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'सचिन, सौरव और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया'

बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों ने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली को लोकपाल के तहत नोटिस भेजे जाने पर नाराजगी जताई है. उनका मानना है कि इन दिग्गजों का नाम बेवजह इस मामले में जोड़ा जा रहा है और बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है.

बीसीसीआई
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Published : Apr 25, 2019, 9:08 PM IST

Updated : Apr 26, 2019, 7:16 AM IST

हैदराबाद: बीसीसीआई के लोकपाल डी.के. जैन ने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण को बुधवार नोटिस भेजा है और इनसे बोर्ड की सलाहकार समिति (सीएसी) का सदस्य रहते हुए आईपीएल टीमों के साथ जुड़ने को लेकर सफाई मांगी है. हालांकि इससे बीसीसीआई के अधिकारी खुश नहीं हैं.

गौरतलब है कि लोकपाल ने ये नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता के उस आरोप के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने सचिन और लक्ष्मण पर बीसीसीआई के संविधान के नियम 38 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

गांगुली के बाद अब इन पूर्व खिलाड़ियों को भी BCCI लोकपाल ने थमाया नोटिस


बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सचिन, सौरव गांगुली और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है और इसलिए ये इस बात को दर्शाता है कि बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है.

बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर गड़बड़ी


उन्होंने कहा,"ये मामले बताते हैं कि बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर किस तरह की गड़बड़ी है. जब एक निश्चित व्यक्ति को निशाना बनाया गया तब किसी को परेशानी नहीं हुई. तब ऐसा प्रतित हो रहा था कि मानो बाकी की दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं है क्योंकि ये एक तय समूह का ध्यान रख रहा था. अब आपके पास वही नियम हैं जो अगर लागू किए जाते हैं तो सचिन जैसे महान बल्लेबाज और लक्ष्मण युवा खिलाड़ियों को निखराने से वंचित रह सकते हैं साथ ही भारतीय क्रिकेट को कई तरह से सेवा देने से रोक सकते हैं."

साथ ही उन्होंने कहा,"उलझन ये है कि सचिन को इसका भुगतान करना होगा. सीओए ने उनकी सेवाओं का अभी तक अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया है और जिस समिति का वो हिस्सा हैं उसमें सचिन की सलाह को भी नजर अंदाज किया है क्योंकि जिस समिति को वो सदस्य हैं उसकी कार्यप्रणाली को लेकर पहले से ही सवालिया निशान हैं. जब आप सचिन, लक्ष्मण और सौरभ जैसे खिलाड़ियों को रोकते हैं तो इससे भारतीय क्रिकेट का नुकसान करते हैं."

दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरभ गांगुली
दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली

जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई

बोर्ड के एक अन्य अधिकारी ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा,"ऐसा नहीं है कि जो लोग कार्यरत हैं और जिनका हितों का टकराव जाहिर नहीं है वो लोगों को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं. आप प्रशिक्षकों और ट्रेनरों की नियुक्ति को देख लीजिए. एक पारदर्शी सिस्टम के न होने से एड-हॉक के तौर पर जो नियुक्तियां की गई हैं उनके बारे में कुछ कहा ही नहीं जा सकता. जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई, ये भी एक मुद्दा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टीम का जो ट्रेनर है वो अपने परिवार के ट्रेनिंग संसधान से जुड़ा हुआ है और वो ट्रेनरों की भर्ती के मामले में अहम रोल निभाता है. सचिन, सौरभ और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है ताकि वो पूरा भार झेलें."

आपको बता दें इससे पहले जैन ने दिल्ली कैपिटल्स के सलाहाकर सौरभ से मुलाकात की थी क्योंकि उनके खिलाफ भी हितों के टकराव को लेकर शिकायतें आई थीं. साढ़े तीन घंटे की बैठक के बाद जैन ने सभी पक्षों से लिखित में जवाब भी मांगा.

हैदराबाद: बीसीसीआई के लोकपाल डी.के. जैन ने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण को बुधवार नोटिस भेजा है और इनसे बोर्ड की सलाहकार समिति (सीएसी) का सदस्य रहते हुए आईपीएल टीमों के साथ जुड़ने को लेकर सफाई मांगी है. हालांकि इससे बीसीसीआई के अधिकारी खुश नहीं हैं.

गौरतलब है कि लोकपाल ने ये नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता के उस आरोप के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने सचिन और लक्ष्मण पर बीसीसीआई के संविधान के नियम 38 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

गांगुली के बाद अब इन पूर्व खिलाड़ियों को भी BCCI लोकपाल ने थमाया नोटिस


बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सचिन, सौरव गांगुली और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है और इसलिए ये इस बात को दर्शाता है कि बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है.

बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर गड़बड़ी


उन्होंने कहा,"ये मामले बताते हैं कि बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर किस तरह की गड़बड़ी है. जब एक निश्चित व्यक्ति को निशाना बनाया गया तब किसी को परेशानी नहीं हुई. तब ऐसा प्रतित हो रहा था कि मानो बाकी की दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं है क्योंकि ये एक तय समूह का ध्यान रख रहा था. अब आपके पास वही नियम हैं जो अगर लागू किए जाते हैं तो सचिन जैसे महान बल्लेबाज और लक्ष्मण युवा खिलाड़ियों को निखराने से वंचित रह सकते हैं साथ ही भारतीय क्रिकेट को कई तरह से सेवा देने से रोक सकते हैं."

