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Sakibul Gani : मां ने जेवर गिरवी रख खरीदा था बैट, रणजी ट्रॉफी में जड़ा तिहरा शतक

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Published : Apr 11, 2022, 10:21 AM IST

बिहार के मोतिहारी के युवा खिलाड़ी साकिबुल गनी ने रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए विश्व रिकॉर्ड बनाया है. क्रिकेटर गनी के पिता मोहम्मद मन्नान गनी किसान हैं और बिहार के मोतिहारी में खेल के सामान की छोटी दुकान चलाते हैं. कई ऐसे मौके भी आए जब उन्हें अपनी जमीन तक गिरवी रखनी पड़ी. पढ़ें साकीबुल गनी के शौक से जूनुन तक की कहानी.

Sakibul Gani
साकिबुल गनी

मोतिहारी : बिहार रणजी टीम के लिए अपने डेब्यू मैच में साकिबुल गनी (Sakibul Gani) ने मिजोरम के खिलाफ तीहरा शतक लगाकर चर्चा में भले आ गए हैं, लेकिन इनका लक्ष्य भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश करना है. गनी आज दिनभर अपने भाई और गुरु फैसल गनी के साथ क्रिकेट मैदान में पसीना बहा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका पहला लक्ष्य अगले साल आईपीएल खेलना है.

341 रन ठोक बनाया विश्व रिकॉर्ड: बिहार के मोतिहारी जिला के रहने वाले साकिबुल फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच की एक पारी में रिकॉर्ड 341 रन बनाकर क्रिकेट की दुनिया में चर्चित हो गए, लेकिन उनकी राहें आसान नहीं हैं. इसके लिए उन्हें महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी बधाई दी थी. आज भी साकिबुल को सुविधा के नाम पर वे चीजें नहीं हैं, जो अन्य राज्यों के उदीयमान खिलाड़ियों को उपलब्ध होती हैं. वैसे, कहा जाए तो उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए प्रारंभ से ही संघर्ष का रास्ता चुनना पड़ा है.

साकिबुल की मेहनत पर परिवार को गर्व : हेमन ट्रॉफी (Hayman Trophy) में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे साकिबुल कहते हैं कि आज के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में, हमें मैदान के चारों ओर शॉट खेलने और स्थिति के अनुसार क्षमता दिखाने की आवश्यकता है, इसलिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. गनी इस बात को स्वीकार करते हैं कि क्रिकेट के लिए अब परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है. साकिबुल गनी ने कहा, 'एक अच्छे बैट की कीमत 30 से 35 हजार रुपये है. एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इसे खरीद पाना एक सपने जैसा था, लेकिन मां-पिताजी ने पैसे को कभी क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया. जब भी आर्थिक समस्या आती तो मां अपना गहना तक गिरवी रख देती थी.'

मां ने जेवर गिरवी रखकर बेटे के लिए खरीदा था बैट : साकिबुल गनी जब रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब मां ने उन्हें तीन बैट दिए थे. साकिबुल को इसका गुमान जरूर है कि वह छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं, जिस कारण सबका प्यार मिलता है. गनी की मां अज्मा खातून को बेटे को रणजी ट्रॉफी के लिए चुने जाने के बाद तीन क्रिकेट बैट खरीदने के लिए अपनी सोने की चेन गिरवी रखनी पड़ी. बाद में बेटे को मैच फीस मिलने के बाद उन्होंने गहने का छुड़ाया.

क्रिकेट कोचिंग अकादमी चलाते हैं गनी के भाई : क्रिकेटर साकिबुल गनी के पिता मोहम्मद मन्नान गनी किसान हैं और मोतिहारी में खेल सामान की छोटी दुकान चलाते हैं. कई ऐसे मौके भी आए जब उन्हें अपनी जमीन तक गिरवी रखनी पड़ी. साकिबुल के बड़े भाई फैसल गनी भी क्रिकेट खेलते हैं, जिनसे साकिबुल आज भी क्रिकेट के गुर सीखते हैं. साकिबुल अपनी सफलता का श्रेय भी अपने भाई और गुरु फैसल को देते हैं जो एक क्रिकेट कोचिंग अकादमी चलाते हैं. गनी कहते हैं कि अब तक अपने क्रिकेट कौशल को सुधारने के लिए बड़ी जगहों पर जाने की आवश्यकता महसूस नहीं की. उन्होंने खुद को पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का प्रशंसक बताया.

बचपन से था क्रिकेट का जुनून: साकिबुल गनी को चौथी कक्षा से ही क्रिकेट का जुनून सवार हो गया और क्रिकेट के खेल में आनंद उठाने लगा. इसके बाद क्रिकेट का खेल ही उनके लिए सब कुछ हो गया. इस बीच, हालांकि उनके ऊपर माता-पिता की तरफ से पढ़ाई का दबाव भी था. क्रिकेट के कारण गनी पिछले चार साल से 12वीं (इंटरमीडिएट) की फाइनल परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं. साकिबुल के भाई और कोच फैसल गनी ने कहा कि इतने छोटे जगह पर क्रिकेट के कौशल को निखारने के लिए उचित सुविधा नहीं है. हम लोग इसे दिल्ली भेजना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संपन्नता नहीं है. घर के पास ही किसी तरह टर्फ पिच बनाई है. मैदान से आकर यहीं प्रैक्टिस करते हैं. क्रिकेट की हर चीज महंगी होती जा रही है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है.

