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सुपर कप में भाग न लेने के फैसले पर क्लबों ने दिया बयान

पिछले महीने हुए सुपर कप में भाग न लेने के कारण भारी जुर्माना और प्रतिबंध झेल रहे आई-लीग क्लबों ने रविवार को हुए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की अनुशासनात्मक समिति की बैठक अपने फैसले को उचित ठहराया.

सुपर कप
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Published : Apr 28, 2019, 9:25 PM IST

Updated : Apr 28, 2019, 9:38 PM IST

नई दिल्ली : एआईएफएफ में मौजूद सूत्रों के अनुसार, टूर्नामेंट में हिस्सा न लेने के लिए सात क्लबों पर 15 से 20 लाख तक का जुर्माना लग सकता है, जबकि क्लबों ने अनुशासनात्मक समिति से सुनवाई के दौरान कहा कि उन्होंने नियमों के अंतर्गत की कार्य किया है.

मोहन बागान ने कहा कि किसी भी समझौते या विनियमन का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि उन्होंने सुपर कप के लिए खिलाड़ियों को पंजीकृत ही नहीं किया था और तदनुसार एआईएफएफ को सूचित किया था जबकि गोकुलम एफसी, मिनर्वा पंजाब एफसी, ईस्ट बंगाल, चर्चिल ब्रदर्स और आइजोल एफसी ने कहा कि उन्होंने समय हरते टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले लिया. नेरोका एफसी सुनवाई के लिए पेश नहीं हुई.

आई लीग
आई लीग

एक क्लब ने लिखित जवाब में तर्क दिया,"5 फरवरी 2019 को एआईएफएफ ने आईएसएल और आई-लीग क्लबों को एक पत्र लिखा और सुपर कप के कार्यक्रम के बारे में भी बताया. ये नोट करना उचित है कि एआईएफएफ ने पत्र की विषय पंक्ति में ही कहा था कि सुपर कप 15 मार्च से शुरू होगा. 12 मार्च, 2019 को क्लबों ने एआईएफएफ को एक पत्र लिखकर बताया कि वे इन-इन करणों के चलते टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे."

क्लब ने कहा,"अनुच्छेद 10.2 के अनुसार, क्लब को प्रतियोगिता से हटने का अधिकार है और अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, यदि प्रतियोगिता शुरू होने के बाद क्लब पीछे हटते हैं तो प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. चूंकि क्लब ने टूर्नामेंट शुरू होने से पहले अपना नाम वापस लिया, इसलिए किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या जुर्माना लगाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता."

यह भी पढ़ें- एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप: ग्रीको रोमन वर्ग में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

अन्य चार क्लबों ने अपने लिखित जवाब में भी यही तर्क दिया. अनुच्छेद 10.2 कहता है कि "प्रतियोगिता की शुरुआत से पहले पीछे हटने वाले क्लबों को एआईएफएफ द्वारा तय किए गए अन्य टीम द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है."

अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, प्रतियोगिता के शुरू होने के बाद नाम वापस लेने वाले क्लबों के मैच रद्द करके शून्य माने जाएंगे. हालांकि, महासंघ क्लबों के टूर्नामेंट के पीछे हटने के निर्णय को महासंघ के खिलाफ उनके द्वारा किए जा रहे विद्रोह के रूप में देख रहा है.

नई दिल्ली : एआईएफएफ में मौजूद सूत्रों के अनुसार, टूर्नामेंट में हिस्सा न लेने के लिए सात क्लबों पर 15 से 20 लाख तक का जुर्माना लग सकता है, जबकि क्लबों ने अनुशासनात्मक समिति से सुनवाई के दौरान कहा कि उन्होंने नियमों के अंतर्गत की कार्य किया है.

मोहन बागान ने कहा कि किसी भी समझौते या विनियमन का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि उन्होंने सुपर कप के लिए खिलाड़ियों को पंजीकृत ही नहीं किया था और तदनुसार एआईएफएफ को सूचित किया था जबकि गोकुलम एफसी, मिनर्वा पंजाब एफसी, ईस्ट बंगाल, चर्चिल ब्रदर्स और आइजोल एफसी ने कहा कि उन्होंने समय हरते टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले लिया. नेरोका एफसी सुनवाई के लिए पेश नहीं हुई.

आई लीग
आई लीग

एक क्लब ने लिखित जवाब में तर्क दिया,"5 फरवरी 2019 को एआईएफएफ ने आईएसएल और आई-लीग क्लबों को एक पत्र लिखा और सुपर कप के कार्यक्रम के बारे में भी बताया. ये नोट करना उचित है कि एआईएफएफ ने पत्र की विषय पंक्ति में ही कहा था कि सुपर कप 15 मार्च से शुरू होगा. 12 मार्च, 2019 को क्लबों ने एआईएफएफ को एक पत्र लिखकर बताया कि वे इन-इन करणों के चलते टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे."

