नई दिल्ली : लियोनेल मेसी अपने देश के महानतम फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना को याद कर रहे थे. माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वो 60 साल के थे. वहीं पुर्तगाल के महान खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने माराडोना को जादूगर बताते हुए कहा कि वो काफी जल्दी दुनिया से चले गए.
मेसी ने अपने पोस्ट में कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें वो माराडोना के साथ एक समारोह में काफी खुश दिखाई दे रहे हैं.
मेसी ने अपने संदेश में लिखा, "अर्जेटीना के सभी लोगों और फुटबाल के लिए बहुत ही दुखद: दिन। वह हमें छोड़कर चले गए लेकिन वह ज्यादा दूर नहीं जा सकते क्योंकि डिएगो अमर हैं. मैं उस महान इंसान के साथ बितए गए सभी अच्छे पलों को याद करते हुए उनके परिजनों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. रेस्ट इन पीस."
रोनाल्डो ने ट्वीट किया, "आज मैंने अपने एक अच्छे दोस्त को अलविदा कह दिया और विश्व ने एक महान जिनियस को। विश्व के सर्वकालिक महान जादूगर. वह जल्दी चले गए लेकिन अपने पीछे एक विरासत छोड़ गए और एक ऐसा शून्य जिसे कभी नहीं भरा जा सकता. भागवान आपकी आत्म को शांति दे. आप कभी नहीं भूलाए जा सकते"
दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार माराडोना की कप्तानी में ही अर्जेटीना ने विश्व कप जीता था. इस विश्व कप में माराडोना ने कई अहम पल दिए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है, जिसमें से सबसे बड़ा और मशहूर पल इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में आया था जब उनके द्वारा किए गए गोल को 'गोल ऑफ द सेंचुरी' कहा गया था. उन्होंने 60 यार्ड से भागते हुए इंग्लैंड की मिडफील्ड को छकाते हुए गोल किया था.
ब्यूनस आयर्स के बाहरी इलाके में 30 अक्टूबर 1960 में पैदा हुए माराडोना ने 1976 में अपने शहर के क्लब अर्जेटीनोस जूनियर्स के लिए सीनियर फुटबाल में पदार्पण किया था. इसके बाद वो यूरोप चले गए जहां उन्होंने स्पेन के दिग्गज क्लब बार्सिलोना के साथ पेशेवर फुटबॉल खेली. 1984 में कोपा डेल रे के फाइनल में विवाद के कारण स्पेनिश क्लब के साथ उनका सफर खत्म हुआ.
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इसके बाद वह इटली के क्लब नापोली गए जो उनके करियर के सबसे शानदार समय में गिना जाता है. क्लब के साथ उन्होंने दो सेरी-ए, कोपा इटालिया और एक यूईएफए कप के खिताब जीते। वह क्लब से उसके सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी के तौर पर विदा हुए. उनके रिकॉर्ड को 2017 में मारेक हानिसिक ने तोड़ा. इसके बाद उन्होंने स्पेनिश क्लब सेविला और फिर अर्जेटीना के नेवेल के साथ करार किया. कोच के तौर पर वह अपनी राष्ट्रीय टीम के साथ 2008 से 2010 तक रहे.