गुवाहाटी: खेलों इंडिया इस वक्त देश के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स में से एक की मान्यता प्राप्त कर चुका है लेकिन वहां ऐसी कई प्रशासनिक चूक देखीं गई हैं जिसपर बड़े सवाल खड़े होते हैं. कुछ ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला है जब दिल्ली की फुटबॉल टीम 11 की जगह 9 ही खिलाड़ी लेकर मैदान में उतर गई.
बता दें कि दिल्ली और ओडिसा के बीच में एक फुटबॉल मैच के दौरान दिल्ली के 9 ही खिलाड़ी मैदान में उतर सके. जब 9 खिलाड़ियों की लिस्ट मीडिया में आई तब सवाल पूछा गया कि बाकि के खिलाड़ी कहा हैं ? तो दिल्ली के अधिकारियों की तरफ से टाल - मटोल के अलावा और कुछ भी देखने को नहीं मिला.
खेलों इंडिया में हुआ 'खेल', 11 की जगह 9 खिलाड़ियों के साथ खेलने उतरी दिल्ली की टीम - गुवाहाटी
खेलों इंडिया के आयोजन पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने आखिर किस कारण से 11 की जगह 9 खिलाड़ियों को मैच खेलने की इजाजत दे दी. इसको एक बड़ी प्रशासनिक चूक के तौर पर देखा जा रहा है.
गुवाहाटी: खेलों इंडिया इस वक्त देश के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स में से एक की मान्यता प्राप्त कर चुका है लेकिन वहां ऐसी कई प्रशासनिक चूक देखीं गई हैं जिसपर बड़े सवाल खड़े होते हैं. कुछ ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला है जब दिल्ली की फुटबॉल टीम 11 की जगह 9 ही खिलाड़ी लेकर मैदान में उतर गई.
बता दें कि दिल्ली और ओडिसा के बीच में एक फुटबॉल मैच के दौरान दिल्ली के 9 ही खिलाड़ी मैदान में उतर सके. जब 9 खिलाड़ियों की लिस्ट मीडिया में आई तब सवाल पूछा गया कि बाकि के खिलाड़ी कहा हैं ? तो दिल्ली के अधिकारियों की तरफ से टाल - मटोल के अलावा और कुछ भी देखने को नहीं मिला.
खेलों इंडिया में हुआ 'खेल', 11 की जगह 9 खिलाड़ियों के साथ खेलने उतरी दिल्ली की टीम
गुवाहाटी: खेलों इंडिया इस वक्त देश के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स में से एक की मान्यता प्राप्त कर चुका है लेकिन वहां ऐसी कई प्रशासनिक चुक देखीं गई हैं जिसपर बड़े सवाल खड़े होते हैं. कुछ ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला है जब दिल्ली की फुटबॉल टीम 11 की जगह 9 ही खिलाड़ी लेकर मैदान में उतर गई.
बता दें कि दिल्ली और ओडिसा के बीच में एक फुटबॉल मैच के दौरान दिल्ली के 9 ही खिलाड़ी मैदान में उतर सके. जब 9 खिलाड़ियों की लिस्ट मीडिया में आई तब सवाल पूछा गया कि बाकि के खिलाड़ी कहा हैं ? तो दिल्ली के अधिकारियों की तरफ से टाल - मटोल के अलावा और कुछ भी देखने को नहीं मिला.
इस बात की छानबीन करते हुए एक मीडिया हाउस ने दिल्ली फुटबॉल चीफ शाजी प्रभाकरण से बात की तो उन्होंने कहा, " हमें नहीं पता. ये दिल्ली का एजुकेशन डिपार्टमेंट मैनेज कर रहा है. हम लोग उसमें कुछ नहीं कर रहे.हालांकि ये जो भी हुआ वो काफी गलत हुआ है."
इसके बाद भी इधर - उधर के अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की गई लेकिन सब एक दूसरे के डिपार्टमेंट पर बात डालते नजर आए. जिसके बाद एक अधिकारी ने कोच की मदद से पूरा मामला साफ करते हुए बताया कि, "9 लड़कियां एक टूर्नामेंट खेलकर भुवनेश्वर से लौटी थीं उनकी फ्लाईट लेट हो गई. इनमें से एक को चोट भी लगी थी. इसके चलते हम 9 ही लड़कियों को मैदान में उतार पाए. अब हमारी पूरी टीम गुवाहाटी आ गई है."
हालंकि ये मामला साफ तो हो गया लेकिन कई सवाल खड़े कर गया जैसे जब ये इवेंट 11 खिलाड़ियों का था तो 9 खिलाड़ियों वाली टीम को एक मैच में उतारा कैसे गया ? आखिर इस बात की पूरी जानकारी क्यों नहीं ली गई की हर टीम के पास कम से कम पूरे खिलाड़ी तो हों. इसके अलावा सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों की भी गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े करती है.
बता दें कि एक फुटबॉल मैच में 11 खिलाड़ी खेलते हैं वहीं खिलाड़ी सब्स्टीट्यूट के तौर पर टीम का हिस्सा होते हैं मतलब लगभग 14 खिलाड़ी एक फुटबॉल टीम के लिए पर्याप्त माने जाते हैं.
Conclusion: