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Ashes 2019: पहली बार विश्व कप चैंपियन से भिड़ेगी टीम कंगारू, यहां पढ़ें एशेज सीरीज का रोमांचक इतिहास

सम्मान की लड़ाई में इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर एशेज में भिड़ेंगे. इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

Ashes Cup
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Published : Jul 22, 2019, 10:33 PM IST

हैदराबाद : एशेज का खुमार अपने चरम पर पहुंच चुका है. क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैड इस बार के एशेज का आयोजन करेगा. कह सकते हैं कि इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मुकाबले का महत्व वर्ल्ड कप से भी ज्यादा होता है. ये सीरीज दोनों टीमों के लिए उनके सम्मान की लड़ाई के तौर पर देखी जाती है. एशेज सबसे दिलचस्प, रोमांचक और पुरानी सीरीज में शुमार है. जितना अनोखा इसका नाम है उससे भी दिलचस्प इसके पीछे की कहानी है.

एशेज कप
एशेज कप


एशेज के शुरू होने की कहानी
इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट 1877 में खेला गया था. इसके बाद कई बार ये दोनों ही टीमें टेस्ट मैचे खेल चुकी हैं. साल 1881-82 में इंग्लैड की टीम टेस्ट खेलने ऑस्ट्रेलिया गई थी.

ऑस्ट्रेलिया की टीम
ऑस्ट्रेलिया की टीम
चार मैचों की इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैड को 1-0 से हरा कर सीरीज पर कब्जा कर लिया था. इंग्लैड की हार के बाद इंग्लिश मीडिया और क्रिकेट प्रेमियों के बीच इस बात की काफी निंदा की गई.इस जीत के 5 महीने बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम महज एक टेस्ट खेलने इंग्लैड आई थी. ये मैच लंदन के ओवल में खेला गया था. तीन दिन के इस मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिआई टीम के कप्तान बिली मर्डोक थे और इंग्लैड के कप्तान अल्बर्ट नेलसन थे.


गेंदबाजों का रहा बोल-बाला

एशेज सीरीज
एशेज सीरीज
28 अगस्त,1882 को खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत पहले बल्लेबाजी चुनी थी. मैच के ठीक पहले बारिश हुई थी जिस वजह से ये अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मैच में गेंदबाजों का बोल-बाला रहेगा. टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने आई ऑस्ट्रेलियाई टीम 80 ओवर में 63 रन पर ही ऑल-आउट हो गई. ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज बेलकहम ने सबसे ज्यादा 17 रन बनाए थे. जवाब में इंग्लैंड ने कुल 101 रन बनाकर 38 रन की बढ़त हासिल की. अपनी दूसरी पारी में ह्यूज मैसी की 60 गेंदों पर शानदार 55 रनों की पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने 122 रन बनाए.

पहली बार अपने घरेलू मैदान पर हारी इंग्लैंड

एशेज कप
एशेज कप
मैच की अंतिम पारी में इंग्लैंड को केवल 85 रनों की जरूरत थी. उनकी जीत सुनिश्चित लग रही थी, लेकिन इंग्लैड की टीम 77 रनों पर ही सिमट गई. एक वक्त था जब इंग्लैड को जीतने के लिए 34 रनों की जरूरत थी और सात विकेट हाथ में थे. गिलबर्ट ग्रेस 32 रन बनाकर अभी भी क्रिज पर थे. जैसे ही उनका विकेट गिरा वैसे ही क्रिकेट के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पतन में से एक शुरू हो गया. इस घटना ने तो मैच को नाटकीय रूप से बदल दिया. ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इस मैच को सात रनों से जीत लिया और इंग्लैंड पहली बार अपने घरेलू मैदान पर मैच हार गई थी.

मीडिया ने की निंदा

द स्पोर्टिंग टाइम्स का संदेश
द स्पोर्टिंग टाइम्स का संदेश
इसके बाद इंग्लैड के मशहूर अखबार 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' ने इसके बाद एक संदेश छापा. उसमें लिखा था कि इंग्लैड क्रिकेट की मौत हो चुकी है. उसका दाह-संस्कार किया जाएगा और उसके बाद उसकी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा. इसी घटना के बाद इस सीरीज का नाम एशेज पड़ा था.अगले वर्ष इंग्लैंड के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान तत्कालीन इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीघ ने घोषणा की थी कि,"हम एशेज जीतेंगे और हासिल करेंगे".

