सिडनी: स्टीव स्मिथ ने इस मैच की पहली पारी में 131 रन बनाए. ये उनका भारत के खिलाफ आठवां और कुल 27वां टेस्ट शतक है. वो जोश हेजलवुड के साथ तेजी से रन भाग रहे थे. स्मिथ ने स्कावयर लेग पर शॉट खेला और रन के लिए भागे. एक रन लेने के बाद वो दूसरे रन के लिए भी दौड़ पड़े. स्मिथ जब दूसरा रन ले रहे थे तभी जडेजा ने गेंद पकड़ कर सीधी थ्रो विकेटों पर मार दी और स्मिथ रन आउट हो गए. इसी के साथ ऑस्ट्रेलियाई पारी भी 338 रनों पर समाप्त हो गई.
जडेजा ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद कहा, "मेरे लिए वो रन आउट ऐसा है जिसे मैं रिवाइंड करके देख सकता हूं. ये मेरे सबसे अच्छे रन आउटों में से एक है- 30 यार्ड के सर्किल से सीधी थ्रो. मैं इसे अपना सर्वश्रेष्ठ, मेरा पसंदीदा कहूंगा. जहां तक विकेट की बात है, भारत के बाहर चार या पांच विकेट हमेशा अच्छे रहते हैं लेकिन यह अलग ही पल था."
ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे दिन की शुरुआत दो विकेट के नुकसान पर 166 रनों के साथ की थी. दूसरे दिन भी ऑस्ट्रेलिया ने अच्छी शुरुआत की। लेकिन मेजबान टीम ने अपने आठ विकेट 122 रनों पर खो दिए इसमें से जडेजा ने चार विकेट लिए.
जडेजा ने कहा, "हमने धैर्य रखने की बात की थी क्योंकि विकेट ऐसी नहीं थी कि आप वहां जाकर आसानी से विकेट ले सकते थे। हमने तय किया था कि हम खाली गेंदें निकालेंगे.. प्लान था कि उन्हें आसानी से बाउंड्रीज नहीं देनी है, ताकि हम विकेटों के लिए दबाव बना सकें." जडेजा ने लाबुशैन के अलावा वेड, पैट कमिंस, नाथन लॉयन के विकेट भी लिए. उन्होंने कहा, "विकेट काफी धीमी थी और गेंदबाजी करना आसान नहीं था क्योंकि विकेट पर टर्न नहीं थी। एक ही लाइन पर गेंदबाजी करना अहम था."
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जडेजा ने कहा, "मेरी सोच थी कि मैं रन नहीं दूं और एक छोर से दबाव बना सकूं। यह विकेट ऐसी नहीं है कि आपको हर ओवर में मौका मिलें." बाएं हाथ के गेंदबाज ने कहा, "आप एक स्पीड से गेंदबाजी नहीं कर सकते क्योंकि यह विकेट आपकी मदद नहीं कर रही है, इसलिए आपको मिश्रण करना होगा."
उन्होंने कहा, "मेरा विचार स्टम्प पर गेंदबाजी करने और स्टीव स्मिथ को आसानी से रन न देने का था. बाकी के अन्य तेज गेंदबाज सही जगह गेंदबाजी कर रहे थे और बल्लेबाजों पर दबाव बना रहे थे."