपको क्या करना है, बजाय इसके कि बाहर क्या हो रहा है.
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प्रश्न: टीम ने कोरोना का सामना कैसे किया और आप खुद संक्रमित हुईं. क्या प्रशिक्षण के दौरान कोई कठिनाई आई?
उत्तर: मुझे कोविड से उबरने में समय लगा. मैं क्वॉरेंटाइन में थी और मुझे इससे जुड़ी सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन करना था. यह आसान नहीं है, खासकर एक एथलीट के लिए 14 दिनों तक एक कमरे में कैद रहना. हॉकी एक आउटडोर खेल है और इससे संबंधित विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए आपको अपने कमरे से बाहर निकलने में सक्षम होना चाहिए. यह मुश्किल हो गया, क्योंकि मैंने 14 दिनों के आइसोलेशन के बाद धीरे-धीरे ट्रेनिंग शुरू की. मैं हल्का प्रशिक्षण भी नहीं कर पा रही थी और इसने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया कि मुझे फिट होने में कितना समय लगेगा. मेरे कोचों ने धीरे-धीरे मेरे प्रशिक्षण की योजना बनाना शुरू कर दिया और खिलाड़ी समय के साथ खांचे में आ गए और अब हम सभी पूरी तरह से फिट हैं.
प्रश्न: रियो ओलंपिक में गई टीम और अब में क्या अंतर है?
उत्तर: हमें पूर्ण विश्वास है कि हम अब किसी भी टीम को हरा सकते हैं और ओलंपिक में कुछ हासिल कर सकते हैं. पिछली बार जब हमने सोचा था कि हमारा पहला ओलंपिक था और हमारा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था. हमारे पास सीनियर खिलाड़ी नहीं थे, जिन्होंने पहले ओलंपिक खेला हो. पिछली बार हमें एहसास हुआ था कि हमने ओलंपिक में भाग लिया है, लेकिन इस बार यह अलग है.
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प्रश्न: भारत के लोगों से आप क्या उम्मीद करती हैं?
उत्तर: हमारा लक्ष्य पूल को पार कर पहले क्वार्टर फाइनल में पहुंचना है. उसके बाद जो लोग अपने मौके का अधिकतम लाभ उठाएंगे, वे जीत की ओर होंगे. हमारा पहला लक्ष्य क्वार्टर फाइनल में पहुंचना है और फिर हम देखेंगे कि हम लक्ष्य की ओर कैसे बढ़ सकते हैं.
प्रश्न: आप टीम के लिए क्या हासिल करना चाहती हैं?
उत्तर: मैं एक अच्छे कैरियर का अंत चाहती हूं. इससे पहले कि मैं अपने जूते लटकाऊं, मेरा एक ओलंपिक पदक या विश्व कप जीतने का सपना है. हर खिलाड़ी का सपना होता है. यह जरूरी नहीं है कि मैं टीम में हूं या नहीं, लेकिन मैं चाहती हूं कि ओलंपिक पोडियम पर लोग टीम को देखें और मुझे विश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं. टीम में कुछ बेहतरीन प्रतिभाएं आ रही हैं, मेरा एक ही सपना है कि ओलंपिक जीतें.