एशेज राख वापस लाने में कामयाब रहा इंग्लैंड
उस वक्त कहा गया था कि इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया से एशेज राख वापस लाने जा रही है. उस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने पहला टेस्ट नौ विकेट से जीता था, लेकिन इंग्लैंड ने अगले दो मैच जीतने में कामयाब रहा. इंग्लैंड 3-1 से जीत कर टेस्ट में अपनी खोई हुई सत्ता हासिल करने में कामयाब रही.
कहा जाता है कि इस सीरीज में खेले गए आखरी टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गिल्लियों को जला दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया से लौटते समय, कुछ महिला फैंस ने अंग्रेजी कप्तान को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों पर अपनी जीत की याद दिलाने के लिए एक यादगार के रूप में जले हुए क्रिकेट स्टंप की राख से भरा कलश भेंट किया था.

ब्लीग के लिए था ये उपहार
ये कलश कभी भी एशेज श्रृंखला की आधिकारिक ट्रॉफी नहीं रहा, ये ब्लीग के लिए एक व्यक्तिगत उपहार था. हालांकि, कलश की नकल अक्सर विजयी टीमों द्वारा एशेज श्रृंखला में उनकी जीत के प्रतीक के रूप में रखी जाती हैं.

अब तक कुल 63 एशेज मुकाबले

इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान
इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान

एशेज सीरीज इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगभग साल खेला जाता है. अब तक कुल 63 एशेज सीरीज खेली जा चुकी है. ऑस्ट्रेलिया ने 32 तो इंग्लैड ने 31 एशेज अपने नाम किए और 5 ड्रॉ रहे हैं.
एक बार फिर ये दोनों टीमें एशेज के लिए भिड़ेंगी. हालांकि पिछेली बार एशेज में ऑस्ट्रेलिया ने जीत का परचम लहराया था लेकिन इस बार उनको कड़ी टक्कर देने के लिए पहली बार विश्व चैंपियन बनी इंग्लैंड होगी.

हैदराबाद : एशेज का खुमार अपने चरम पर पहुंच चुका है. क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैड इस बार के एशेज का आयोजन करेगा. कह सकते हैं कि इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मुकाबले का महत्व वर्ल्ड कप से भी ज्यादा होता है. ये सीरीज दोनों टीमों के लिए उनके सम्मान की लड़ाई के तौर पर देखी जाती है. एशेज सबसे दिलचस्प, रोमांचक और पुरानी सीरीज में शुमार है. जितना अनोखा इसका नाम है उससे भी दिलचस्प इसके पीछे की कहानी है.

एशेज कप
एशेज कप


एशेज के शुरू होने की कहानी
इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट 1877 में खेला गया था. इसके बाद कई बार ये दोनों ही टीमें टेस्ट मैचे खेल चुकी हैं. साल 1881-82 में इंग्लैड की टीम टेस्ट खेलने ऑस्ट्रेलिया गई थी.

ऑस्ट्रेलिया की टीम
ऑस्ट्रेलिया की टीम
चार मैचों की इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैड को 1-0 से हरा कर सीरीज पर कब्जा कर लिया था. इंग्लैड की हार के बाद इंग्लिश मीडिया और क्रिकेट प्रेमियों के बीच इस बात की काफी निंदा की गई.इस जीत के 5 महीने बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम महज एक टेस्ट खेलने इंग्लैड आई थी. ये मैच लंदन के ओवल में खेला गया था. तीन दिन के इस मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिआई टीम के कप्तान बिली मर्डोक थे और इंग्लैड के कप्तान अल्बर्ट नेलसन थे.


गेंदबाजों का रहा बोल-बाला

एशेज सीरीज
एशेज सीरीज
28 अगस्त,1882 को खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत पहले बल्लेबाजी चुनी थी. मैच के ठीक पहले बारिश हुई थी जिस वजह से ये अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मैच में गेंदबाजों का बोल-बाला रहेगा. टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने आई ऑस्ट्रेलियाई टीम 80 ओवर में 63 रन पर ही ऑल-आउट हो गई. ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज बेलकहम ने सबसे ज्यादा 17 रन बनाए थे. जवाब में इंग्लैंड ने कुल 101 रन बनाकर 38 रन की बढ़त हासिल की. अपनी दूसरी पारी में ह्यूज मैसी की 60 गेंदों पर शानदार 55 रनों की पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने 122 रन बनाए.

