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विनोद राठौर पहुंचे राजस्थान, बताई राजस्थानी गायकी की खासियतें

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Published : Jan 12, 2020, 3:41 PM IST

शाहरूख खान समेत कई बॉलीवुड स्टार्स को आवाज देने वाले मशहूर गायक विनोद राठौर ने अपनी जन्मभूमि राजस्थान का रुख किया और मीडिया से बातचीत के दौरान अपने करियर समेत राजस्थान की खासियत का भी जिक्र किया.

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विनोद राठौर पहुंचे राजस्थान

बांसवाड़ा, राजस्थानः 'दिलबर दिलबर' सॉन्ग के गायक विनोद राठौर अपनी जन्मभूमि राजस्थान पहुंचे और वहां पहुंचकर राजस्थानी गायकी के बारे में अपने विचार मीडिया के सामने पेश किए.


अपनी गायकी के दम पर दीवाना फिल्म से शाहरुख खान को बॉलीवुड में खड़ा करने वाले प्रख्यात पार्श्व गायक विनोद राठौड़ का मानना है कि राजस्थान एक ऐसी जगह है जहां गाना गायकों की छाती से निकलता है और यह निश्चित ही माता रानी का आशीर्वाद है. यहां के गायकों में जो गायकी का अंदाज है, वह पूरी दुनिया कि किसी भी गायक में नहीं मिलती. राठौड़ उभरती हुई फनकारा चांदनी मुखर्जी के साथ यहां एक म्यूजिकल नाइट में प्रस्तुति देने आए थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया कर्मियों से भी मुलाकात की.


मूल रूप से राजस्थान के सिरोही से ताल्लुक रखने वाले राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की गायकी देश और दुनिया से पूरी तरह से अलग है. राजस्थान के जिस किसी कलाकार का गला चलता है वैसा कोई भी सिंगर नहीं कह सकता.


टीवी शोज में राजस्थान के सिंगर जो गाते हैं उन कलाकारों में वह फन नहीं जो राजस्थान के सिंगर्स में है. यहां के गायकों पर माता रानी का आशीर्वाद रहा है. क्लासिकल के प्रति लोगों के क्रेज पर 90 के दशक के प्रख्यात गायक ने माना कि यह जेनरेशन गैप का नतीजा है. लोगों का टेस्ट चेंज हुआ है लेकिन क्लासिकल का महत्व अभी भी बरकरार है क्योंकि बेसिकली संगीत सात सुरों का संगम है. पूरी दुनिया में संगीत का आधार यही है.

पढ़ें- 'जर्सी' के सेट पर घायल होने के बाद पत्नी संग मुंबई लौटे शाहिद कपूर


हां यह जरूर है कि संगीत और सोच में बदलाव जरूर आया है. वैसे भी हर 5 साल में संगीत और सोच बदलती है. इसके कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब रिहर्सल का टाइम नहीं दिया जाता. पहले 2 दिन तक म्यूजिक डायरेक्टर गायक और फिल्म डायरेक्टर एक दूसरे के साथ बैठते थे गाने की सिचुएशन, किस हीरो के लिए संगीत दिया जाना है आदि पर डिस्कस किया जाता था.


ऐसे में सिंगर को भी गाए जाने वाले गाने से प्यार हो जाता था और जब अपना गीत गाता तो उसमें पूरी तरह से रम जाता लेकिन अब ऐसा नहीं है. म्यूजिक डायरेक्टर को पता नहीं है कि उसका गाना किस फिल्म में काम आएगा. कुल मिलाकर आज का संगीत दिशाहीन हो गया है.

विनोद राठौर पहुंचे राजस्थान


विनोद ने 'दिलबर दिलबर', 'छुपाना भी नहीं आता', 'दिल देने की रूत', 'ऐसी दिवानगी', 'जादू तेरी नजर', 'समझ कर चांद जिस को', 'कोई न कोई चाहिए', 'यारा ओ यारा', 'किताबे बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने' आदि सैंकड़ों हिट गाने दिए हैं.

बांसवाड़ा, राजस्थानः 'दिलबर दिलबर' सॉन्ग के गायक विनोद राठौर अपनी जन्मभूमि राजस्थान पहुंचे और वहां पहुंचकर राजस्थानी गायकी के बारे में अपने विचार मीडिया के सामने पेश किए.


अपनी गायकी के दम पर दीवाना फिल्म से शाहरुख खान को बॉलीवुड में खड़ा करने वाले प्रख्यात पार्श्व गायक विनोद राठौड़ का मानना है कि राजस्थान एक ऐसी जगह है जहां गाना गायकों की छाती से निकलता है और यह निश्चित ही माता रानी का आशीर्वाद है. यहां के गायकों में जो गायकी का अंदाज है, वह पूरी दुनिया कि किसी भी गायक में नहीं मिलती. राठौड़ उभरती हुई फनकारा चांदनी मुखर्जी के साथ यहां एक म्यूजिकल नाइट में प्रस्तुति देने आए थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया कर्मियों से भी मुलाकात की.


