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बाला देवी की इच्छा है, महिलाओं के लिए भी हो कोलकाता डर्बी

एक तरफ जहां फिजाओं में रोमांच महसूस किया जा सकता है, स्कॉटलैंड में भारत की महिला फुटबॉलर बाला देवी एक अलग ही सपना देख रही हैं और वो है एटीके मोहन बागान तथा एससी ईस्ट बंगाल के बीच होने वाली महिला डर्बी का है.

bala devi wants kolkata derby for women football
bala devi wants kolkata derby for women football
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Published : Nov 25, 2020, 9:43 PM IST

पणजी: भारतीय फुटबॉल में सिर्फ एक मैच की चर्चा है और वो मैच है शुक्रवार को होने वाला इंडियन सुपर लीग (ISL) की पहली कोलकाता डर्बी. ये शायद बीते कुछ वर्षो में सबसे अहम कोलकाता डर्बी है, क्योंकि भारतीय फुटबॉल के इस सबसे बड़े मैच का आयोजन भारत के सबसे बड़े फुटबॉल प्लेटफॉर्म पर हो रहा है.

एक तरफ जहां फिजाओं में रोमांच महसूस किया जा सकता है, स्कॉटलैंड में भारत की महिला फुटबॉलर बाला देवी एक अलग ही सपना देख रही हैं और वो है एटीके मोहन बागान तथा एससी ईस्ट बंगाल के बीच होने वाली महिला डर्बी का है.

bala devi wants kolkata derby for women football
बाला देवी

बाला देवी ने हाल ही में ओल्ड फर्म डर्बी में हिस्सा लिया था. ये रेंजर्स एफसी और सेल्टिक एफसी के बीच होने वाली दुनिया की सबसे पुरानी फुटबॉल राइवलरी के रूप में मशहूर है.

बाला देवी मानती हैं कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि कोलकाता के इन दो बड़े क्लबों को महिला फुटबॉल टीम भी विकसित करनी चाहिए और इनके बीच भी भारत में सबसे अहम डर्बी होनी चाहिए.

बाला देवी मानती हैं कि जिस तरह का जुनून महिला फुटबॉल को लेकर स्कॉटलैंड में है, वहीं माहौल भारत में भी तैयार किया जा सकता है. उनका मानना है कि कोलकाता की महिला डर्बी भारत में इसी तरह का माहौल तैयार करने में सफल हो सकती है.

बाला ने कहा, "कोलकाता की ये दो बड़ी टीमें आसानी से महिला टीमें तैयार कर सकती हैं. वहां की खिलाड़ियों में नैसर्गिक प्रतिभा है."

कोलकाता के साई सेंटर में ट्रेनिंग के दौरान बाला ने कुछ डर्बी देखी हैं. ये 2005-06 की बात है. बाला ने अपना अंतिम कोलकाता डर्बी इस साल जनवरी में साल्ट लेक स्टेडियम में देखी थी और इसी के बाद वो ग्लासगो के लिए रवाना हुई थीं.

पेशेवर फुटबॉल के लिए साइन करने वाली भारत की पहली महिला फुटबॉलर ने कहा, "मैंने जब 2002 में खेलना शुरू किया था, तब हम बंगाल की टीमों के खिलाफ फाइनल खेला करते थे. बंगाल की लड़कियां वाकई काफी अच्छी थीं और कई तो राष्ट्रीय टीम में भी थीं. मेरी समझ से अगर मोहन बागान और ईस्ट बंगाल वहीं करने में सफल रहे तो यहां स्काटलैंड में सेल्टिक और रेंजर्स ने किया है तो यह न सिर्फ बंगाल, बल्कि पूरे भारत के लिए फायदेमंद होता. रेंजर्स और सेल्टिक ने ये काम सिर्फ एक साल में किया है. हमारे दो कोलकाता क्लब अगर ठान लें तो वो भी एक साल में महिला टीमें तैयार कर सकती हैं."

