मुंबई : 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर फिल्म 'बाटला हाउस' सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. फिल्म की कहानी साल 2008 में दिल्ली के जामिया नगर के एल-18 बाटला हाउस में हुए एनकाउंटर पर आधारित है. वहीं जॉन अब्राहम इस फिल्म से अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचते दिख रहे हैं. उनके सीने में सुलगती आग और आंखों से रिसता दर्द हर उस भारतीय की कहानी है, जिसे हालात के झूठ के सामने अपना सच साबित करने के लिए हर घड़ी भिड़ना होता है.
तो चलिए सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्मी सफर के बारे जानने के लिए एक नज़र हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट पर.....
- क्या है फिल्म की कहानी.....
इस कहानी की शुरुआत दिल्ली पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर को लेकर मीडिया की तरह से न जाने कितने सवाल दागे जाते है. जिसका जवाब शायद ही पुलिस वालों के पास है. इसके बाद सीधे फिल्म पुलिस ऑफिसर संजय कुमार ( जॉन अब्राहम) के घर का होता है. जहां पर संजय और पत्नी नंदिता (मृणाल ठाकुर) के बीच जमकर लड़ाई हो रही हैं. जिसके बाद संजय अपनी पत्नी को घर छोड़कर जाने के लिए कहता है.
इसके बाद फिल्म में सीधे आपको ले जाती है दिल्ली के जामिया नगर के एल-18 बाटला हाउस. जहां पर जॉन अब्राहम पुलिस ऑफिसर संजय कुमार यादव की भूमिका में हैं और रवि किशन दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर के. के वहां की तीसरी मंजिल पर रेड करने जाते हैं. वहां पर पुलिस की इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ होती है.
इस मुठभेड़ में 2 संदिग्धों की मौत हो जाती है. इसके साथ ही 2 संदिग्ध मौके से भाग निकलता है और तुफैल नाम का संदिग्ध पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. इसके साथ ही इस मुठभेड़ में के.के घायल हो जाता है, जिसकी बाद में हॉस्पिटल में मौत हो जाती है. इस मुठभेड़ के बाद देश भर में आक्रोश भर जाता है.
इससे फर्जी एनकाउंटर कहकर आम जनता, बड़े ऑफिसर से लेकर राजनितिक पार्टियां भी आरोप-प्रत्यारोप करना शुरु कर देती है. संजय कुमार की टीम पर बेकसूर छात्रों को मारने का आरोप लगाया जाता है. जिसके बाद उनकी टीम में न जाने कितनी परेशानियों को सामना करना पड़ता है.
वहीं दूसरी ओर संजय कुमार एक मानसिक बीमारी पोस्ट ट्रॉमैटिक डिसॉर्डर का शिकार हो जाते हैं. जिसके कारण उनकी जिंदगी में कई समस्याएं आ जाती है. अब पुलिस ऑफिसर संजय कुमार खुद को और अपनी टीम के साथ-साथ अपनी मैरिज लाइफ कौ कैसे बचाते हैं. इस बारे में जानने के लिए आपको फिल्म तो देखनी ही पड़ेगी.
- एक्टिंग में कितना है दम...
सबसे पहले बात करते जॉन अब्राहम की एक्टिंग की तो हर बार की तरह इस बार भी वह पुलिस के किरदार में एक दम जम रहे हैं. उन्होंने हर डॉयलॉग, एक्शन के साथ-साथ अपने इमोशनल अंदाज को इस तरह सामने लाए है कि कि आप देखकर कहेंगे कि सच में यह असली संजय कुमार तो नहीं है. यूं कह सकते है कि जॉन अब्राहम की इस फिल्म में अभी तक की बेस्ट परफॉर्मेंस है.
इस मुठभेड़ में तुफैल बनें आलोक पांडे को जॉन अब्राहम कुरान की आयत को अरबी में बोलकर हिंदी में इस तरह समझाते हैं. जिससे देखकर एक पल के लिए आप भी शॉक्ड हो जाएंगे. पूरी फिल्म में वह एक ऑफिसर के रुप में हर समय से लड़ते नजर आएं. कहीं भी कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं हुआ.
मृणाल ठाकुर ने जॉन अब्राहम की पत्नी नंदिता का किरदार निभाया है. इस फिल्म में उन्होंने एक पत्नी के साथ-साथ न्यूज एंकर का किरदार में नजर आईं, लेकिन उनके रोल में कुछ तो कमी नजर आईं. के.के के रोल में रवि किशन के सीन तो कम थे, लेकिन उन्होंने इस किरदार में दर्शकों के बीच असर छोड़ने में कामयाब हो जाएंगे.
अब बात करते है नोरा फतेही की जोकि इस फिल्म में एक डांसर का किरदार निभा रही हैं. इसके अलावा वह एक फिल्म का एक अहम हिस्सा भी बनीं. उनका रोल तो छोटा था, लेकिन उस किरदार से बेशक वह हर किसी का दिल जरुर जीत लेंगी. इसके अलावा सपॉर्टिग स्टार्स की बात करें तो उसमें आलोक पांडे, मनीष चौधरी, क्रांति प्रकाश झा जैसे स्टार्स ने इस फिल्म को एक मजबूती दी.
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- क्या देखें क्या नहीं....
इस फिल्म में सबसे खास बात है कि इसमें पुलिस का गुंडाराज नहीं दिखाया है. न ही उनका गुणगान किया जा रहा है. असल में जो है उसे पूरी तरह दर्शाने में निखिल सफल हो गए हैं. अगर आप जॉन अब्राहम के फैन है. इसके साथ ही रियलिस्टिक फिल्में देखने का शौक है तो इस फिल्म को जरुर देखें.