नई दिल्ली: विराट कोहली ने क्रिकेट कमेंटेटर मार्क निकोलस से चर्चा में कहा, "निजी तौर पर कहूं तो ये ऐसा होता है कि आप बहुत से लोगों के बीच भी खुद को अकेला महसूस करते हैं. मैं ये नहीं कहूंगा कि मेरे पास बात करने के लिए लोग नहीं थे, लेकिन कोई ऐसा विशेषज्ञ नहीं था जो ये समझ सके कि मैं किस स्थिति से गुजर रहा हूं. मेरे ख्याल से ये बहुत बड़ा फैक्टर है. मैं इसमें कुछ परिवर्तन देखना चाहूंगा."
भारतीय कप्तान ने कहा कि खिलाड़ी अक्सर खराब फॉर्म से गुजरने के बाद बाहर हो जाते हैं, लेकिन ये खराब मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों के लिए समाधान नहीं है. कोहली ने कहा, "कई लोगों को लंबे समय तक इससे जूझना पड़ता है. कई बार एक महीने या पूरे क्रिकेट सत्र तक ये चलता है. कई लोग इससे नहीं उभर पाते हैं."
उन्होंने कहा, "उस वक्त उस इंसान की स्थिति काफी गंभीर होती है और मेरा मानना है कि ऐसे में विशेषज्ञ की मदद जरुरत होती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो लोगों को इससे अपने हिसाब से लड़ना होता है." कोहली ने कहा, "जब आप देखते हैं कि आप स्कोर नहीं कर पा रहे तो ये अच्छा नहीं होता. मेरे ख्याल से सभी बल्लेबाजों को किसी समय ऐसा लगता होगा कि सबकुछ उनके हाथ में नहीं है."
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इंग्लैंड दौरे को लेकर उन्होंने कहा, "जब आप खराब समय से गुजरते हैं तो आपको नहीं पता चलता कि आप इससे कैसे निकलेंगे. मुझे उस वक्त ऐसा लग रहा था कि मैं दुनिया का सबसे अकेला इंसान हूं."