बाला देवी ने कहा, "अब मैं जहां भी जाती हूं, लोग पहचानने लगे हैं. वो मुझे अलग मैच के लिए गुडलक विश करते हैं. यहां फुटबॉल को जबरदस्त सम्मान प्राप्त है और मैच के दौरान हर हाफ में वो खड़े ही रहते हैं. ये दिखाता है कि उनके मन में टीमों को लेकर कितना प्यार है और इससे खिलाड़ी प्रेरित होते हैं."

पणजी: भारतीय फुटबॉल में सिर्फ एक मैच की चर्चा है और वो मैच है शुक्रवार को होने वाला इंडियन सुपर लीग (ISL) की पहली कोलकाता डर्बी. ये शायद बीते कुछ वर्षो में सबसे अहम कोलकाता डर्बी है, क्योंकि भारतीय फुटबॉल के इस सबसे बड़े मैच का आयोजन भारत के सबसे बड़े फुटबॉल प्लेटफॉर्म पर हो रहा है.

एक तरफ जहां फिजाओं में रोमांच महसूस किया जा सकता है, स्कॉटलैंड में भारत की महिला फुटबॉलर बाला देवी एक अलग ही सपना देख रही हैं और वो है एटीके मोहन बागान तथा एससी ईस्ट बंगाल के बीच होने वाली महिला डर्बी का है.

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बाला देवी

बाला देवी ने हाल ही में ओल्ड फर्म डर्बी में हिस्सा लिया था. ये रेंजर्स एफसी और सेल्टिक एफसी के बीच होने वाली दुनिया की सबसे पुरानी फुटबॉल राइवलरी के रूप में मशहूर है.

बाला देवी मानती हैं कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि कोलकाता के इन दो बड़े क्लबों को महिला फुटबॉल टीम भी विकसित करनी चाहिए और इनके बीच भी भारत में सबसे अहम डर्बी होनी चाहिए.

बाला देवी मानती हैं कि जिस तरह का जुनून महिला फुटबॉल को लेकर स्कॉटलैंड में है, वहीं माहौल भारत में भी तैयार किया जा सकता है. उनका मानना है कि कोलकाता की महिला डर्बी भारत में इसी तरह का माहौल तैयार करने में सफल हो सकती है.

बाला ने कहा, "कोलकाता की ये दो बड़ी टीमें आसानी से महिला टीमें तैयार कर सकती हैं. वहां की खिलाड़ियों में नैसर्गिक प्रतिभा है."

कोलकाता के साई सेंटर में ट्रेनिंग के दौरान बाला ने कुछ डर्बी देखी हैं. ये 2005-06 की बात है. बाला ने अपना अंतिम कोलकाता डर्बी इस साल जनवरी में साल्ट लेक स्टेडियम में देखी थी और इसी के बाद वो ग्लासगो के लिए रवाना हुई थीं.

पेशेवर फुटबॉल के लिए साइन करने वाली भारत की पहली महिला फुटबॉलर ने कहा, "मैंने जब 2002 में खेलना शुरू किया था, तब हम बंगाल की टीमों के खिलाफ फाइनल खेला करते थे. बंगाल की लड़कियां वाकई काफी अच्छी थीं और कई तो राष्ट्रीय टीम में भी थीं. मेरी समझ से अगर मोहन बागान और ईस्ट बंगाल वहीं करने में सफल रहे तो यहां स्काटलैंड में सेल्टिक और रेंजर्स ने किया है तो यह न सिर्फ बंगाल, बल्कि पूरे भारत के लिए फायदेमंद होता. रेंजर्स और सेल्टिक ने ये काम सिर्फ एक साल में किया है. हमारे दो कोलकाता क्लब अगर ठान लें तो वो भी एक साल में महिला टीमें तैयार कर सकती हैं."

बाला देवी ने कहा, "अब मैं जहां भी जाती हूं, लोग पहचानने लगे हैं. वो मुझे अलग मैच के लिए गुडलक विश करते हैं. यहां फुटबॉल को जबरदस्त सम्मान प्राप्त है और मैच के दौरान हर हाफ में वो खड़े ही रहते हैं. ये दिखाता है कि उनके मन में टीमों को लेकर कितना प्यार है और इससे खिलाड़ी प्रेरित होते हैं."

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