साथ ही उन्होंने कहा,"उलझन ये है कि सचिन को इसका भुगतान करना होगा. सीओए ने उनकी सेवाओं का अभी तक अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया है और जिस समिति का वो हिस्सा हैं उसमें सचिन की सलाह को भी नजर अंदाज किया है क्योंकि जिस समिति को वो सदस्य हैं उसकी कार्यप्रणाली को लेकर पहले से ही सवालिया निशान हैं. जब आप सचिन, लक्ष्मण और सौरभ जैसे खिलाड़ियों को रोकते हैं तो इससे भारतीय क्रिकेट का नुकसान करते हैं."

दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरभ गांगुली
दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली

जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई

बोर्ड के एक अन्य अधिकारी ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा,"ऐसा नहीं है कि जो लोग कार्यरत हैं और जिनका हितों का टकराव जाहिर नहीं है वो लोगों को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं. आप प्रशिक्षकों और ट्रेनरों की नियुक्ति को देख लीजिए. एक पारदर्शी सिस्टम के न होने से एड-हॉक के तौर पर जो नियुक्तियां की गई हैं उनके बारे में कुछ कहा ही नहीं जा सकता. जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई, ये भी एक मुद्दा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टीम का जो ट्रेनर है वो अपने परिवार के ट्रेनिंग संसधान से जुड़ा हुआ है और वो ट्रेनरों की भर्ती के मामले में अहम रोल निभाता है. सचिन, सौरभ और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है ताकि वो पूरा भार झेलें."

आपको बता दें इससे पहले जैन ने दिल्ली कैपिटल्स के सलाहाकर सौरभ से मुलाकात की थी क्योंकि उनके खिलाफ भी हितों के टकराव को लेकर शिकायतें आई थीं. साढ़े तीन घंटे की बैठक के बाद जैन ने सभी पक्षों से लिखित में जवाब भी मांगा.

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'सचिन, सौरभ और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया'



 





बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों ने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरभ गांगुली को लोकपाल के तहत नोटिस भेजे जाने पर नाराजगी जताई है. उनका मानना है कि इन दिग्गजों का नाम बेवजह इस मामले में जोड़ा जा रहा है और बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है.





हैदराबाद: बीसीसीआई के लोकपाल डी.के. जैन ने दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण को बुधवार नोटिस भेजा है और इनसे बोर्ड की सलाहकार समिति (सीएसी) का सदस्य रहते हुए आईपीएल टीमों के साथ जुड़ने को लेकर सफाई मांगी है. हालांकि इससे बीसीसीआई के अधिकारी खुश नहीं हैं.

गौरतलब है कि लोकपाल ने ये नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता के उस आरोप के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने सचिन और लक्ष्मण पर बीसीसीआई के संविधान के नियम 38 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सचिन, सौरभ गांगुली और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है और इसलिए ये इस बात को दर्शाता है कि बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा,"ये मामले बताते हैं कि बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर किस तरह की गड़बड़ी है. जब एक निश्चित व्यक्ति को निशाना बनाया गया तब किसी को परेशानी नहीं हुई. तब ऐसा प्रतित हो रहा था कि मानो बाकी की दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं है क्योंकि ये एक तय समूह का ध्यान रख रहा था. अब आपके पास वही नियम हैं जो अगर लागू किए जाते हैं तो सचिन जैसे महान बल्लेबाज और लक्ष्मण युवा खिलाड़ियों को निखराने से वंचित रह सकते हैं साथ ही भारतीय क्रिकेट को कई तरह से सेवा देने से रोक सकते हैं."

साथ ही उन्होंने कहा,"उलझन ये है कि सचिन को इसका भुगतान करना होगा. सीओए ने उनकी सेवाओं का अभी तक अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया है और जिस समिति का वो हिस्सा हैं उसमें सचिन की सलाह को भी नजर अंदाज किया है क्योंकि जिस समिति को वो सदस्य हैं उसकी कार्यप्रणाली को लेकर पहले से ही सवालिया निशान हैं. जब आप सचिन, लक्ष्मण और सौरभ जैसे खिलाड़ियों को रोकते हैं तो इससे भारतीय क्रिकेट का नुकसान करते हैं."

बोर्ड के एक अन्य अधिकारी ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा,"ऐसा नहीं है कि जो लोग कार्यरत हैं और जिनका हितों का टकराव जाहिर नहीं है वो लोगों को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं. आप प्रशिक्षकों और ट्रेनरों की नियुक्ति को देख लीजिए. एक पारदर्शी सिस्टम के न होने से एड-हॉक के तौर पर जो नियुक्तियां की गई हैं उनके बारे में कुछ कहा ही नहीं जा सकता. जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई, ये भी एक मुद्दा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टीम का जो ट्रेनर है वो अपने परिवार के ट्रेनिंग संसधान से जुड़ा हुआ है और वो ट्रेनरों की भर्ती के मामले में अहम रोल निभाता है. सचिन, सौरभ और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है ताकि वो पूरा भार झेलें."

आपको बता दें इससे पहले जैन ने दिल्ली कैपिटल्स के सलाहाकर सौरभ से मुलाकात की थी क्योंकि उनके खिलाफ भी हितों के टकराव को लेकर शिकायतें आई थीं. साढ़े तीन घंटे की बैठक के बाद जैन ने सभी पक्षों से लिखित में जवाब भी मांगा.


Conclusion:
Last Updated : Apr 26, 2019, 7:16 AM IST
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