फैसल गनी कहते हैं कि रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड तोड़ पारी से पहले साकिबुल बिहार अंडर-23, मुश्ताक अली टी-20 क्रिकेट टूनार्मेंट और विजय हजारे (वनडे) ट्रॉफी भी खेल चुके हैं. बिहार अंडर-23 में साकिबुल तीहरा और दोहरा शतक लगा चुके हैं. उन्होंने बताया कि साकिबुल बल्लेबाजी के अलावे गेंदबाजी भी करता है. रणजी ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ खेले गए मैच में चार विकेट झटके हैं.

यह भी पढ़ें- शास्त्री ने चहल के खुलासे को चौंकाने वाला बताया, कहा- ...आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए

मोतिहारी : बिहार रणजी टीम के लिए अपने डेब्यू मैच में साकिबुल गनी (Sakibul Gani) ने मिजोरम के खिलाफ तीहरा शतक लगाकर चर्चा में भले आ गए हैं, लेकिन इनका लक्ष्य भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश करना है. गनी आज दिनभर अपने भाई और गुरु फैसल गनी के साथ क्रिकेट मैदान में पसीना बहा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका पहला लक्ष्य अगले साल आईपीएल खेलना है.

341 रन ठोक बनाया विश्व रिकॉर्ड: बिहार के मोतिहारी जिला के रहने वाले साकिबुल फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच की एक पारी में रिकॉर्ड 341 रन बनाकर क्रिकेट की दुनिया में चर्चित हो गए, लेकिन उनकी राहें आसान नहीं हैं. इसके लिए उन्हें महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी बधाई दी थी. आज भी साकिबुल को सुविधा के नाम पर वे चीजें नहीं हैं, जो अन्य राज्यों के उदीयमान खिलाड़ियों को उपलब्ध होती हैं. वैसे, कहा जाए तो उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए प्रारंभ से ही संघर्ष का रास्ता चुनना पड़ा है.

साकिबुल की मेहनत पर परिवार को गर्व : हेमन ट्रॉफी (Hayman Trophy) में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे साकिबुल कहते हैं कि आज के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में, हमें मैदान के चारों ओर शॉट खेलने और स्थिति के अनुसार क्षमता दिखाने की आवश्यकता है, इसलिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. गनी इस बात को स्वीकार करते हैं कि क्रिकेट के लिए अब परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है. साकिबुल गनी ने कहा, 'एक अच्छे बैट की कीमत 30 से 35 हजार रुपये है. एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इसे खरीद पाना एक सपने जैसा था, लेकिन मां-पिताजी ने पैसे को कभी क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया. जब भी आर्थिक समस्या आती तो मां अपना गहना तक गिरवी रख देती थी.'

मां ने जेवर गिरवी रखकर बेटे के लिए खरीदा था बैट : साकिबुल गनी जब रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब मां ने उन्हें तीन बैट दिए थे. साकिबुल को इसका गुमान जरूर है कि वह छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं, जिस कारण सबका प्यार मिलता है. गनी की मां अज्मा खातून को बेटे को रणजी ट्रॉफी के लिए चुने जाने के बाद तीन क्रिकेट बैट खरीदने के लिए अपनी सोने की चेन गिरवी रखनी पड़ी. बाद में बेटे को मैच फीस मिलने के बाद उन्होंने गहने का छुड़ाया.

क्रिकेट कोचिंग अकादमी चलाते हैं गनी के भाई : क्रिकेटर साकिबुल गनी के पिता मोहम्मद मन्नान गनी किसान हैं और मोतिहारी में खेल सामान की छोटी दुकान चलाते हैं. कई ऐसे मौके भी आए जब उन्हें अपनी जमीन तक गिरवी रखनी पड़ी. साकिबुल के बड़े भाई फैसल गनी भी क्रिकेट खेलते हैं, जिनसे साकिबुल आज भी क्रिकेट के गुर सीखते हैं. साकिबुल अपनी सफलता का श्रेय भी अपने भाई और गुरु फैसल को देते हैं जो एक क्रिकेट कोचिंग अकादमी चलाते हैं. गनी कहते हैं कि अब तक अपने क्रिकेट कौशल को सुधारने के लिए बड़ी जगहों पर जाने की आवश्यकता महसूस नहीं की. उन्होंने खुद को पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का प्रशंसक बताया.

बचपन से था क्रिकेट का जुनून: साकिबुल गनी को चौथी कक्षा से ही क्रिकेट का जुनून सवार हो गया और क्रिकेट के खेल में आनंद उठाने लगा. इसके बाद क्रिकेट का खेल ही उनके लिए सब कुछ हो गया. इस बीच, हालांकि उनके ऊपर माता-पिता की तरफ से पढ़ाई का दबाव भी था. क्रिकेट के कारण गनी पिछले चार साल से 12वीं (इंटरमीडिएट) की फाइनल परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं. साकिबुल के भाई और कोच फैसल गनी ने कहा कि इतने छोटे जगह पर क्रिकेट के कौशल को निखारने के लिए उचित सुविधा नहीं है. हम लोग इसे दिल्ली भेजना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संपन्नता नहीं है. घर के पास ही किसी तरह टर्फ पिच बनाई है. मैदान से आकर यहीं प्रैक्टिस करते हैं. क्रिकेट की हर चीज महंगी होती जा रही है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है.

फैसल गनी कहते हैं कि रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड तोड़ पारी से पहले साकिबुल बिहार अंडर-23, मुश्ताक अली टी-20 क्रिकेट टूनार्मेंट और विजय हजारे (वनडे) ट्रॉफी भी खेल चुके हैं. बिहार अंडर-23 में साकिबुल तीहरा और दोहरा शतक लगा चुके हैं. उन्होंने बताया कि साकिबुल बल्लेबाजी के अलावे गेंदबाजी भी करता है. रणजी ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ खेले गए मैच में चार विकेट झटके हैं.

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