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Badminton: सिंधु ने जीता विश्व खिताब, लक्ष्य सेन बने भविष्य की उम्मीद - लक्ष्य सेन

बैडमिंटन के लिए ये साल मिला-जुला रहा. सिंधु ने इसी साल भारत को विश्व चैेपियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाया. साथ ही लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे.

Badminton
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Published : Dec 23, 2019, 4:54 PM IST

नई दिल्ली: पी वी सिंधु ने इस साल विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जरूर जीता लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रही जबकि युवा लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे.

दो रजत और दो कांस्य पदक के बाद सिंधु ने भारत को विश्व चैंपियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाया. इसके बाद हालांकि वे इस फार्म को दोहरा नहीं आ सकी. स्विटजरलैंड में विश्व चैंपियनशिप से भारत को दो पदक मिले.

सिंधु के अलावा बी साइ प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के पदक जीतने के 36 साल बाद पुरूष एकल वर्ग में कांस्य जीता. युगल वर्ग में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने थाईलैंड ओपन सुपर 500 खिताब जीता और फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में पहुंची. सुपर 500 खिताब जीतने वाली ये पहली भारतीय जोड़ी बनी.

Badminton, B Sai Praneeth
बी साइ प्रणीत

अठारह वर्ष के लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे.

सौरभ वर्मा ने वियतनाम और हैदराबाद में सुपर 100 खिताब जीता. वे सैयद मोदी सुपर 300 टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे. महिला एकल में सिंधु के अलावा साइना नेहवाल ने इंडोनेशिया मास्टर्स सुपर 300 खिताब अपने नाम किया.

पिछले साल पांच रजत पदक और विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण जीतने वाली सिंधु इस साल फार्म में नहीं दिखी. कोरियाई कोच किम जू ह्यून के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रही सिंधु इंडोनेशिया ओपन में उपविजेता रही और बासेल में विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण जीता.

Badminton, PV Sindhu
पी वी सिंधु

सिंधु पूर्व ओलंपिक और विश्व चैंपियन झांग निंग के बाद विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी है. इसके बाद वे सत्र के आखिरी विश्व टूर फाइनल्स में खिताब बरकरार रखने में नाकाम रही.

पुरूष वर्ग में प्रणीत स्विस ओपन फाइनल में पहुंचे और सत्र के आखिर में विश्व रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहे. किदाम्बी श्रीकांत ने 2017 में चार खिताब जीते थे. उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और नंबर वन की रैंकिंग भी हासिल की लेकिन ये साल औसत ही रहा.

श्रीकांत इंडिया ओपन फाइनल में पहुंचे जबकि बाकी टूर्नामेंटों में औसत प्रदर्शन और घुटने की चोट के कारण बाहर रहने से विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर चले गए. एचएस प्रणॉय रैंकिंग में 26वें स्थान पर रहे.

Badminton, Kadambi Srikant
किदांबी श्रीकांत

साल की शुरूआत में रैंकिंग में 109वें स्थान पर रहे लक्ष्य ने पोलिश ओपन में उपविजेता रहकर 76 पायदान की छलांग लगाई. उसने सितंबर में बेल्जियम इंटरनेशनल जीता और फिर डच ओपन सुपर 100 तथा सारलोरलक्स सुपर 100 खिताब अपने नाम किए.

नवंबर में स्कॉटिश ओपन जीतने के बाद साल के आखिर में उन्होंने बांग्लादेश इंटरनेशनल चैलेंज जीता.

Badminton, SatwikSairaj renkyreddy, chirag shetty
सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी

युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी 13 टूर्नामेंटों में पहले दौर से बाहर हो गईं जबकि तीन बार दूसरे दौर से बाहर हुई. अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक से पहले कोच पुलेला गोपीचंद को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ लय में रहे.

नई दिल्ली: पी वी सिंधु ने इस साल विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जरूर जीता लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रही जबकि युवा लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे.

दो रजत और दो कांस्य पदक के बाद सिंधु ने भारत को विश्व चैंपियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाया. इसके बाद हालांकि वे इस फार्म को दोहरा नहीं आ सकी. स्विटजरलैंड में विश्व चैंपियनशिप से भारत को दो पदक मिले.

सिंधु के अलावा बी साइ प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के पदक जीतने के 36 साल बाद पुरूष एकल वर्ग में कांस्य जीता. युगल वर्ग में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने थाईलैंड ओपन सुपर 500 खिताब जीता और फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में पहुंची. सुपर 500 खिताब जीतने वाली ये पहली भारतीय जोड़ी बनी.

Badminton, B Sai Praneeth
बी साइ प्रणीत

अठारह वर्ष के लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे.

सौरभ वर्मा ने वियतनाम और हैदराबाद में सुपर 100 खिताब जीता. वे सैयद मोदी सुपर 300 टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे. महिला एकल में सिंधु के अलावा साइना नेहवाल ने इंडोनेशिया मास्टर्स सुपर 300 खिताब अपने नाम किया.

पिछले साल पांच रजत पदक और विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण जीतने वाली सिंधु इस साल फार्म में नहीं दिखी. कोरियाई कोच किम जू ह्यून के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रही सिंधु इंडोनेशिया ओपन में उपविजेता रही और बासेल में विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण जीता.

