हैदराबाद : एक क्रिकेटर के करियर में एक समय बुरा वक्त जरुर दस्तक देता है. ऐसा ही कुछ युवराज सिंह के साथ हुआ जब उन्हें कैंसर की बीमारी ने पूरी तरह से जकड़ लिया था. उस समय युवराज सिंह अपने करियर के सबसे अच्छे दौर में थे.
युवराज सिंह कैंसर से जूझ रहे थे
2011 विश्वकप के दौरान युवराज सिंह एक योद्घा की तरह मैदान पर खेल रहे थे और अपनी टीम को 28 साल बाद विश्व चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई. विश्वकप के दौरान युवराज सिंह कैंसर से जूझ रहे थे लेकिन उन्होंने किसी को ये पता नहीं लगने दिया कि वो इतनी बड़ी बीमारी से लड़ रहे हैं.
डॉक्टर ने उन्हें मैच नहीं खेलने की सलाह दी
विश्वकप के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत के सामने ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम थी. इस मैच में युवराज की स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि डॉक्टर ने उन्हें मैच नहीं खेलने की सलाह दी. आखिरकार युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले गेंदबाजी में 44 रन देकर 2 विकेट झटके उसके बाद बल्लेबाजी में 57 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली. युवराज सिंह को इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच भी मिला.
विश्वकप 2011 में युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे
इस मैच के दौरान युवराज सिंह को मैदान पर खांसते हुए देखा गया था. वो ऐसे करते हुए मैदान पर ही बैठ गए थे. उस समय तक किसी को युवराज की बीमारी की भनक तक भी नहीं थी. पूरे विश्वकप के दौरान युवराज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. विश्वकप के कुछ मैच के दौरान वो दिक्कत में रहे. इन सब परेशानियों के बावजूद विश्वकप 2011 में युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे.
युवराज को फेफडे़ और दिल के बीच ट्यूमर था, जोकि धीरे-धीरे कैंसर बन गया. युवराज 2011 में ही कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका गए जहां पर उनकी कीमोथेरेपी हुई. तीन चरणों में कीमोथेरेपी के बाद वो भारत लौटे.
क्रिकेट करियर पर पड़ा असर
37 साल का ये खिलाड़ी कैंसर से जंग तो जीत गया लेकिन उनके क्रिकेट करियर पर इसका गहरा असर पड़ा. इस बीमारी के बाद युवराज सिंह दोबारा अपने पुराने फॉर्म में नजर नहीं आए. 30 जून 2017 में को आखिरी बार वेस्टइंडीज के खिलाफ युवराज सिंह नीली जर्सी में दिखें थे.