हैदराबाद: क्रिकेट में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं. एक वक्त था जब सिर्फ टेस्ट मैच खेला जाता था फिर एक दिवसीय फॉर्मेट ने दस्तक दिया. लगभग डेढ़ दशक पहले टी20 को जगह मिली, उसके बाद पिंक बॉल टेस्ट आया. इन सबके बाद पिछले साल (2019) टी10 लीग भी आ गई और अब क्रिकेट के नए फॉर्मेट में चार दिवसीय टेस्ट मैच लाने की बात जोरों पर है.
आईसीसी चाहती है कि चार दिवसीय टेस्ट मैच 2023 में होने वाली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा बने. इवेंट विंडो के लिए आईसीसी की बढ़ती मांग, घरेलू टी20 लीगों का प्रचार, बीसीसीआई की द्विपक्षीय कैलेंडर में अपने स्वयं के हिस्से के लिए मांगें और टेस्ट श्रृंखला के आयोजन के खर्च को देखते हुए आईसीसी इस फॉर्मेट को लाना चाहता है.
कई पूर्व और वर्तमान खिलाड़ियों ने चार दिवसीय टेस्ट मैच पर अपने-अपने विचार साझा किए हैं. कई क्रिकेटर इस फॉर्मेट के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने इसपर सहमति जताई है.
आइए एक नजर डालते हैं इस खेल के अलग- अलग पहलुओं पर-
क्या- क्या बदलाव होंगे?
साल 2017 में दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के बीच खेले जाने वाले पहले 4-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में जिन नियमों का इस्तेमाल किया गया था, इस बार भी वही नियम होंगे.
- चार दिवसीय टेस्ट मैच की समय सीमा को बढ़ाकर छह-साढ़े छह घंटे कर दिए जाएंगे, जो आमतौर पर खेले जाने वाले पांच दिवसीय टेस्ट मैच से एक से डेढ़ घंटे ज्यादा है. इसी के साथ, एक दिन में 90 के बजाए 98 ओवर का खेल होगा.
- आपको बता दें कि पांच-दिवसीय खेलों की तरह इस फॉर्मेट में भी ओवरों को पूरा करने के लिए खेल को एक घंटे और बढ़ाया जा सकता है.
- खेलने के पहले दो सत्र दो घंटे के बजाए दो घंटे 15 मिनट के होंगे जिसमें पहले सत्र में लंच ब्रेक के बजाय 20 मिनट के चाय ब्रेक होगा. दूसरे सत्र के बाद 40 मिनट का डिनर ब्रेक होगा.
- रोशनी खराब के कारण हुई मैच में देरी के लिए अगले दिन अलग से समय नहीं दिया जाएगा. साथ ही, अब फॉलो-ऑन 150 रनों के लीड के साथ ही हो जाएगा जो पांच दिवसीय टेस्ट में 200 रनों पर होता था.
4-दिवसीय टेस्ट के पीछे हैं ये आंकड़े
अगर पिछले दो साल के आंकड़ों को देखें तो खेले गए 40% मैच ही पांचवें दिन तक गए हैं. साल 2018-19 में 60 फीसदी मैच चौथे दिन ही खत्म हो गए हैं.
बड़ी बात ये है कि 2019 में खेले गए 39 टेस्ट मैचों में सिर्फ एक ही मैच में 400 से ज्यादा ओवर फेंके गए. 39 में से केवल 13 मैच ही पांचवें दिन खत्म हुए जिनमें से 4 मैच ड्रॉ रहे.
क्यों चाहते हैं 4 दिवसीय टेस्ट मैच?
ऐसा कहा जा रहा है कि अगर टेस्ट मैच पांच दिन के बजाय चार दिन के कर दिए जाते हैं और साल 2015-23 के कार्यक्रम के मुताबिक ही मैच खेले जाते हैं तो इससे आईसीसी, बोर्ड्स और खिलाड़ियों तीनों को फायदा मिलेगा.
इसके साथ ही ये भी माना जा रहा है कि अगर चार दिन का टेस्ट हुआ तो 2023 से 2031 के बीच कुल 335 दिन खाली रहेंगे जिसमें दूसरी टेस्ट सीरीज और टूर्नामेंट खेले जा सकते हैं. इससे बोर्ड, आईसीसी को वित्तीय फायदा हो सकता है.
⦁ ज्यादा नतीजे मिलेंगे
ये माना जा रहा है कि अगर टेस्ट मैच चार दिन का होगा तो पिच क्यूरेटर को ऐसी पिच तैयार करनी होगी, जिससे चार दिनों में ही मैच का फैसला हो जाए. इससे मैच और रोमांचक होगा और कम से कम मैच ड्रॉ होंगे साथ ही टेस्ट मैच को ज्यादा बढ़ावा मिलेगा.
⦁ खिलाड़ियों का मिलेगा आराम
जो एक्सपर्ट्स चार दिवसीय टेस्ट मैचों के पक्ष में हैं उनका कहना है कि इस फॉर्मेट में खिलाड़ियों को ज्यादा आराम मिलेगा और उनके चोटिल होने की आशंका भी कम होगी.
कई दिग्गज खिलाड़ी विपक्ष में
एक ओर जहां आईसीसी दूसरे क्रिकेट बोर्ड्स के साथ मिलकर चार दिवसीय टेस्ट मैचों पर बड़ी बैठक कर इसे क्रिकेट का हिस्सा बनाना चाहता है, वहीं दूसरी ओर कई खिलाड़ी इस बात का विरोध कर रहे हैं.
इसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी नाथन लायन, टिम पेन, ग्लेन मैग्रा, ट्रेविस हेड, रिकी पोंटिंग, और कीवी तेज गेंदबाज नील वैग्नर ने इसका सिरे से विरोध किया है.
ना करने की वजह
साल 2019 में, जो भी मैच पांच दिन से पहले खत्म हुए हैं, उनमें से ज्यादातर मजबूत टीम का मुकाबला कमजोर टीम से हुआ था. लेकिन अगर दो मजबूत टीम आपस में भिड़ेंगे तो फिर मैच के नतीजे के लिए चार दिन कम पड़ सकते हैं.
जैसे कि कुछ महीने पहले खत्म हुई एशेज सीरीज 2-2 से बराबर रही थी. इस सीरीज के पांच में से तीन मैचों के नतीजे पांचवे दिन आएं थे. अगर ये सीरीज पांच के बजाए चार दिवसीय होते तो इंग्लैंड की टीम 1-0 से टेस्ट सीरीज जीत जाती.
अगर क्रिकेट के इस चार दिवसीय टेस्ट फॉर्मेट पर भारत के पक्ष की बात करें तो भारतीय कप्तान विराट कोहली, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, पूर्व खिलाड़ी गौतम गंभीर, सचिन तेंदुलकर में से कोई भी इससे खुश नहीं दिख रहा.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि बीसीसीआई और बाकी बोर्ड इसपर क्या फैसला लेते है.