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नकारात्मक चरित्रों की नकारात्मकता से इस तरह बचते हैं पंकज त्रिपाठी

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Published : Mar 11, 2021, 4:03 PM IST

पंकज त्रिपाठी नकारात्मक किरदार बड़ी बखूबी से निभाते हैं लेकिन वह कोशिश करते हैं कि नकारात्मकता की चरम सीमा न देखने को मिले. जिसके लिए वह अपने निभाए जा रहे हैं नकारात्मक किरदारों में हंसी का थोड़ा सा तड़का भी लगा देते हैं

How Pankaj Tripathi avoids extreme negativity as a villain
नकारात्मक चरित्रों की नकारात्मकता से इस तरह बचते हैं पंकज त्रिपाठी

मुंबई : वेब शो 'सेक्रेड गेम्स' में गुरुजी और 'मिर्जापुर' में कालीन भईया के किरदार को अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने बखूबी निभाया है, जिन्हें दर्शकों और आलोचकों द्वारा खूब सराहा भी गया है. अभिनेता का कहना है कि वह अपने निभाए जा रहे हैं नकारात्मक किरदारों में हंसी का थोड़ा सा तड़का भी लगा देते हैं ताकि इनमें नकारात्मकता की चरम सीमा न देखने को मिले.

पढ़ें : फिल्म 'बच्चन पांडे' में पहली बार साथ नजर आएंगे पंकज त्रिपाठी और अक्षय कुमार

पंकज कहते हैं, 'मैं जान-बूझकर इस तकनीक का इस्तेमाल करता हूं कि मेरे निभाए जा रहे किरदार नकारात्मकता की चरम सीमा तक न पहुंचे. इंसानी स्वभाव के दो पहलू होते हैं - अच्छा और बुरा, जिसमें असंतुलन तो हो सकता है, लेकिन एक पक्ष के मुकाबले दूसरा कभी भी शून्य नहीं हो सकता है.'

पढ़ें : फिल्म '83' से क्रिकेट के मुरीद बने पंकज त्रिपाठी

वह आगे कहते हैं, 'पहले के विलेन में नकारात्मकता अपने चरम पर होती थी. मुझे लगता है कि कॉमेडी और कुछ-कुछ हंसी-मजाक के जरिए हमें इसके दूसरे पहलू पर भी गौर फरमाना चाहिए ताकि ये यथार्थ लगे, लोग इनसे आसानी से जुड़ सके.'

(इनपुट - आईएएनएस)

मुंबई : वेब शो 'सेक्रेड गेम्स' में गुरुजी और 'मिर्जापुर' में कालीन भईया के किरदार को अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने बखूबी निभाया है, जिन्हें दर्शकों और आलोचकों द्वारा खूब सराहा भी गया है. अभिनेता का कहना है कि वह अपने निभाए जा रहे हैं नकारात्मक किरदारों में हंसी का थोड़ा सा तड़का भी लगा देते हैं ताकि इनमें नकारात्मकता की चरम सीमा न देखने को मिले.

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पंकज कहते हैं, 'मैं जान-बूझकर इस तकनीक का इस्तेमाल करता हूं कि मेरे निभाए जा रहे किरदार नकारात्मकता की चरम सीमा तक न पहुंचे. इंसानी स्वभाव के दो पहलू होते हैं - अच्छा और बुरा, जिसमें असंतुलन तो हो सकता है, लेकिन एक पक्ष के मुकाबले दूसरा कभी भी शून्य नहीं हो सकता है.'

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वह आगे कहते हैं, 'पहले के विलेन में नकारात्मकता अपने चरम पर होती थी. मुझे लगता है कि कॉमेडी और कुछ-कुछ हंसी-मजाक के जरिए हमें इसके दूसरे पहलू पर भी गौर फरमाना चाहिए ताकि ये यथार्थ लगे, लोग इनसे आसानी से जुड़ सके.'

(इनपुट - आईएएनएस)

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