मूल रूप से राजस्थान के सिरोही से ताल्लुक रखने वाले राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की गायकी देश और दुनिया से पूरी तरह से अलग है. राजस्थान के जिस किसी कलाकार का गला चलता है वैसा कोई भी सिंगर नहीं कह सकता.


टीवी शोज में राजस्थान के सिंगर जो गाते हैं उन कलाकारों में वह फन नहीं जो राजस्थान के सिंगर्स में है. यहां के गायकों पर माता रानी का आशीर्वाद रहा है. क्लासिकल के प्रति लोगों के क्रेज पर 90 के दशक के प्रख्यात गायक ने माना कि यह जेनरेशन गैप का नतीजा है. लोगों का टेस्ट चेंज हुआ है लेकिन क्लासिकल का महत्व अभी भी बरकरार है क्योंकि बेसिकली संगीत सात सुरों का संगम है. पूरी दुनिया में संगीत का आधार यही है.

पढ़ें- 'जर्सी' के सेट पर घायल होने के बाद पत्नी संग मुंबई लौटे शाहिद कपूर


हां यह जरूर है कि संगीत और सोच में बदलाव जरूर आया है. वैसे भी हर 5 साल में संगीत और सोच बदलती है. इसके कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब रिहर्सल का टाइम नहीं दिया जाता. पहले 2 दिन तक म्यूजिक डायरेक्टर गायक और फिल्म डायरेक्टर एक दूसरे के साथ बैठते थे गाने की सिचुएशन, किस हीरो के लिए संगीत दिया जाना है आदि पर डिस्कस किया जाता था.


ऐसे में सिंगर को भी गाए जाने वाले गाने से प्यार हो जाता था और जब अपना गीत गाता तो उसमें पूरी तरह से रम जाता लेकिन अब ऐसा नहीं है. म्यूजिक डायरेक्टर को पता नहीं है कि उसका गाना किस फिल्म में काम आएगा. कुल मिलाकर आज का संगीत दिशाहीन हो गया है.

विनोद राठौर पहुंचे राजस्थान


विनोद ने 'दिलबर दिलबर', 'छुपाना भी नहीं आता', 'दिल देने की रूत', 'ऐसी दिवानगी', 'जादू तेरी नजर', 'समझ कर चांद जिस को', 'कोई न कोई चाहिए', 'यारा ओ यारा', 'किताबे बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने' आदि सैंकड़ों हिट गाने दिए हैं.

Intro:बांसवाड़ा। अपनी गायकी के दम पर दीवाना फिल्म से शाहरुख खान को बॉलीवुड में खड़ा करने वाले प्रख्यात पार्श्व गायक विनोद राठौड़ का मानना है कि राजस्थान एक ऐसी जगह है जहां गाना गायकों की छाती से निकलता है और यह निश्चित ही माता रानी का आशीर्वाद है । यहां के गायकों में जो गमक है, वह पूरी दुनिया कि किसी भी गायक में नहीं मिलती । राठौड़ उभरती हुई फनकारा चांदनी मुखर्जी के साथ यहां एक म्यूजिकल नाइट में प्रस्तुति देने आए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया कर्मियों से भी मुलाकात की।


Body:मूल रूप से राजस्थान के सिरोही से ताल्लुक रखने वाले राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की गायकी देश और दुनिया से पूरी तरह से अलग है। राजस्थान के जिस किसी कलाकार का गला चलता है वैसा कोई भी सिंगर नहीं कह सकता। टीवी शोज में राजस्थान के सिंगर जो गाते हैं बेसिकली वह blaced सिंगर है। यहां के गायकों पर माता रानी का आशीर्वाद रहा हैl क्लासिकल के प्रति लोगों के क्रेज पर 90 के दशक के प्रख्यात गायक ने माना कि यह जेनरेशन गैप का नतीजा हैl लोगों का टेस्ट चेंज हुआ है लेकिन क्लासिकल का महत्व अभी भी बरकरार है क्योंकि बेसिकली संगीत सात सुरों का संगम हैl पूरी दुनिया में संगीत का आधार यही हैl


Conclusion:हां यह जरूर है कि संगीत और सोच में बदलाव जरूर आया हैl वैसे भी हर 5 साल में संगीत और सोच बदलती हैl इसके कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब रिहर्सल का टाइम नहीं दिया जाताl पहले 2 दिन तक म्यूजिक डायरेक्टर गायक और फिल्म डायरेक्टर एक दूसरे के साथ बैठते थे गाने की सिचुएशन, किस हीरो के लिए संगीत दिया जाना है आदि पर डिस्कस किया जाता था। ऐसे में सिंगर को भी गाए जाने वाले गाने से प्यार हो जाता था और जब अपना गीत गाता तो उसमें पूरी तरह से रम जाता लेकिन अब ऐसा नहीं है। म्यूजिक डायरेक्टर को पता नहीं है कि उसका गाना किस फिल्म में काम आएगा। कुल मिलाकर आज का संगीत दिशाहीन हो गया है।

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