नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी भारतीय टीम के साथ अमेरिका जा रहे हैं. भारतीय टीम वेस्टइंडीज के साथ फ्लोरिडा में दो टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगी. जौहरी के साथ इस दौरे पर सीएफओ संतोष रांगनेकर भी होंगे. इन दोनों के दौरे पर जाने की वजह भविष्य में होने वाले दौरों पर चर्चा करना है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि जौहरी और सीएफओ के इस तरह के दौरे रुकने चाहिए.
बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने सीएफओ के 11 दिन के दौरे पर सवाल उठाए साथ ही पूछा कि क्यों सीईओ ने दौरे के बीच में छुट्टियां मांगी हैं. अधिकारी ने कहा कि प्रशासकों की समिति (सीओए) इन दोनों की मदद कर रही है.
अधिकारी ने कहा,"मौजूदा समय में बीसीसीआई का प्रशासन नियंत्रण मजाक बन गया है. सीएफओ और सीईओ के अमेरिका जाने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है, लेकिन ये दोनों बाहर जाने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसमें सीओए उनकी मदद कर रहा है."
अघिकारी ने कहा,"अगर आप देखेंगे तो सीएफओ का 11 दिनों के लिए अमेरिका जाना एक स्कैंडल की तरह लग रहा है. सही मायने में कौन जा रहा है? किसने इसे मंजूरी दी? क्या कोई पारदर्शिता है? साथ ही सीईओ ने दौरे के दौरान छुट्टी क्यों मांगी है? इस तरह के दौरे रुकने चाहिए."
इससे पहले बीसीसीआई एक और अधिकारी ने कहा था कि सीओए सीमाएं लांघ कर सीईओ की मदद कर रहा है.
अधिकारी ने कहा,"सीओए ने अलग हटकर सीईओ को मदद दी है और इसके कारण वही जानते हैं. तीन उदाहरण हमारे सामने हैं. पहला जिस तरह जौहरी पर लगे यौन शोषण के आरोपों के मुद्दे को संभाला गया. सीईओ को पांच करोड़ का बोनस देना वो भी तब जब उन्होंने इसके लिए तय मानकों को हासिल नहीं किया और तीसरा उनके यातायात को मंजूरी देना."
अधिकारी ने कहा,"अब वो अमेरिका जा रहे हैं जिसका कोई वाजिब कारण नजर नहीं आता. ऐसा पता चला है कि वो अकेले नहीं जा रहे हैं उनके साथ स्टाफ है. हमें लगा था कि आईसीसी की वार्षिक बैठक खत्म हो गई है."