पहली बार अपने घरेलू मैदान पर हारी इंग्लैंड

एशेज कप
एशेज कप
मैच की अंतिम पारी में इंग्लैंड को केवल 85 रनों की जरूरत थी. उनकी जीत सुनिश्चित लग रही थी, लेकिन इंग्लैड की टीम 77 रनों पर ही सिमट गई. एक वक्त था जब इंग्लैड को जीतने के लिए 34 रनों की जरूरत थी और सात विकेट हाथ में थे. गिलबर्ट ग्रेस 32 रन बनाकर अभी भी क्रिज पर थे. जैसे ही उनका विकेट गिरा वैसे ही क्रिकेट के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पतन में से एक शुरू हो गया. इस घटना ने तो मैच को नाटकीय रूप से बदल दिया. ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इस मैच को सात रनों से जीत लिया और इंग्लैंड पहली बार अपने घरेलू मैदान पर मैच हार गई थी.

मीडिया ने की निंदा

द स्पोर्टिंग टाइम्स का संदेश
द स्पोर्टिंग टाइम्स का संदेश
इसके बाद इंग्लैड के मशहूर अखबार 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' ने इसके बाद एक संदेश छापा. उसमें लिखा था कि इंग्लैड क्रिकेट की मौत हो चुकी है. उसका दाह-संस्कार किया जाएगा और उसके बाद उसकी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा. इसी घटना के बाद इस सीरीज का नाम एशेज पड़ा था.अगले वर्ष इंग्लैंड के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान तत्कालीन इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीघ ने घोषणा की थी कि,"हम एशेज जीतेंगे और हासिल करेंगे".

एशेज राख वापस लाने में कामयाब रहा इंग्लैंड
उस वक्त कहा गया था कि इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया से एशेज राख वापस लाने जा रही है. उस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने पहला टेस्ट नौ विकेट से जीता था, लेकिन इंग्लैंड ने अगले दो मैच जीतने में कामयाब रहा. इंग्लैंड 3-1 से जीत कर टेस्ट में अपनी खोई हुई सत्ता हासिल करने में कामयाब रही.
कहा जाता है कि इस सीरीज में खेले गए आखरी टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गिल्लियों को जला दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया से लौटते समय, कुछ महिला फैंस ने अंग्रेजी कप्तान को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों पर अपनी जीत की याद दिलाने के लिए एक यादगार के रूप में जले हुए क्रिकेट स्टंप की राख से भरा कलश भेंट किया था.

ब्लीग के लिए था ये उपहार
ये कलश कभी भी एशेज श्रृंखला की आधिकारिक ट्रॉफी नहीं रहा, ये ब्लीग के लिए एक व्यक्तिगत उपहार था. हालांकि, कलश की नकल अक्सर विजयी टीमों द्वारा एशेज श्रृंखला में उनकी जीत के प्रतीक के रूप में रखी जाती हैं.

अब तक कुल 63 एशेज मुकाबले

इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान
इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान

एशेज सीरीज इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगभग साल खेला जाता है. अब तक कुल 63 एशेज सीरीज खेली जा चुकी है. ऑस्ट्रेलिया ने 32 तो इंग्लैड ने 31 एशेज अपने नाम किए और 5 ड्रॉ रहे हैं.
एक बार फिर ये दोनों टीमें एशेज के लिए भिड़ेंगी. हालांकि पिछेली बार एशेज में ऑस्ट्रेलिया ने जीत का परचम लहराया था लेकिन इस बार उनको कड़ी टक्कर देने के लिए पहली बार विश्व चैंपियन बनी इंग्लैंड होगी.

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एशेज का खुमार अपने चरम पर पहुंच चुका है. क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैड इस बार के एशेज का आयोजन करेगा. कह सकते हैं कि इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मुकाबले का महत्व वर्ल्ड कप से भी ज्यादा होता है.

ये सीरीज दोनों टीमों के लिए उनके सम्मान की लड़ाई के तौर पर देखी जाती  है. एशेज सबसे दिलचस्प, रोमांचक और पुरानी सीरीज में शुमार है. जितना अनोखा इसका नाम है उससे भी दिलचस्प इसके पीछे की कहानी है.

इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट 1877 में खेला गया था. इसके बाद कई बार ये दोनों ही टीमें टेस्ट मैचे खेल चुकी हैं. साल 1881-82 में इंग्लैड की टीम टेस्ट खेलने ऑस्ट्रेलिया गई थी.

