बेंगलुरू: भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने बताया है कि जब 2012 में वह स्पोर्टिग लिस्बन के साथ थे, तब टीम के कोच ने उनसे बी टीम में जाने को कहा था क्योंकि कोच के मुताबिक वे अच्छे खिलाड़ी नहीं थे.
पुर्तगाल के क्लब के साथ छेत्री का तीन साल का करार हुआ था लेकिन छेत्री नौ महीने बाद ही लौट कर आ गए थे.
छेत्री ने इंडियन सुपर लीग की वेबसाइट से कहा, "एक सप्ताह बाद मुख्य कोच ने मुझसे कहा था कि 'तुम अच्छे खिलाड़ी नहीं हो इसलिए बी टीम में चले जाओ. स्पोर्टिंग लिस्बन की ए टीम भारतीय लीग के क्लबों के मुकाबले मेरे लिए काफी तेज थी."
छेत्री ने कहा, "मैंने नौ महीने वहां बिताए, पांच मैच खेले और एक भी गोल नहीं कर पाया. बीच में छोड़ने के लिए मेरे तीन साल के करार में 40 या 50 लाख का क्लॉज था, लेकिन मैंने कोच से कहा कि मैं वापस जाना चाहता हूं और इतना पैसा मेरे लिए कोई नहीं देना चाहता, इसलिए मुझे जाने दीजिए. वह लोग अच्छे थे."
पहले मैच से हर कोई चाहता था गोल करूं
सुनील छेत्री ने बताया है कि जब से उन्होंने राष्ट्रीय टीम में पहला मैच खेला था तब से हर कोई चाहता है कि वह गोल करें. छेत्री ने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था.
छेत्री ने कहा कि, 'मैंने पाकिस्तान वाले मैच से पदार्पण किया था तब से लेकर अभी तक सभी चाहते हैं कि मैं गोल करूं."
कोलकाता में खेलते समय होते थे दबाव में
उन्होंने कहा, "पहला साल अच्छा था. मैच में मुझे 20-30 मिनट का गेम टाइम मिलता था. लोग मुझे अगला बाइचुंग भूटिया बुलाते थे, लेकिन कोलकाता की फुटबॉल आपको काफी जल्दी सिखाती है. जब आप हारने लगते हो तो दर्शक खतरनाक बन जाते हैं. ऐसा भी समय था कि जब मैं रोया था. कोलकाता में हारना विकल्प नहीं है."