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सुप्रीम कोर्ट ने सीएबी को बीसीसीआई के पास जाने की मंजूरी दी - Cricket Association of Bihar latest news

सीएबी का प्रतिनिधित्व कर रहे विकास मेहता ने शीर्ष अदालत के सामने कहा है कि कोर्ट को बीसीसीआई की प्रतिक्रिया मांगनी चाहिए ताकि विवाद को सुलझाया जा सके.

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Published : Dec 13, 2020, 3:10 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) को मंजूरी दे दी है कि वह बिहार में क्रिकेट को चलाने और प्रबंधन के लिए बीसीसीआई के पास जाए और एक स्वतंत्र एड-हॉक समिति या सुपरवाइजरी समिति का गठन करने को कहे.

सीएबी का प्रतिनिधित्व कर रहे विकास मेहता ने शीर्ष अदालत के सामने कहा है कि कोर्ट को बीसीसीआई की प्रतिक्रिया मांगनी चाहिए ताकि विवाद को सुलझाया जा सके.

इससे पहले न्यायाधीश एल.नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की पीठ ने मेहता से कहा था कि अगर कोई विवाद है तो अपीलकर्ता सही फोरम से संपर्क कर सकता है. मेहता ने कहा था कि इसके लिए सबसे उपयुक्त फोरम बीसीसीआई है.

BCCI
बीसीसीआई

सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बोर्ड की तरफ से शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) नकारात्मकता के जाल में फंस गई है.

उन्होंने लिखा, "हर तबगा अपनी वार्षिक आम बैठक बुलाता है और दूसरे के खिलाफ कदम उठाता है, बीसीए न सिर्फ अपने आप को पंजीकृत कराने में असफल रही है बल्कि वह ऐसी संघ भी नहीं रही जो इस समय काम कर रही हो."

वर्मा ने कहा कि बीसीए के आंतरिक मामलों के कारण क्रिकेट को नुकसान हुआ है क्योंकि बिहार के अंडर-16, 19, 23 के खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, चयनकतार्ओं और स्टाफ को वेतन नहीं मिला है.

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में न्यायाधीश आर.एम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था जिसने जनवरी 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल की दी थी.

शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई के नए संविधान को मंजूरी दे दी थी और हर सदस्य को इसके अंतर पंजीकृत कराने को कहा था. वर्मा ने कहा कि बीसीए ने अभी तक अपने आप को पंजीकृत नहीं कराया है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) को मंजूरी दे दी है कि वह बिहार में क्रिकेट को चलाने और प्रबंधन के लिए बीसीसीआई के पास जाए और एक स्वतंत्र एड-हॉक समिति या सुपरवाइजरी समिति का गठन करने को कहे.

सीएबी का प्रतिनिधित्व कर रहे विकास मेहता ने शीर्ष अदालत के सामने कहा है कि कोर्ट को बीसीसीआई की प्रतिक्रिया मांगनी चाहिए ताकि विवाद को सुलझाया जा सके.

इससे पहले न्यायाधीश एल.नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की पीठ ने मेहता से कहा था कि अगर कोई विवाद है तो अपीलकर्ता सही फोरम से संपर्क कर सकता है. मेहता ने कहा था कि इसके लिए सबसे उपयुक्त फोरम बीसीसीआई है.

BCCI
बीसीसीआई

सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बोर्ड की तरफ से शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) नकारात्मकता के जाल में फंस गई है.

उन्होंने लिखा, "हर तबगा अपनी वार्षिक आम बैठक बुलाता है और दूसरे के खिलाफ कदम उठाता है, बीसीए न सिर्फ अपने आप को पंजीकृत कराने में असफल रही है बल्कि वह ऐसी संघ भी नहीं रही जो इस समय काम कर रही हो."

वर्मा ने कहा कि बीसीए के आंतरिक मामलों के कारण क्रिकेट को नुकसान हुआ है क्योंकि बिहार के अंडर-16, 19, 23 के खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, चयनकतार्ओं और स्टाफ को वेतन नहीं मिला है.

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में न्यायाधीश आर.एम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था जिसने जनवरी 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल की दी थी.

शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई के नए संविधान को मंजूरी दे दी थी और हर सदस्य को इसके अंतर पंजीकृत कराने को कहा था. वर्मा ने कहा कि बीसीए ने अभी तक अपने आप को पंजीकृत नहीं कराया है.

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