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हैंडलूम इंडस्ट्री का समर्थन कर हम उसको खत्म होने से बचा सकते हैं : शबाना आज़मी - Indian handloom sarees

दिग्गज अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा है कि वह हैंडलूम वर्क की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं, उन्होंने श्रद्धा सावंत की 'द मैजिक ऑफ लम्स - मसाकली' नाम की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते वक्त मीडिया से बातचीत में कहा कि, 'हमें हैंडलूम इंडस्ट्री का समर्थन करना चाहिए ताकि जो कलाएं धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं, हम उनको बचा सकें.'

Courtesy: Instagram
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Published : Aug 25, 2019, 12:10 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 5:05 AM IST

मुंबई: अभिनेत्री शबाना आज़मी ने बताया कि उनको हैंडलूम वर्क बहुत पसंद है. उन्होंने कहा कि, वह हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा देना चाहती हैं. शनिवार को शबाना आज़मी फैशन डिजाइनर श्रद्धा सावंत की 'द मैजिक ऑफ लम्स - मसाकली' नाम की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते वक्त मीडिया से बातचीत में यह बातें कहीं.

प्रदर्शनी में, भारतीय हैंडलूम साड़ियों जैसे चंदेरी, बनारसी, जरी, खादी-जामदानी, इकत, कांजीवरम, गढ़वाल, और पूरे भारत के बुनकरों द्वारा 500 से अधिक हाथ से बुनी कृतियों को प्रदर्शन पर रखा गया है, ताकि मरने वाली कला को जीवित रखा जा सके. शबाना आज़मी ने कहा, 'सबसे पहले, मैं श्रद्धा सावंत को उनकी इस अनोखी पहल के लिए बधाई देना चाहती हूं. मुझे बचपन से ही हैंडलूम का काम करना पसंद है क्योंकि मेरी माँ शौकत कैफ़ी वास्तव में हैंडलूम के काम की शौकीन थीं. आज़मी ने याद किया कि उन्होंने 'सुसमान' नामक एक फिल्म की शूटिंग की थी, जिसमें हैंडलूम बुनकरों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया था.

हैंडलूम इंडस्ट्री का समर्थन कर हम उसको खत्म होने से बचा सकते हैं : शबाना आज़मी

'कई साल पहले, मैंने श्याम बेनेगल की फिल्म 'सुसमान' (1987) की थी, जिसमें ओम पुरी ने एक बुनकर की और मैंने उनकी पत्नी की भूमिका निभाई थी. फिल्म ने तेजी से औद्योगिकीकरण के मद्देनजर ग्रामीण हैंडलूम बुनकरों के संघर्ष को उजागर किया. उस समय में केवल पुरुष बुनाई करते थे, लेकिन अब जब मैं महिलाओं को भी बुनाई करते देखती हूं, तो मुझे वास्तव में खुशी महसूस होती है.

आजमी ने कहा कि लोगों को अपनी क्षमता में हैंडलूम उद्योग का समर्थन करना चाहिए. जब हम भारत में कर्मचारियों की संख्या के बारे में बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि जो लोग हैंडीवर्क करते हैं. वह वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हैंडलूम उद्योग को देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित रखा गया है. मुझे लगता है कि यह हमारी संस्कृति, इतिहास और परंपरा का एक बड़ा हिस्सा है और इस उद्योग के कारण, कई बुनकरों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि हमें अपनी क्षमता में उनका समर्थन करना चाहिए.

शबाना आज़मी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सबसे सम्मानित अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में पाँच बार रिकॉर्ड जीता है. 2012 में पद्म भूषण प्राप्तकर्ता, उन्हें आखिरी बार अपर्णा सेन की 2017 की फिल्म 'सोनाटा' में देखा गया था.

मुंबई: अभिनेत्री शबाना आज़मी ने बताया कि उनको हैंडलूम वर्क बहुत पसंद है. उन्होंने कहा कि, वह हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा देना चाहती हैं. शनिवार को शबाना आज़मी फैशन डिजाइनर श्रद्धा सावंत की 'द मैजिक ऑफ लम्स - मसाकली' नाम की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते वक्त मीडिया से बातचीत में यह बातें कहीं.

प्रदर्शनी में, भारतीय हैंडलूम साड़ियों जैसे चंदेरी, बनारसी, जरी, खादी-जामदानी, इकत, कांजीवरम, गढ़वाल, और पूरे भारत के बुनकरों द्वारा 500 से अधिक हाथ से बुनी कृतियों को प्रदर्शन पर रखा गया है, ताकि मरने वाली कला को जीवित रखा जा सके. शबाना आज़मी ने कहा, 'सबसे पहले, मैं श्रद्धा सावंत को उनकी इस अनोखी पहल के लिए बधाई देना चाहती हूं. मुझे बचपन से ही हैंडलूम का काम करना पसंद है क्योंकि मेरी माँ शौकत कैफ़ी वास्तव में हैंडलूम के काम की शौकीन थीं. आज़मी ने याद किया कि उन्होंने 'सुसमान' नामक एक फिल्म की शूटिंग की थी, जिसमें हैंडलूम बुनकरों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया था.

