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यौन उत्पीड़न मामले में BCCI के CEO राहुल जौहरी को SC से बड़ी राहत

सामाजिक कार्यकर्ता रश्मि नायर ने सर्वोच्च अदालत में बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले के लिए विशेष सुनवाई की याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.

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Published : May 2, 2019, 5:15 PM IST

Updated : May 2, 2019, 8:10 PM IST

नई दिल्ली: सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले के लिए विशेष सुनवाई करने की बात को खारिज कर दिया है.

महिला मुद्दों को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रश्मि नायर ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करते हुए कहा था कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस मसले को बीसीसीआई लोकपाल न देखें.

याचिका में कहा गया था,"जौहरी का अतीत काफी खराब रहा है. उन्होंने पहले जहां भी काम किया है वहां उन पर इस तरह के यौन उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं लेकिन वो किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे हैं."

BCCI के CEO राहुल जौहरी
BCCI के CEO राहुल जौहरी

याचिकाकर्ता ने साथ ही पूछा है कि हाल में नियुक्त किए गए बीसीसीआई के लोकपाल को ये मुद्दा क्यों नहीं सौंपा गया? नायर ने अपनी याचिका में तीन महिलाओं के इस मुद्दे को उठाने की बात कही है.

उन्होंने कहा,"तीन महिलाओं ने यह मुद्दा उठाया था लेकिन एक महिला किसी कारणवश सामने नहीं आई जबकि दो महिलाओं ने जौहरी के खिलाफ जाने का फैसला किया."

याचिका के मुताबिक,"जब टीम ने अपनी जांच पूरी की तब समिति के तीनों सदस्य- राकेश शर्मा (रिटायर्ड), बरखा सिंह और वीना गौड़ा के विचारों में मतभेद थे. दो सदस्यों ने संदेह का लाभ देते हुए जौहरी को क्लीन चिट दी जबकि एक सदस्य (गौड़ा) ने उन्हें अपराधी बताया था."

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गौरतलब है कि अपनी रिपोर्ट में राकेश और बरखा ने जौहरी को क्लीन चिट दी थी लेकिन गौड़ा ने कहा था कि जौहरी का बर्मिंघम में बर्ताव बीसीसीआई जैसे संस्थान के सीईओ के पद पर रहते हुए गैरपेशेवर रवैये को बताता है जिससे संस्थान की छवि धूमिल होती है.

आपको बता दें समिति ने अपनी जांच पूरी कर प्रशासकों की समिति (सीईओ) को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जो बीसीसीआई की वेबसाइट पर भी जारी की गई थी.

नई दिल्ली: सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले के लिए विशेष सुनवाई करने की बात को खारिज कर दिया है.

महिला मुद्दों को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रश्मि नायर ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करते हुए कहा था कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस मसले को बीसीसीआई लोकपाल न देखें.

याचिका में कहा गया था,"जौहरी का अतीत काफी खराब रहा है. उन्होंने पहले जहां भी काम किया है वहां उन पर इस तरह के यौन उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं लेकिन वो किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे हैं."

BCCI के CEO राहुल जौहरी
BCCI के CEO राहुल जौहरी

याचिकाकर्ता ने साथ ही पूछा है कि हाल में नियुक्त किए गए बीसीसीआई के लोकपाल को ये मुद्दा क्यों नहीं सौंपा गया? नायर ने अपनी याचिका में तीन महिलाओं के इस मुद्दे को उठाने की बात कही है.

उन्होंने कहा,"तीन महिलाओं ने यह मुद्दा उठाया था लेकिन एक महिला किसी कारणवश सामने नहीं आई जबकि दो महिलाओं ने जौहरी के खिलाफ जाने का फैसला किया."

याचिका के मुताबिक,"जब टीम ने अपनी जांच पूरी की तब समिति के तीनों सदस्य- राकेश शर्मा (रिटायर्ड), बरखा सिंह और वीना गौड़ा के विचारों में मतभेद थे. दो सदस्यों ने संदेह का लाभ देते हुए जौहरी को क्लीन चिट दी जबकि एक सदस्य (गौड़ा) ने उन्हें अपराधी बताया था."

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गौरतलब है कि अपनी रिपोर्ट में राकेश और बरखा ने जौहरी को क्लीन चिट दी थी लेकिन गौड़ा ने कहा था कि जौहरी का बर्मिंघम में बर्ताव बीसीसीआई जैसे संस्थान के सीईओ के पद पर रहते हुए गैरपेशेवर रवैये को बताता है जिससे संस्थान की छवि धूमिल होती है.

आपको बता दें समिति ने अपनी जांच पूरी कर प्रशासकों की समिति (सीईओ) को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जो बीसीसीआई की वेबसाइट पर भी जारी की गई थी.

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यौन उत्पीड़न मामले में BCCI के CEO राहुल जौहरी को SC से बढ़ी राहत



 



सामाजिक कार्यकर्ता रश्मि नायर ने सर्वोच्च अदालत में बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले के लिए विशेष सुनवाई की याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.



नई दिल्ली: सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले के लिए विशेष सुनवाई करने की बात को खारिज कर दिया है.



महिला मुद्दों को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रश्मि नायर ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करते हुए कहा था कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस मसले को बीसीसीआई लोकपाल न देखें.



याचिका में कहा गया था,"जौहरी का अतीत काफी खराब रहा है. उन्होंने पहले जहां भी काम किया है वहां उन पर इस तरह के यौन उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं लेकिन वो किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे हैं."



याचिकाकर्ता ने साथ ही पूछा है कि हाल में नियुक्त किए गए बीसीसीआई के लोकपाल को ये मुद्दा क्यों नहीं सौंपा गया? नायर ने अपनी याचिका में तीन महिलाओं के इस मुद्दे को उठाने की बात कही है.



उन्होंने कहा,"तीन महिलाओं ने यह मुद्दा उठाया था लेकिन एक महिला किसी कारणवश सामने नहीं आई जबकि दो महिलाओं ने जौहरी के खिलाफ जाने का फैसला किया."



याचिका के मुताबिक,"जब टीम ने अपनी जांच पूरी की तब समिति के तीनों सदस्य- राकेश शर्मा (रिटायर्ड), बरखा सिंह और वीना गौड़ा के विचारों में मतभेद थे. दो सदस्यों ने संदेह का लाभ देते हुए जौहरी को क्लीन चिट दी जबकि एक सदस्य (गौड़ा) ने उन्हें अपराधी बताया था."



गौरतलब है कि अपनी रिपोर्ट में राकेश और बरखा ने जौहरी को क्लीन चिट दी थी लेकिन गौड़ा ने कहा था कि जौहरी का बर्मिंघम में बर्ताव बीसीसीआई जैसे संस्थान के सीईओ के पद पर रहते हुए गैरपेशेवर रवैये को बताता है जिससे संस्थान की छवि धूमिल होती है.



आपको बता दें समिति ने अपनी जांच पूरी कर प्रशासकों की समिति (सीईओ) को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जो बीसीसीआई की वेबसाइट पर भी जारी की गई थी.


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Last Updated : May 2, 2019, 8:10 PM IST
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