बेंगलुरू: भारतीय महिला हॉकी टीम की फॉरवर्ड नवनीत कौर टोक्यो में अपने पहले ओलंपिक अभियान में हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. राष्ट्रीय टीम के लिए 79 मैच खेलने वाली इस 25 साल की खिलाड़ी ने कहा, ओलंपिक में खेलना उनके लिए बचपन का सपना रहा है.
वह टोक्यो ओलंपिक में अपने अनुभव को शानदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. नवनीत ने कहा, ओलंपिक में खेलना मेरा बचपन का सपना है और मैं इसे अद्भुत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी.
अनुभव के साथ जिम्मेदारी आती है, मैंने पहले ही भारत के लिए 79 मैच खेले हैं और अब ध्यान सामने से नेतृत्व करने पर है. टीम पसीना बहा रही है, यह बेंगलुरू के राष्ट्रीय शिविर में है और हम टोक्यो में एक यादगार सैर करने जा रहे हैं.
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फॉरवर्ड ने अपने हॉकी करियर पर शाहाबाद मारकंडा के प्रभाव के बारे में बताया, मैं शाहाबाद मारकंडा से आती हूं. यह हरियाणा का एक छोटा शहर है, लेकिन हॉकी के खेल के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाता है. मेरी टीम की साथी रानी और नवजोत कौर ने भी प्रशिक्षण लिया है.
शाहाबाद हॉकी अकादमी में मुझे याद है, जब मैं जर्मनी 2013 में जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में कांस्य पदक जीतकर शाहाबाद वापस आईं तो लोगों ने पूरे दिल से हमारा स्वागत किया. शाहाबाद में एक भव्य जुलूस निकाला गया, लोग नाच रहे थे और जश्न मना रहे थे जैसे कि वे जीत गए हों.
नवनीत ने कहा कि वह हमेशा से भारत के लिए हॉकी खेलना चाहती थीं और वर्तमान राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनकर गर्व महसूस करती हैं.
फारवर्ड ने कहा, शुरूआत से, मुझे यकीन था कि मैं हॉकी खेलना चाहती हूं. मैंने 2014 में सीनियर इंडिया टीम के लिए पदार्पण किया. 2018 महिला विश्व कप, एशिया कप, एशियाई खेलों में कुछ जबरदस्त प्रदर्शन के बाद प्रशंसकों ने हमारे प्रयासों की सराहना करना शुरू कर दिया.
मुझे ऐसी टीम का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस होता है. यह टीम एक परिवार की तरह है. रानी और सविता हमारे साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करती रहती हैं कि हम एक टीम के रूप में एक साथ कैसे सुधार कर सकते हैं.
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उन्होंने कहा, भारतीय महिला हॉकी टीम ने हर मैच के आखिरी मिनट तक लड़ने की आदत विकसित की है.
नवनीत ने कहा, पिछले कुछ साल में हमारी टीम की मानसिकता में बहुत कुछ बदल गया है. हम अब मजबूत विरोधियों से नहीं डरते.
पहले, जब हम नीदरलैंडस या ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ खेलते थे, तो हम घबराते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब हम आखिरी क्षण तक लड़ते हैं.