Badminton, PV Sindhu
पी वी सिंधु

सिंधु पूर्व ओलंपिक और विश्व चैंपियन झांग निंग के बाद विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी है. इसके बाद वे सत्र के आखिरी विश्व टूर फाइनल्स में खिताब बरकरार रखने में नाकाम रही.

पुरूष वर्ग में प्रणीत स्विस ओपन फाइनल में पहुंचे और सत्र के आखिर में विश्व रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहे. किदाम्बी श्रीकांत ने 2017 में चार खिताब जीते थे. उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और नंबर वन की रैंकिंग भी हासिल की लेकिन ये साल औसत ही रहा.

श्रीकांत इंडिया ओपन फाइनल में पहुंचे जबकि बाकी टूर्नामेंटों में औसत प्रदर्शन और घुटने की चोट के कारण बाहर रहने से विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर चले गए. एचएस प्रणॉय रैंकिंग में 26वें स्थान पर रहे.

Badminton, Kadambi Srikant
किदांबी श्रीकांत

साल की शुरूआत में रैंकिंग में 109वें स्थान पर रहे लक्ष्य ने पोलिश ओपन में उपविजेता रहकर 76 पायदान की छलांग लगाई. उसने सितंबर में बेल्जियम इंटरनेशनल जीता और फिर डच ओपन सुपर 100 तथा सारलोरलक्स सुपर 100 खिताब अपने नाम किए.

नवंबर में स्कॉटिश ओपन जीतने के बाद साल के आखिर में उन्होंने बांग्लादेश इंटरनेशनल चैलेंज जीता.

Badminton, SatwikSairaj renkyreddy, chirag shetty
सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी

युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी 13 टूर्नामेंटों में पहले दौर से बाहर हो गईं जबकि तीन बार दूसरे दौर से बाहर हुई. अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक से पहले कोच पुलेला गोपीचंद को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ लय में रहे.

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Badminton: सिंधू ने जीता विश्व खिताब, लक्ष्य सेन बने भविष्य की उम्मीद



नई दिल्ली: पी वी सिंधु ने इस साल विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जरूर जीता लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रही जबकि युवा लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे.



दो रजत और दो कांस्य पदक के बाद सिंधु ने भारत को विश्व चैंपियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाया. इसके बाद हालांकि वे इस फार्म को दोहरा नहीं आ सकी. स्विटजरलैंड में विश्व चैंपियनशिप से भारत को दो पदक मिले.



सिंधु के अलावा बी साइ प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के पदक जीतने के 36 साल बाद पुरूष एकल वर्ग में कांस्य जीता. युगल वर्ग में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने थाईलैंड ओपन सुपर 500 खिताब जीता और फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में पहुंची. सुपर 500 खिताब जीतने वाली ये पहली भारतीय जोड़ी बनी.



अठारह वर्ष के लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे.



सौरभ वर्मा ने वियतनाम और हैदराबाद में सुपर 100 खिताब जीता. वे सैयद मोदी सुपर 300 टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे. महिला एकल में सिंधु के अलावा साइना नेहवाल ने इंडोनेशिया मास्टर्स सुपर 300 खिताब अपने नाम किया.



पिछले साल पांच रजत पदक और विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण जीतने वाली सिंधु इस साल फार्म में नहीं दिखी. कोरियाई कोच किम जू ह्यून के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रही सिंधु इंडोनेशिया ओपन में उपविजेता रही और बासेल में विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण जीता.



सिंधु पूर्व ओलंपिक और विश्व चैंपियन झांग निंग के बाद विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी है. इसके बाद वे सत्र के आखिरी विश्व टूर फाइनल्स में खिताब बरकरार रखने में नाकाम रही.



पुरूष वर्ग में प्रणीत स्विस ओपन फाइनल में पहुंचे और सत्र के आखिर में विश्व रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहे. किदाम्बी श्रीकांत ने 2017 में चार खिताब जीते थे. उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और नंबर वन की रैंकिंग भी हासिल की लेकिन ये साल औसत ही रहा.



श्रीकांत इंडिया ओपन फाइनल में पहुंचे जबकि बाकी टूर्नामेंटों में औसत प्रदर्शन और घुटने की चोट के कारण बाहर रहने से विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर चले गए. एचएस प्रणॉय रैंकिंग में 26वें स्थान पर रहे.



साल की शुरूआत में रैंकिंग में 109वें स्थान पर रहे लक्ष्य ने पोलिश ओपन में उपविजेता रहकर 76 पायदान की छलांग लगाई. उसने सितंबर में बेल्जियम इंटरनेशनल जीता और फिर डच ओपन सुपर 100 तथा सारलोरलक्स सुपर 100 खिताब अपने नाम किए.



नवंबर में स्कॉटिश ओपन जीतने के बाद साल के आखिर में उन्होंने बांग्लादेश इंटरनेशनल चैलेंज जीता.



युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी 13 टूर्नामेंटों में पहले दौर से बाहर हो गईं जबकि तीन बार दूसरे दौर से बाहर हुई. अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक से पहले कोच पुलेला गोपीचंद को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ लय में रहे.


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