मुंबई: आनंद गांधी ने 'शिप ऑफ थीसस', 'तुंबड', 'एन इनसिग्निफिकेंट मैन' और 'ओके कंप्यूटर' जैसे अपने निर्देशन और प्रोडक्शन वेंचर से हिंदी सिनेमा का परिदृश्य बदल दिया है. ऑफबीट विषयों पर एक अलग तरह के सिनेमा के लिए जाने जाने वाले फिल्म निर्माता ने अपने अगले शीर्षक 'द फ्यूचर ऑफ लिविंग टेरा' की घोषणा की है, जो एक मिनट की रील प्रारूप की शॉर्ट फिल्म है.
आनंद गांधी ने अपने इस्टाग्राम पर 'द फ्यूचर ऑफ लिविंग टेरा' के पोस्टर के साथ फिल्म की घोषणा की है. उन्होंने तस्वीर को कैप्शन दिया, 'मंगल से पृथ्वी तक, बंजर भूमि से लेकर पुनर्योजी शहरों तक. मानव सभ्यता का भविष्य हैशटेग इनदमेकिंग इंस्टाग्राम के सिनेमा रील फिल्म (एक 1 मिनट का) मेरे द्वारा निर्देशित टेरा है.' वूट इंस्टाग्राम और वूट पर जल्द ही आ रहा है.
पोस्टर में एक अंतरिक्ष यात्री को मंगल की लाल परत की तरह चलने पर दिखाया गया है, जिसकी पीठ सूर्य की ओर है. इसके तुरंत बाद, आनंद के लिए प्रशंसकों और दर्शकों ने उत्साह व्यक्त करना शुरू कर दिया. फिल्म रीलों की अवधारणा को घुमाती है और कम से कम समय-सीमा में एक सम्मोहक कहानी बताने का लक्ष्य रखती है.
जिंदगी को अलग नजरिये से देखती है 'शिप ऑफ थीसस'
फिल्म ’शिप ऑफ थीसस’ निर्देशन आनंद गांधी ने किया है. यह फिल्म आधारित है, इस फलसफा पर कि अगर एक शिप के सारे पार्ट्स बदल दिए जाए तो उसकी पहचान बदल जाएगी या वही रहेगी. इसी तरह से यह फिल्म भी एक खोज की तरह है, जिसमें व्यक्ति और उसकी पहचान और आने वाले बदलाव की बात है.
इसे आप इंसानों पर लागू करते हैं तो पाते हैं कि हर साल में हम बदल जाते हैं, आप कौन हैं, क्या हैं, ऐसे सवालों का जवाब खोजती फिल्म 'शिप ऑफ थीसस' तीन कहानियों के साथ आगे बढ़ती है.
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फिल्म में मुख्य किरदार निभाए हैं, आदिया अल काशिफ, नीरज कांबी और सोहम शाह ने, पहली कहानी है, आलया की, जो एक ऐसी फोटोग्राफर है, जो देख नहीं सकती पर बेहतरीन फोटोग्राफी करती है और आंखें वापस मिल जाने के बाद उनमें बदलाव आता है.
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(एक्स्ट्रा इनपुट-आईएएनएस)