क्लब ने कहा,"अनुच्छेद 10.2 के अनुसार, क्लब को प्रतियोगिता से हटने का अधिकार है और अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, यदि प्रतियोगिता शुरू होने के बाद क्लब पीछे हटते हैं तो प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. चूंकि क्लब ने टूर्नामेंट शुरू होने से पहले अपना नाम वापस लिया, इसलिए किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या जुर्माना लगाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता."

यह भी पढ़ें- एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप: ग्रीको रोमन वर्ग में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

अन्य चार क्लबों ने अपने लिखित जवाब में भी यही तर्क दिया. अनुच्छेद 10.2 कहता है कि "प्रतियोगिता की शुरुआत से पहले पीछे हटने वाले क्लबों को एआईएफएफ द्वारा तय किए गए अन्य टीम द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है."

अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, प्रतियोगिता के शुरू होने के बाद नाम वापस लेने वाले क्लबों के मैच रद्द करके शून्य माने जाएंगे. हालांकि, महासंघ क्लबों के टूर्नामेंट के पीछे हटने के निर्णय को महासंघ के खिलाफ उनके द्वारा किए जा रहे विद्रोह के रूप में देख रहा है.

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सुपर कप में भाग न लेने के फैसले पर क्लबों ने दिया बयान



नई दिल्ली : पिछले महीने हुए सुपर कप में भाग न लेने के कारण भारी जुर्माना और प्रतिबंध झेल रहे आई-लीग क्लबों ने रविवार को हुए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की अनुशासनात्मक समिति की बैठक अपने फैसले को उचित ठहराया.

एआईएफएफ में मौजूद सूत्रों के अनुसार, टूर्नामेंट में हिस्सा न लेने के लिए सात क्लबों पर 15 से 20 लाख तक का जुर्माना लग सकता है, जबकि क्लबों ने अनुशासनात्मक समिति से सुनवाई के दौरान कहा कि उन्होंने नियमों के अंतर्गत की कार्य किया है.

मोहन बागान ने कहा कि किसी भी समझौते या विनियमन का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि उन्होंने सुपर कप के लिए खिलाड़ियों को पंजीकृत ही नहीं किया था और तदनुसार एआईएफएफ को सूचित किया था जबकि गोकुलम एफसी, मिनर्वा पंजाब एफसी, ईस्ट बंगाल, चर्चिल ब्रदर्स और आइजोल एफसी ने कहा कि उन्होंने समय हरते टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले लिया. नेरोका एफसी सुनवाई के लिए पेश नहीं हुई.

एक क्लब ने लिखित जवाब में तर्क दिया,"5 फरवरी 2019 को एआईएफएफ ने आईएसएल और आई-लीग क्लबों को एक पत्र लिखा और सुपर कप के कार्यक्रम के बारे में भी बताया. ये नोट करना उचित है कि एआईएफएफ ने पत्र की विषय पंक्ति में ही कहा था कि सुपर कप 15 मार्च से शुरू होगा. 12 मार्च, 2019 को क्लबों ने एआईएफएफ को एक पत्र लिखकर बताया कि वे इन-इन करणों के चलते टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे."

क्लब ने कहा,"अनुच्छेद 10.2 के अनुसार, क्लब को प्रतियोगिता से हटने का अधिकार है और अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, यदि प्रतियोगिता शुरू होने के बाद क्लब पीछे हटते हैं तो प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. चूंकि क्लब ने टूर्नामेंट शुरू होने से पहले अपना नाम वापस लिया, इसलिए किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या जुर्माना लगाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता."

अन्य चार क्लबों ने अपने लिखित जवाब में भी यही तर्क दिया. अनुच्छेद 10.2 कहता है कि "प्रतियोगिता की शुरुआत से पहले पीछे हटने वाले क्लबों को एआईएफएफ द्वारा तय किए गए अन्य टीम द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है."

अनुच्छेद 10.4 के अनुसार, प्रतियोगिता के शुरू होने के बाद नाम वापस लेने वाले क्लबों के मैच रद्द करके शून्य माने जाएंगे. हालांकि, महासंघ क्लबों के टूर्नामेंट के पीछे हटने के निर्णय को महासंघ के खिलाफ उनके द्वारा किए जा रहे विद्रोह के रूप में देख रहा है.


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Last Updated : Apr 28, 2019, 9:38 PM IST
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