चार मैचों की इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैड को 1-0 से हरा कर सीरीज पर कब्जा कर लिया था. इंग्लैड की हार के बाद इंग्लिश मीडिया और क्रिकेट प्रेमियों के बीच इस बात की काफी निंदा की गई.

इस जीत के 5 महीने बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम महज एक टेस्ट खेलने इंग्लैड आई थी. ये मैच लंदन के ओवल में खेला गया था. तीन दिन के इस मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिआई टीम के कप्तान  बिली मर्डोक थे और इंग्लैड के कप्तान अल्बर्ट नेलसन थे.

28 अगस्त,1882 को खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत पहले बल्लेबाजी चुनी थी. मैच के ठीक पहले बारिश हुई थी जिस वजह से ये अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मैच में गेंदबाजों का बोल-बाला रहेगा. टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने आई ऑस्ट्रेलियाई टीम 80 ओवर में 63 रन पर ही ऑल-आउट हो गई.

ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज बेलकहम ने सबसे ज्यादा 17 रन बनाए थे. जवाब में इंग्लैंड ने कुल 101 रन बनाकर 38 रन की बढ़त हासिल की. अपनी दूसरी पारी में ह्यूज मैसी की 60 गेंदों पर शानदार 55 रनों की पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने 122 रन बनाए.

मैच की अंतिम पारी में इंग्लैंड को केवल 85 रनों की जरूरत थी. उनकी जीत सुनिश्चित लग रही थी, लेकिन इंग्लैड की टीम 77 रनों पर ही सिमट गई. एक वक्त था जब इंग्लैड को जीतने के लिए 34 रनों की जरूरत थी और सात विकेट हाथ में थे. गिलबर्ट ग्रेस 32 रन बनाकर अभी भी क्रिज पर थे. जैसे ही उनका विकेट गिरा वैसे ही क्रिकेट के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पतन में से एक शुरू हो गया. इस घटना ने तो मैच को नाटकीय रूप से बदल दिया.

ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इस मैच को सात रनों से जीत लिया और इंग्लैंड पहली बार अपने घरेलू मैदान पर मैच हार गई थी.

इसके बाद इंग्लैड के मशहूर अखबार 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' ने इसके बाद एक संदेश छापा. उसमें लिखा था कि इंग्लैड क्रिकेट की मौत हो चुकी है. उसका दाह-संस्कार किया जाएगा और उसके बाद उसकी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा. इसी घटना के बाद इस सीरीज का नाम एशेज पड़ा था.

अगले वर्ष इंग्लैंड के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान तत्कालीन इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीघ ने घोषणा की थी कि,"हम एशेज जीतेंगे और हासिल करेंगे".

उस वक्त कहा गया था कि इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया से एशेज राख वापस लाने जा रही है. उस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने पहला टेस्ट नौ विकेट से जीता था, लेकिन इंग्लैंड ने अगले दो मैच जीतने में कामयाब रहा. इंग्लैंड 3-1 से जीत कर टेस्ट में अपनी खोई हुई सत्ता हासिल करने में कामयाब रही.

कहा जाता है कि इस सीरीज में खेले गए आखरी टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गिल्लियों को जला दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया से लौटते समय, कुछ महिला फैंस ने अंग्रेजी कप्तान को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों पर अपनी जीत की याद दिलाने के लिए एक यादगार के रूप में जले हुए क्रिकेट स्टंप की राख से भरा कलश भेंट किया था.

ये कलश कभी भी एशेज श्रृंखला की आधिकारिक ट्रॉफी नहीं रहा, ये ब्लीग के लिए एक व्यक्तिगत उपहार था. हालांकि, कलश की नकल अक्सर विजयी टीमों द्वारा एशेज श्रृंखला में उनकी जीत के प्रतीक के रूप में रखी जाती हैं.

एशेज सीरीज इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगभग साल खेला जाता है. अब तक कुल 63 एशेज सीरीज खेली जा चुकी है. ऑस्ट्रेलिया ने 32 तो इंग्लैड ने 31 एशेज अपने नाम किए और 5 ड्रॉ रहे हैं.

एक बार फिर ये दोनों टीमें एशेज के लिए भिड़ेंगी. हालांकि पिछेली बार एशेज में ऑस्ट्रेलिया ने जीत का परचम लहराया था लेकिन इस बार उनको कड़ी टक्कर देने के लिए पहली बार विश्व चैंपियन बनी इंग्लैंड होगी.


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