हैंडलूम इंडस्ट्री का समर्थन कर हम उसको खत्म होने से बचा सकते हैं : शबाना आज़मी

'कई साल पहले, मैंने श्याम बेनेगल की फिल्म 'सुसमान' (1987) की थी, जिसमें ओम पुरी ने एक बुनकर की और मैंने उनकी पत्नी की भूमिका निभाई थी. फिल्म ने तेजी से औद्योगिकीकरण के मद्देनजर ग्रामीण हैंडलूम बुनकरों के संघर्ष को उजागर किया. उस समय में केवल पुरुष बुनाई करते थे, लेकिन अब जब मैं महिलाओं को भी बुनाई करते देखती हूं, तो मुझे वास्तव में खुशी महसूस होती है.

आजमी ने कहा कि लोगों को अपनी क्षमता में हैंडलूम उद्योग का समर्थन करना चाहिए. जब हम भारत में कर्मचारियों की संख्या के बारे में बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि जो लोग हैंडीवर्क करते हैं. वह वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हैंडलूम उद्योग को देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित रखा गया है. मुझे लगता है कि यह हमारी संस्कृति, इतिहास और परंपरा का एक बड़ा हिस्सा है और इस उद्योग के कारण, कई बुनकरों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि हमें अपनी क्षमता में उनका समर्थन करना चाहिए.

शबाना आज़मी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सबसे सम्मानित अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में पाँच बार रिकॉर्ड जीता है. 2012 में पद्म भूषण प्राप्तकर्ता, उन्हें आखिरी बार अपर्णा सेन की 2017 की फिल्म 'सोनाटा' में देखा गया था.

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मुंबई: अभिनेत्री शबाना आज़मी ने बताया कि उनको हैंडलूम वर्क बहुत पसंद है. उन्होंने कहा कि, वह हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा देना चाहती हैं.

शनिवार को शबाना आज़मी फैशन डिजाइनर श्रद्धा सावंत की 'द मैजिक ऑफ लम्स - मसाकली' नाम की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते वक्त मीडिया से बातचीत में यह बातें कहीं.

प्रदर्शनी में, भारतीय हैंडलूम साड़ियों जैसे चंदेरी, बनारसी, जरी, खादी-जामदानी, इकत, कांजीवरम, गढ़वाल, और पूरे भारत के बुनकरों द्वारा 500 से अधिक हाथ से बुनी कृतियों को प्रदर्शन पर रखा गया है, ताकि मरने वाली कला को जीवित रखा जा सके.

शबाना आज़मी ने कहा, 'सबसे पहले, मैं श्रद्धा सावंत को उनकी इस अनोखी पहल के लिए बधाई देना चाहती हूं. मुझे बचपन से ही हैंडलूम का काम करना पसंद है क्योंकि मेरी माँ शौकत कैफ़ी वास्तव में हैंडलूम के काम की शौकीन थीं. आज़मी ने याद किया कि उन्होंने 'सुसमान' नामक एक फिल्म की शूटिंग की थी, जिसमें हैंडलूम बुनकरों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया था.

'कई साल पहले, मैंने श्याम बेनेगल की फिल्म 'सुसमान' (1987) की थी, जिसमें ओम पुरी ने एक बुनकर की और मैंने उनकी पत्नी की भूमिका निभाई थी. फिल्म ने तेजी से औद्योगिकीकरण के मद्देनजर ग्रामीण हैंडलूम बुनकरों के संघर्ष को उजागर किया. उस समय में केवल पुरुष बुनाई करते थे, लेकिन अब जब मैं महिलाओं को भी बुनाई करते देखती हूं, तो मुझे वास्तव में खुशी महसूस होती है.

आजमी ने कहा कि लोगों को अपनी क्षमता में हैंडलूम उद्योग का समर्थन करना चाहिए. जब हम भारत में कर्मचारियों की संख्या के बारे में बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि जो लोग हैंडीवर्क करते हैं. वह वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हैंडलूम उद्योग को देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित रखा गया है. मुझे लगता है कि यह हमारी संस्कृति, इतिहास और परंपरा का एक बड़ा हिस्सा है और इस उद्योग के कारण, कई बुनकरों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि हमें अपनी क्षमता में उनका समर्थन करना चाहिए.

शबाना आज़मी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सबसे सम्मानित अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में पाँच बार रिकॉर्ड जीता है.

2012 में पद्म भूषण प्राप्तकर्ता, उन्हें आखिरी बार अपर्णा सेन की 2017 की फिल्म 'सोनाटा' में देखा गया था.


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Last Updated : Sep 28, 2019, 5:05 AM IST
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